नवरात्र का त्यौहार मंगलवार से आरंभ हो रहा है. विशेषकर नारियों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण समय होता है. घर-आफिस की जिम्मेदारियों के साथ व्रत-पालन वाकई एक दुष्कर कार्य होता है. पर व्रत कोई भी हो, फलों का अपना महत्त्व है. फलों में भी केला का विशेष महत्त्व है. केले की महिमा सा भला कौन अपरिचित होगा.केला विश्व का सबसे अहम फल माना जाता है। यह हर जगह आसानी से उपलब्ध रहता है। यहाँ अंडमान में तो केला बहुतायत में आसानी से मिलने वाला फल है.विश्व में प्रति एकड़ सबसे अधिक फल देने वाली केले की फसल रहती है। इसे एक संपूर्ण आहार माना जाता है.अगर आप दुबले हैं और मोटा होना चाहते हैं तो प्रतिदिन रोज जमकर केले खांए। इसमें प्रचुर मात्रा में फैट मिलता है। केले में शरीर को लाभ पहुंचाने के और भी कई गुण हैं इसमें प्रोटीन 13 प्रतिशत, चर्बी 2 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 7 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 36.4 प्रतिशत, कैल्शियम 1 प्रतिशत, फासफोरस 5 प्रतिशत, लोहा 4 प्रतिशत पाया जाता है।
सर्वप्रथम केले का पौधा दक्षिण-पूर्व एशिया और इंडोनेशिया के जंगलों से मिला था और संभवतः पपुआ न्यूगिनी में इन्हें सबसे पहले उपजाया गया था. 16वीं शताब्दी में स्पेन के लोग इसे अमेरिका ले गए वहां इसकी खूब खेती की जाने लगी। अब इसकी खेती अमेरिका, मलाया, ब्राजील, कोलंबिया, थाईलैण्ड, इंडोचीन और भारत में होती है।
केला जहां एक संपूर्ण आहार है वहीं इसके औषधीय गुण भी कम नहीं हैं। केला स्वादिष्ट, शीतल तथा स्वास्थ्यवर्धक फल है। एक सौ ग्राम केले से अनुमानतः 153 कैलोरी शक्ति मिलती है। आयुर्वेद में बताया गया है कि पका केला ठंडा, रूचिकर, पुष्टिकारक, शरीर पर मांस बढ़ाने वाला, रक्त-विहार नाशक, पथरी, रक्तपित्त दूर करने वाला प्रदर तथा नेत्ररोग मिटाने वाला होता है। केला कच्चे और पके दोनों तरह से इस्तेमाल में आता है। मंदाग्नि, गुर्दे के रोगों ग्रंथि रोग, गठिया आदि रोगों के लिए लाभकारी साबित होता है। अम्लहीन होने के कारैष्टिक अल्सर के रागियों को सरलता से पच जाता है। केला आंत की कमियों को समूल समाप्त करता हे। दस्त और पेचिश में पके हुए केले का प्रयोग बहुत गुणकारी है। मधुमेह के रोगियों के लिए भी केला हानिकारक नहीं होता है। कमजोर पाचन शक्ति वाले मरीज के लिए केला वरदान है। वजन बढ़ाने के इच्छुक लोगों के लिए केला सर्वोत्तम भोजन है। केला खूब पका हुआ ही खाना चाहिए। कच्चे केले में 20-25% स्टार्च मिलता है, जो आसानी से सुपाच्य शर्करा में बदलता है। कच्चे केले को तलकर भी खाया जात है और इससे स्वादिष्ट मिठाइयां भी बनती हैं। दक्षिण भारत में कच्चे केले के टुकड़े काटकर सुखकर पीसकर पाउडर बना लेते हैं। केले का यह पाउडर दूध के साथ देने से बच्चों के विकास में सहायक रहता है।
