कानपुर भले ही छूट गया हो, पर अभी भी वहाँ की ख़बरें देख-पढ़ लेती हूँ. चार साल से ज्यादा का रिश्ता इतनी जल्दी छोड़ भी तो नहीं पाती. कानपुर भले ही कभी उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी रहा हो, पर आज का कानपुर अपराध के लिए कुख्यात है, वो भी मूलत: महिलाओं के सम्बन्ध में. यहाँ पोर्टब्लेयर में जब लोगों को बेरोकटोक भारी गहने पहने देखती हूँ तो कानपुर का वो मंजर याद आता है जहाँ रोज गले से चेन की छिनैती, महिलाओं से छेड़-छाड़ आम बात है. कभी गौर करें तो कानपुर से सबसे ज्यादा अख़बार प्रकाशित होते हैं और स्थानीय ख़बरों में ऐसी ही समाचारों की भरमार रहती है.
अभी एक खबर पर निगाह गई कि कानपुर में लड्डू खिलाने के बहाने घर से ले जाकर एक पुजारी के बेटे ने सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और बाद में उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। पुजारी का यह बेटा कुछ दिनों से पिता के बीमार होने के कारण पूजा-पाठ का काम खुद ही कर रहा था। और इसी दौरान उसने यह कु-कृत्य किया.
पता नहीं ऐसे लोग किस विकृत मानसिकता में पले-बढे होते हैं, जो कभी ढोंगी बाबा का रूप धारण करते हैं तो कभी पुजारी का. उन्होंने आवरण कितना भी बढ़िया ओढ़ रखा हो, पर मानसिकता कुत्सित ही होती है. मंदिर में बैठे पुजारी से लेकर बड़े-बड़े धर्माचार्य तक सब लम्बे-लम्बे उपदेश देते हैं, पर खुद के ऊपर इनका कोई संयम नहीं होता. ऐसे लोग समाज के नाम पर कोढ़ ही कहे जायेंगें. सात साल की बच्ची से बलात्कार..सोचकर ही दिल दहल जाता है.
अभी कुछ दिनों पहले कोलकाता एयरपोर्ट पर थी, तो पता चला कि 7-8 साल की बच्ची के साथ वहाँ के एक स्टाफ ने छेड़खानी की, जिसके चलते वहाँ सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. अपने चारों तरफ देखें तो ऐसी घटनाएँ रोज घटती हैं, जिनसे मानवता शर्मसार होती है. पर धर्म के पहरुये ही जब मानवता के भक्षक बन जाएँ तो क्या कहा जाय...?
-आकांक्षा यादव
19 टिप्पणियां:
AISA KARNE WALI PUJARI KO GOLI MAR DENI CHAIYE...
SARE BAAZAR ME.
अपने चारों तरफ देखें तो ऐसी घटनाएँ रोज घटती हैं, जिनसे मानवता शर्मसार होती है. पर धर्म के पहरुये ही जब मानवता के भक्षक बन जाएँ तो क्या कहा जाय...??? दुर्भाग्य से समाज में ऐसे ढोंगी बाबाओं की संख्या बढ़ रही है. ऐसे नासूरों के लिए कड़े कदम उठाने की जरुरत है.
बेहद शर्मनाक है ये.
बेहद शर्मनाक है ये.
शर्मनाक और खौफनाक भी.
धर्म की आड में ये घिनौना खेल प्राचीन समय से ही चल रहा है. कभी ब्राह्मणों-क्षत्रियों ने अपनी वासना पूर्ति के लिए इसकी आड में लोगों का शोषण किया और उन्हीं की परंपरा को उनके वंशज भी निभा रहे हैं. नारी की देह से खेलने में तो देवता भी पीछे नहीं रहे. समाज की इस संरचना को बदलने की जरुरत है. लोगों को जागरूक करने की जरुरत है.
