आज 23 मार्च को भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की पुण्य तिथि है। 23 मार्च 1931 को इन क्रांतिकारियों को आजादी कि कीमत के रूप में फाँसी के फँदे पर लटका दिया गया. भगत सिंह की उम्र तो उस समय तो बहुत कम थी, पर इसके बावजूद उनके विचार बहुत परिपक्व थे. भगत सिंह ने क्रांति के बारे में फैली गलत फहमियों को दूर करते हुए लिखा कि-"क्रांति के लिए रक्त संघर्ष अनिवार्य नहीं है और न ही इसमें प्रति हिंसा का कोई स्थान है। यह बम और पिस्तौल की संस्कृति नहीं है। क्रांति से हमारा मतलब है कि अन्याय और शोषण पर टिकी व्यवस्था बदलनी चाहिए। पिस्तौल और बम इंकलाब नहीं लाते, बल्कि इंकलाब की तलवार तो विचारों की धार पर तेज होती है।" क्रांतिकारी के गुणों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने लिखा है कि किसी क्रांतिवीर के दो अनिवार्य गुण स्वतंत्र विचार और आलोचना हैं। जो आदमी प्रगति के लिए संघर्ष करता है, उसे पुराने विश्वास की एक-एक बात की आलोचना करनी होगी। उस पर अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देनी होगी। इसी प्रकार विभिन्न धर्मों के बीच सांप्रदायिक हिंसा पर चिंता जताते हुए उन्होंने लिखा कि-"धार्मिक अंधविश्वास तथा कट्टरपंथ हमारी प्रगति में बहुत बड़े बाधक हैं। हमें इनसे हर हाल में छुटकारा पाना चाहिए। जो चीज स्वतंत्र विचारों को सहन नहीं कर सकती, उसे नष्ट हो जाना चाहिए। हमें ऐसी बहुत सी चीजों पर जीत पानी है।" लोगों को आपस में लड़ने से रोकने के लिए वर्ग चेतना की जरूरत है। भलाई इसी में है कि लोग धर्म, रंग और नस्ल जैसे भेदभाव को मिटाकर एकजुट हों।उन्होंने लिखा है कि भारत के लोगों को इतिहास से सीख लेनी चाहिए। रेड कार्ड (परिचय पत्र) तथा बास्तिल (फ्रांस की कुख्यात जेल), जहां राजनैतिक कैदियों को रखा जाता था भी फ्रांस की क्रांति को कुचलने में सफल नहीं हो पाए, तो भला अंग्रेज क्या कुचल पाएंगे. तभी तो उन्होंने लिखा कि-‘तुझे जिबह करने की खुशी और मुझे मरने का शौक है मेरी भी मर्जी वही जो मेरे सैयाद की है.
स्वाधीनता संग्राम के दौरान देश की आजादी पर छाए अनिश्चितता के बादलों के बीच शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने भविष्य की घटनाओं को पहले से ही भांप लिया था और कह दिया था कि उनकी फांसी के 15 साल बाद अंग्रेज देश छोड़कर चले जाएंगे। लेकिन भगत सिंह ने यह भी कहा था कि गोरों के जाने के बाद भी देश में लूट और स्वार्थ का राज होगा। शहीद-ए-आजम की यह बात बिल्कुल सही साबित हुई। 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी लगी जिसके 15 साल बाद 1946 में ब्रितानिया हुकूमत ने भारत से बोरिया बिस्तर समेटने का मन बना लिया। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया। पर आजादी के बाद देश में लूट और स्वार्थ के राज की जो बात भगत सिंह ने कही, उसे हम रोज अपनी आँखों के सामने महसूस करते हैं. देश आजाद हो गया, पर हम आज तक इस आजादी की कीमत नहीं समझ पाए. हमसे बाद में आजाद हुए देश आज तरक्की के कितने पायदान चढ़ चुके हैं, पर हम अभी भी उतनी तेजी से प्रगति नहीं कर पाए. ऐसे में भगत सिंह के विचारों की प्रासंगिकता आज और भी बढ़ जाती है. मात्र रैली निकालने और फूल चढाने से श्रद्धांजलि नहीं अर्पित होती, बल्कि इसके लिए हमें विचारों में भी परिवर्तन की आवश्यकता है. अन्यथा हर साल बलिदान दिवस आयेगा और अन्य दिनों की तरह बीत जायेगा !!
-आकांक्षा यादव
16 टिप्पणियां:
सटीक विश्लेषण...!!
23rd march, 1931..In the morning time, Legendary BHAGAT
SINGH, SUKHDEV & RAJGURU were hanged to thier deaths..But today, we don't even remember their names.We only celebrate Chocolate day, Valentine's day but we dont have time to remember those martyrs..Please pass this message to everybody & salute thier sacrifice..Tribute to those martyrs..JAI HIND !!
"मात्र रैली निकालने और फूल चढाने से श्रद्धांजलि नहीं अर्पित होती, बल्कि इसके लिए हमें विचारों में भी परिवर्तन की आवश्यकता है. अन्यथा हर साल बलिदान दिवस आयेगा और अन्य दिनों की तरह बीत जायेगा !!"
bilkul sahi baat hai ji ye!
आज के दिन लाजवाब प्रस्तुति...शत-शत नमन !!
लाजवाब प्रस्तुति...शत-शत नमन !!
Lajwab Post. Bhagat singh ke bina Ajadi ka itihas adhura hai.
लेकिन भगत सिंह ने यह भी कहा था कि गोरों के जाने के बाद भी देश में लूट और स्वार्थ का राज होगा..Bhagat singh Ne sachhai kahi, tabhi to Angrejon ke sath Gandhi ji jaise log bhi unhen bardash nahin kar pate the.
सही कहा आपनें.भारत के महान क्रांतिकारी को शत शत नमन.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति .....ये शहीदों कि जय हिन्द बोली ,
ऐसी वैसी ये बोली नहीं है ।
लाजवाब प्रस्तुति...शत-शत नमन !!
भगत सिंह के विचार सदैव प्रासंगिक रहेंगे, लाजवाब पोस्ट.
सुन्दर-सार्थक -प्रासंगिक पोस्ट. बलिदानियों की शहादत अमर रहेगी.
आपने भगत सिंह को वैचारिक धरातल पर देखा. वाकई यह अनुपम है. नमन.
भगत सिंह ने वक़्त रहते ही भारत का भविष्य पढ़ लिया था, तभी तो ऐसा कहा.
शहीद अमर रहें
शहीद भगत सिंह पर एक रपट यहाँ भी देखें
http://sharadakokas.blogspot.com
kunwarji' se sahmat hun
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