ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,
अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
छठ पूजा सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पर्यावरण के साथ सद्भाव में रहने का एक अनूठा उदाहरण है। यह हमें याद दिलाता है कि प्रकृति का सम्मान करके ही हम एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन जी सकते हैं, साथ ही यह हमें मातृ शक्ति के त्याग, समर्पण और प्रेम के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। भोर की शीतल किरणों संग जब श्रद्धालु माताएँ और बहनें आस्था के सागर में खड़ी होती हैं, तो लगता है मानो पूरी प्रकृति भी उनके संकल्प में सहभागी हो गई हो। छठ मइया के इस पावन पर्व पर हर अर्घ्य, हर दीपक, और हर व्रती की भक्ति, सूर्य भगवान तक पहुँचकर सबके जीवन में नई ऊर्जा और प्रकाश भर देती है।
उदयमान सूर्य को नमन करने वाले संपूर्ण धरा में भारत ही एकमात्र देश है जहाँ अस्तांचलगामी भगवान् भास्कर को भी पूर्ण कृतज्ञतापूर्वक अर्घ्य समर्पित करने की परंपरा है। जीवन भर दिन भर अपने तेज़ से सम्पूर्ण पृथ्वी को दीप्त करने के पश्चात् जब भगवान भास्कर निस्तेज होकर पश्चिम दिशा की ओर प्रवर्तित होते हैं, तब उन्हें प्रकृति तत्वों सहित प्रणाम करना हमारे संस्कारों में निहित कृतज्ञता के अनुपम दर्शन का साक्षात् उदाहरण है।
दुनिया कहती है - जिसका उदय होता है, उसका अस्त होना तय है।
पर छठ महापर्व सिखाता है कि प्रकृति के सान्निध्य में, आस्था, परिवार और एकता जब साथ हों,
तो अस्त होता सूरज भी केवल उदय की तैयारी करता है।
छठ महापर्व हमें याद दिलाता है कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत है -
जब डूबते सूरज को भी श्रद्धा से नमन किया जाए,
तो जीवन की हर कठिनाई भी नई रोशनी का मार्ग बना देती है।
यह पर्व केवल उपवास नहीं,
बल्कि संयम, समर्पण और सकारात्मकता की वह शक्ति है
जो हमें सिखाती है -
कि जिसका “अस्त” होता है, उसका “उदय” होना निश्चित है।
एक ऐसी पूजा
जिसमें कोई पुजारी नहीं होता
जिसमें देवता प्रत्यक्ष हैं
जिसमें डूबते सूर्य को भी पूजते हैं
जिसमें व्रती जाति समुदाय से परे होता है
जिसमें लोकगीत गाये जाते हैं
पकवान घर में ही बनाये जाते हैं
जिसमें घाट पर कोई ऊँच-नीच नहीं है
जिसका प्रसाद अमीर-गरीब सब श्रद्धा से ग्रहण करते हैं
ऐसे सामाजिक सौहार्द, सद्भाव, शांति-समृद्धि और सादगी का महापर्व है ये छठ।
"संपूर्ण धरा के शक्ति पुंज एवं जीवन आधार भगवान भास्कर को नमन, सूर्य देव से प्रार्थना है वो हम सब को अपनी तरह गतिमान रखे, अपनी लालिमा और ऊर्जा से हमें सिंचित करते रहे, धरती मां के परिक्रमा एवं हमारी माताओं के त्याग और व्रत का फल इस प्रकार हमें प्राप्त हो कि धरती मां के साथ - साथ हमारी माताओं को कोई कष्ट ना हो, वो हर प्रकार से स्वस्थ वा प्रसन्न रहें। सायंकालीन जलाराधना में प्रविष्ट होकर अस्तसन्न भगवान् भास्कर से कल्याण-कामना में सहभागी समस्त व्रतियों का सौभाग्य अक्षुण्ण रहे,अनुष्ठान का फल समस्त प्रियजन और इष्टमित्रों तक अभिलषित रूप में पहुँचे। छठ मइया व भगवान् सूर्य की स्तुति के महापर्व "छठ पूजा" की हार्दिक शुभकामनाएं। लोक आस्था, आत्मिक शुद्धि व प्रकृति के साथ जुड़ाव के इस महापर्व पर माता छठी सभी को पारिवारिक सुख समृद्धि, यश वैभव व दीर्घायु प्रदान करें। छठी मैया के साथ - साथ विश्व के संपूर्ण मातृ शक्ति को नमन!"
- आकांक्षा यादव-





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