महिलाओं ने एक और उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। वायुसेना में अब महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर होंगी। वह भी लड़ाकू विमान उड़ा सकेंगी। रक्षा मंत्रालय ने 24 अक्टूबर, 2015 को इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पहली बार सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं को युद्धक भूमिकाओं में रखा जाएगा।
मंत्रालय के फैसले के मुताबिक लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पायलटों का चयन वायुसेना अकादमी में प्रशिक्षण ले रही अधिकारियों में से होगा। प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद इन्हें जून-2016 में लड़ाकू दस्ते में कमीशन दिया जाएगा। एक और वर्ष का गहन प्रशिक्षण देने के बाद जून-2017 से महिला अधिकारी भी लड़ाकू विमान उडाना शुरू करेंगी। वायुसेना में लड़ाकू दस्ते को छोड़कर सभी शाखाओं में 1,500 महिलाएं हैं। इनमें 94 पायलट हैं, जो परिवहन विमान हेलिकॉप्टर उड़ा रही हैं। अन्य में करीब 14 महिला नेविगेटर्स हैं। हाल ही में वायुसेना दिवस पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने कहा था कि महिलाओं को लड़ाकू विमान उड़ाने की मंजूरी देने पर विचार चल रहा है। इसके बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी कहा था कि जल्द ही इस पर फैसला होगा। उन्होंने तो आईएसआईएस के ठिकानों पर निशाना साध रही यूएई की एयरफोर्स की महिला पायलटों का जिक्र भी किया था।
गौरतलब है कि महिलाओं के लिए वायुसेना का दरवाजा जून 1993 में पहली बार खुला था। पूरे 24 साल बाद जून 2017 में लड़ाकू विमानों का कॉकपिट भी खुलेगा। 1993 में जब पहली बार महिलाओं की भर्ती वायुसेना में हुई थी, तब पांच साल के लिए प्रायोगिक तौर पर नॉन-टेक्निकल ग्राउंड ड्यूटी दी गई थी। प्रयोग सफल रहा। अब लड़ाकू विमानों को छोड़कर वायुसेना की सभी शाखाओं में शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिलाएं भर्ती होती हैं। वायुसेना की तर्ज पर नौसेना और सेना में भी महिलाओं को युद्धक भूमिकाएं देने की मांग है। इस पर भी जल्द फैसला हो सकता है।
अभी सेना में महिलाएं सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन (एयर ट्रैफिक कंट्रोल), आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स, इंटेलीजेंस कॉर्प्स, आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स और जज एडवोकेट जनरल्स ब्रांच/कैडर में हैं, युद्धक भूमिकाओं में नहीं। नौसेना में महिलाएं जज एडवोकेट जनरल, लॉजिस्टिक्स, ऑब्जर्वर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, नेवल कंस्ट्रक्टर और एजुकेशन ब्रांच/कैडर में काम कर रही हैं। हालांकि, हाल ही में महिला पायलटों को निगरानी विमानों के बेड़े में रखने का प्रस्ताव बना है। वायुसेना में महिलाएं फ्लाइंग ब्रांच की ट्रांसपोर्ट और हेलिकॉप्टर स्ट्रीम के साथ ही नेविगेशन, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, एडमिनिस्ट्रेशन, लॉजिस्टिक्स, अकाउंट्स, एजुकेशन और मौसम से जुड़ी शाखाओं में काम कर रही हैं।
भारतीय वायुसेना इससे पहले महिलाओं को लड़ाकू विमान पायलट बनाने से ये कहते हुए मना करती रही थी कि लड़ाई के दौरान विमान मार गिराने की सूरत में पकड़े जाने पर उन्हें प्रताड़ना और उत्पीड़न का शिकार बनाया जा सकता है।
वायुसेना में महिलाओं को लड़ाकू विमान उड़ाने हेतु मंजूरी देने के बाद अब सेना और नौसेना के लिए भी फैसला जल्द होने की सम्भावना है। रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की नियुक्ति की समीक्षा करने का फैसला किया है। शॉर्ट सर्विस कमीशन और परमानेंट कमीशन दोनों में ही अन्य शाखाओं को भी महिलाओं के लिए खोला जाएगा। वायुसेना की तर्ज पर नौसेना और सेना में भी महिलाओं को युद्धक भूमिकाएं देने की मांग कई बरस पुरानी है। इस पर भी जल्द फैसला हो सकता है।
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