उन्होंने आवरण कितना भी बढ़िया ओढ़ रखा हो, पर मानसिकता कुत्सित ही होती है. मंदिर में बैठे पुजारी से लेकर बड़े-बड़े धर्माचार्य तक सब लम्बे-लम्बे उपदेश देते हैं, पर खुद के ऊपर इनका कोई संयम नहीं होता. ऐसे लोग समाज के नाम पर कोढ़ ही कहे जायेंगें.
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एकदम सही विश्लेषण !!
अभी दिल्ली के ढोंगी बाबा, कर्नाटक का ढोंगी स्वामी..अब ये कनपुरिये पुजारी. मानवता के नाम पर कलंक ऐसे लोग धर्म को सेक्स का जरिया बना लिए हैं. इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
आकांक्षा जी, आपकी यह पोस्ट शब्द-शिखर पर भी पढ़ रहा था. वहां भी कुछ रोचक कमेन्ट हैं, साभार यहाँ पेस्ट कर रहा हूँ. इससे परिचर्चा को सही आयाम मिल सकेगा-
निर्मला कपिला said...
आकांक्षा जी मुझे तो लगता है कि जितना दुराचार धर्म की आढ मे हो रहा है उतना कहीं नही। इस के लिये हम लोग ही सब से अधिक जिम्मेदार हैं जो इनके कुकृत्यों को नज़रान्दाज़ करते रहते हैं । और ये लोग लोगों को मूर्ख बनाते रहते हैं कि गुरू बिना गत नही। मगर लोग नही समझते कि गुरू के होने से गत नही दुर्गत हो रही है
धर्मस्थलों पर भी यही सब होता है। बहुत सही लिखा आपने धन्यवाद्
कार्तिकेय मिश्र (Kartikeya Mishra) said...
निर्मला जी की बात से सहमत हूँ.. जरूर ही धर्म के नाम पर सामान्य शारीरिक जनमानस का शारीरिक, आर्थिक, और आत्मिक शोषण न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि खौफ़नाक भी है.. और यूपी-बिहार में तो प्रचुर भी..
आपका कानपुर आज भी वैसा ही है, जैसा आप छोड़कर गई थीं.. बस ये घटनायें आम हो गई हैं..
RAJNISH PARIHAR said...
धर्म की आड़ लेकर ही ये ढोंगी अपना खेल बेरोकटोक चलाते रहते है!ये घटनायें आम हो गई हैं..पुलिस और नेता तो पहले ही मिले हुए है,हाँ दवाब पड़ने या अन्य कारणों से ही ये बेनकाब हो पाते है!अब समय आ गया है जब ऐसे ढोंगियों को भी साधू समाज निकल बाहर करे..
आस्था की बात अलग है लेकिन विकृत मानसिकता के बहुत से लोग हो सकते हैं । ऐसे लोगों को पहचानना ज़रूरी है ।
धर्म के नाम पर पाखंड तो ये लोग लम्बे समय से कर रहें हैं. इसकी अड़ में व्यभिचार पहले छुप जाता था, अब दिखने लगा है. लोग भी जागरूक हो गए हैं, अत : इसकी आड में लोगों को लम्बे समय तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता.
हम तो कानपुर से ही हैं. यह खबर पढ़ी थी. वाकई आज कानपुर अपराधों के लिए कुख्यात है. महिला मुख्यमंत्री होते हुए भी कानपुर में महिलाओं की दुर्दशा...सोचने पर मजबूर करती है.
ऐसी शर्मनाक घटनाओं पर प्रशासन को भी कड़े कदम उठाने चाहिए, पर शायद ऐसा नहीं होता है. जिससे कि एक गलत सन्देश जाता है.
यह बेहद घिनौना कार्य है. सही कहा आपने रक्षक ही भक्षक बन गए हैं.
आपकी प्रतिक्रियाएं आपकी संवेदना और सचेतना को दर्शाती हैं..आभार !!
चिंतनीय विषय... अहम् मुद्दा...आभार.
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