केले में लोहा होने के कारण यह एनीमिया के रोगी में खून की वृद्धि करता है। अगर किसी को खाज व गंजापन की बराबर शिकायत है तो केले के गूदे में नीबू का रस मिलाकर लगाने से लाभ होता है। दस्तों की स्थिति अधिक बनने पर दही के साथ पका केला खाना लाभदायक है। केला पेट के लिए इतना अधिक लाभदायक साबित हुआ है कि आंत के रोगों को बिना आपरेशन ठीक कर सकता है। पेचिश में केले को दही में मथ कर थोड़ा सा जीरा व काला नमक मिलाकर खाना उचित रहता है। कुत्ते के काटने की जगह पर केले के बीच को पीसकर लगाने से लाभ रहता है। केले के सेवन से आंतों में विजातीय द्रव्यों की सड़न क्रिया नहीं होती है। जलने पर केले के पत्तों का रस लगाने से फफोले नहीं पड़ते। केला खने से बच्चों व कमजोर व्यक्तियों की पाचन शक्ति ठीक रहती है। भूख ज्यादा लगती है। केला उच्च रक्त चाप को रोकने में सार्थक और हृदय रोगों में उपयोगी है। अपच में केले की सब्जी बनाकर खाएं। केले में पेक्टिन नामक पदार्थ होता है, जो मल को मुलायम और साफ करके पेट से बाहर निकालने में सहायक हैं। एक केला, एक कप नारियल का पानी व एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से पीलिया, टायफाइड, खसरा में लाभप्रद रहता है। केले में सिरोटीन नामक क्षरीय रसायन मिलता है जोकि खून की क्षरीयता को बढ़ाता है तथा अमाशय की अम्लता को कम करता है।
-आकांक्षा यादव
21 टिप्पणियां:
सिर्फ़ नारियों का ही नहीं हमारा भी व्रत ही रहता और केले तो मैं खूब खाता हूँ। बहुत अच्छा आलेख।
Kele par mahatvapurna jankari...kele khane ka maja hi kuchh aur hai.
केला खाओ तन्दुरुस्त रहों,
मगर शुगर के रोगी इससे बचें!
महत्वपूर्ण जानकारी के लिए धन्यवाद.
नवरात्र का प्रसाद अभी से..उम्दा जानकारी.
केला तो हमें बहुत प्रिय है. इतनी गुणपरक जानकारी, अब रोज दो बढाकर खायेंगे.
..तभी तो केले की गिनती कंदमूल-फलों में होती है. प्राचीन कल से ही यह एक संपूर्ण आहार के रूप में प्रचलित है..लाजवाब जानकारी के लिए शुक्रिया.
..तभी तो केले की गिनती कंदमूल-फलों में होती है. प्राचीन कल से ही यह एक संपूर्ण आहार के रूप में प्रचलित है..लाजवाब जानकारी के लिए शुक्रिया.
विलक्षण पोस्ट..चिकित्सकीय आधार पर भी केला महत्वपूर्ण माना जाता है. दादी के नुस्खों को भला कौन भूल सकता है.
वहां अंडमान में तो लाल रंग के छोटे-छोटे खूब केले होते होंगे. इधर की तरह बड़े-बड़े पीले-पीले नहीं..यही तो मजा है, हर धरती का अपना स्वाद.
और हाँ, इस बार के नवरात्र व्रत पर तो जमकर केले खायेंगे. नवरात्र की अभी से बधाई.
सर्वप्रथम केले का पौधा दक्षिण-पूर्व एशिया और इंडोनेशिया के जंगलों से मिला था और संभवतः पपुआ न्यूगिनी में इन्हें सबसे पहले उपजाया गया था. 16वीं शताब्दी में स्पेन के लोग इसे अमेरिका ले गए वहां इसकी खूब खेती की जाने लगी। अब इसकी खेती अमेरिका, मलाया, ब्राजील, कोलंबिया, थाईलैण्ड, इंडोचीन और भारत में होती है।
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जानकारी भी.आहार भी.यही आपकी पोस्टों की विशेषता है.बधाई.
एक केले के इतने गुण. वाकई हमारे लिए तो ऑंखें खोलने जैसा है. अब हम भी केले जमकर खायेंगे, बस मोटे ना हो जाएँ.
हम तो बचपन से ही केला छककर खाते हैं. कभी मोटे भी नहीं हुए. काफी जानकारी पहले से थी, अब और भी नई जानकारियाँ प्राप्त हुईं.
अब कहना ही पड़ेगा- केले की महिमा अपरम्पार !!
Very Knowledgeful Information.Thanks.
अब समझे हमें खूब केले क्यों खिलाये जाते हैं.
महत्वपूर्ण जानकारी. नवरात्र के पहले इसे देकर आपने अच्छा ही किया. इसका लाभ उठाया जायेगा.
महत्वपूर्ण जानकारी. नवरात्र के पहले इसे देकर आपने अच्छा ही किया. इसका लाभ उठाया जायेगा.
बढ़िया जानकारी.
आप सभी की टिप्पणियों के लिए आभार !! अपना स्नेह बनाये रखें !!
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