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मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025

राजा हरिश्चंद्र की विवाह स्थली : 'हरिश्चंद्र चोरी' शामलाजी, गुजरात

राजा हरिश्चन्द्र  के बारे में हम सभी ने स्कूल के दिनों में खूब पढ़ा है। राजा हरिश्चन्द्र की कहानी सत्य, निष्ठा और धर्म के पालन पर आधारित है। अयोध्या के राजा हरिश्चन्द्र को महर्षि विश्वामित्र ने स्वप्न में राज्य दान करने की प्रतिज्ञा पूरी करवाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद, उन्होंने अपने परिवार के साथ राज्य छोड़ दिया और जब उन्हें विश्वामित्र ने दक्षिणा के रूप में सोने के सिक्के माँगे तो वे उस दक्षिणा को चुकाने के लिए अपना राज्य, पत्नी और पुत्र सब कुछ बेच देते हैं। राजा हरिश्चन्द्र को श्मशान में कर वसूलने का काम मिलता है और वहाँ वे अपने पुत्र रोहिताश्व की मृत्यु होने पर भी रानी तारामती से कर मांगते हैं। उनकी इस परीक्षा में सफल होने के बाद, भगवान और विश्वामित्र प्रसन्न होकर उन्हें उनका राज्य और परिवार वापस कर देते हैं।  

पिछले दिनों गुजरात स्थित शामला जी सपरिवार जाना हुआ तो स्थानीय लोगों ने बताया कि 'हरिश्चंद्र चोरी' अवश्य जाइएगा। फिर क्या था, हम सभी वहां पहुँच गए।  प्रकृति की खूबसूरती के बीच शाम को यहाँ का दृश्य देखते ही बनता है। आँखों के सामने राजा हरिश्चंद्र और रानी तारामती की कहानी चलचित्र की तरह घूम गई।पुरातत्व विभाग, गुजरात ने इसे बखूबी सहेज कर रखा है। बचपन के वे दिन याद आ गए जब हम बाइस्कोप में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कहानी चलचित्र रूप में देखा करते थे। इसी बहाने बच्चों को भी उन पौराणिक और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों/घटनाओं से रूबरू कराने का सुअवसर मिलता है। 



बहुत ही कम लोगों को पता है कि गुजरात और राजस्थान सीमा पर स्थित शामलाजी में एक ऐसी जगह 'हरिश्चंद्र चोरी' है, जहाँ राजा हरिश्चंद्र का रानी तारामती से विवाह हुआ था – और वो जगह आज भी मौजूद है! गुजराती भाषा में ‘चोरी’ का अर्थ विवाह मंडप होता है, जहाँ दंपत्ति विवाह के समय पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे लगाते हैं। 

 






  
 



यहाँ स्थित उत्कृष्ट 10वीं शताब्दी का तोरण गुजरात का सबसे प्राचीन तोरण माना जाता है। यह मंदिर भी उसी काल का है और यह विश्वास किया जाता है कि यहीं पर पौराणिक राजा हरिश्चंद्र का विवाह हुआ था। मंदिर के गर्भगृह के द्वार को बेल-बूटों, कमलपत्रों और एक ऐसी पवित्र लता से सजाया गया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह मनोकामनाएँ पूरी करती है। द्वार के आधार पर बनी दो स्त्री मूर्तियाँ गंगा और यमुना नदियों का प्रतीक हैं।

  

(Harishchandra Chori, Shamlaji (Associated with legend): The exquisite 10th century torana here is the oldest in Gujarat. The temple, attributed to the same period, is named in the belief that the legendary king Harishchandra was married here.The sanctum doorway is adorned with bands comprising a creeper, lotus leaves and the vine which is supposed to grant wishes. The two female figures at its base represent Ganga and Yamuna. 'Chori' in Gujarati means the marriage pavilion where a couple goes around the ritual fire during the wedding ceremony.)