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शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

पंखे झलते देश के नौनिहाल

सोचिए, गर्मी में आप बैठे हों, फैन और एसी नहीं। कितना अजीब सा लगता है। कभी राजा-महाराजा चला करते थे तो उनके साथ पंखे झलने वालियों का हुजूम भी चला करता था। राजे-महराजे तो चले गए, पर उन जैसे सामंती मानसिकता वाले अधिकारी अभी भी उनकी यादों को जिन्दा किये हुए हैं। हमारे यहाँ सरकारी स्कूलों में अक्सर ऐसा देखने को मिलता था कि गर्मियों में मास्टर जी आराम से बैठकर बच्चों से पंखे झलवा रहे होते। घर में कोई मेहमान आता और लाइट  नहीं रहती तो फिर पंखे झलने के लिए बच्चों की ही ड्यूटी लगती ....खैर ये सब बातें पुरानी हैं। अभी उत्तर प्रदेश के शामली में दौरे पर  गए एक प्रमुख सचिव और जिलाधिकारी को बच्चों  से पंखा झलवाना महंगा पड़ा। मीडिया ने उनकी विकास के दावों की हवा के बीच पंखे झलवाते आकर्षक फोटुयें उतारी।आनन-फानन में राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अफसरों की सामंती मानसिकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी की जाएगी। अफसरों का अंजाम क्या होगा, यह तो वक़्त बताएगा पर यह तो स्पष्ट है की अभी भी समाज में परम्पराओं और सामंती मानसिकता के नाम पर बहुत कुछ चल रहा है, जिसका संज्ञान लेने की जरुरत है ...!!  

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अखिलेश यादव जहां सूबे में छात्रों को लेपटॉप, बेरोजगारों को भत्ता और कन्याओं को कन्या विधा धन बांट रहे हैं वहीं उनके अधिकारी कुछ ऐसा कर रहे हैं जिन्हें देखकर शायद वो भी शर्मशार हो जाए।

शामली के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार, उनके ठीक बगल में बैठे हैं सुनील कुमार जो समाज-कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव है। इनके बगल में शामली की सीडीओ वी के सिंह बैठे हैं, इनका नाम है लोकेश कुमार जनाब शामली के सीएमओ हैं। दरअसल अखिलेश राज में अधिकारियों को जब गर्मी लगने लगती है तो वे ये भी भूल जाते हैं कि मासूम बच्चों से काम करवाना कितना बड़ा जुर्म है।

ये तस्वीरें उत्तरप्रदेश के शामली जनपद के लोहिया ग्राम हसनपुर की है और पंखों की हवा खा रहे ये हैं अखिलेश सरकार के अधिकारी जो पहुंचे हैं गांव में विकास कार्यों का निरीक्षण करने। पहले तो इन्होंने गांव के विकास कार्यों का निरीक्षण किया, फिर लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए बैठे उनके बीच मुख्यालय से गांव पहुंचे तो भाग-दौड़ भी थोड़ी ज्यादा हो गई। गांव की गलियों से भी गुजरना पड़ा। इसी वजह से उन्हें बैठते ही तेज गर्मी लगी लेकिन शामियाने में एससी तो चल नहीं सकते थे लिहाजा उनके लिए हाथ के पंखे के इंतजाम किए गए और इसके लिए छोटे बच्चों की ड्यूटी लगाई गई। गर्मी से तर-ब-तर भूखे-प्यासे बच्चे उन्हें पंखे झलते रहे लेकिन अधिकारियों को इन बच्चों पर तनिक भी दया नहीं आई।

अब सवाल ये है कि सूबे के समाज कल्याण के प्रमुख सचिव साहब क्या इसी तरीके से सूबे की जनता का कल्याण करते हैं या फिर ये उनके कार्यो का नमूना भर है। अब देखना ये है अखिलेश यादव अपने इन वरिष्ठ अधिकारियों को बाल श्रम कराने के लिए क्या क्या कोई सजा भी देते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने शामली में अधिकारियों की एक बैठक में बच्चों से कथित रूप से पंखे झलवाने की घटना पर गंभीरता से लेते हुए कहा है कि ‘सामंती’ मानसिकता वाले अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी.
शामली में अधिकारियों के पीछे खडे़ बच्चों को पंखा झलते दिखाये जाने की घटना पर प्रदेश के मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बच्चों की भावनाओं के प्रति खासे संवेदनशील हैं. उन्हें इस घटना के बारे में बताया जायेगा और सरकार सामंती मानसिकता वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.’

चौधरी ने कहा कि अधिकारियों की बैठक में बच्चों से पंखे झलवाना एक गंभीर घटना है. यह सरकारी सेवा नियमावली के खिलाफ तो है ही, अधिकारियों की सामंतवादी मानसिकता की भी परिचायक है.

गौरतलब है कि कुछ न्‍यूज चैनलों पर शामली में हुई समाज कल्याण विभाग की बैठक में प्रमुख सचिव सुनील कुमार, जिलाधिकारी तथा अन्य अधिकारियों की एक बैठक में बच्चों को उनके पीछे खडे़ होकर हाथ से पंखे झलते हुए दिखाया गया है.

Courtesy : http://aajtak.intoday.in/story/action-against-officers-who-made-children-fan-them-1-744729.html



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