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गुरुवार, 29 अप्रैल 2010
IIT और IIM में भी शिक्षक नहीं..
कहते हैं किसी भी राष्ट्र को उन्नति की तरफ ले जाने में शिक्षा का बहुत योगदान है. मानव-संसाधन के विकास में भी इसका अप्रतिम योगदान है. प्राथमिक शिक्षा की स्थिति हमारे यहाँ किसी से छुपी नहीं है, पर उच्च शिक्षा का हाल भी बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता. सर्वश्रेष्ठ कहे जाने वाले संस्थान अक्सर किन्हीं-न-किन्हीं कारणों से चर्चा में रहते हैं, पर यह आश्चर्य की बात है कि IIT और IIM में भी इस समय क्रमश: 1346 और 95 शिक्षकों के पद रिक्त हैं. इसे क्या कहा जाय सरकार की अ-गंभीरता या लापरवाही. इन संस्थानों की तमाम नई शाखाएं सरकार खोलती है, पर उन्हें इक अदद अध्यापक तक मुहैया नहीं करा पाती है. आखिरकार इनमें पढ़ रहे विद्यार्थियों का भविष्य कहाँ जायेगा. मात्र फीस बढ़ने से समस्याए हल नहीं हो सकती, इसके लिए आधारभूत सुविधाओं के साथ-साथ शिक्षा का स्तर भी सुधारना होगा और उसके लिए शिक्षकों की जरुरत है. IIM और IIT जैसे संस्थानों में इतनी भारी संख्या में शिक्षकों का अभाव हमारी शिक्षा नीति की पोल खोलता है. सर्व शिक्षा अभियान, स्कूल चलो अभियान, मिड डे मील योजना जैसी योजनाओं का हश्र सब जानते हैं, पर सर्वश्रेष्ठ कही जाने वाली संस्थाओं का भी ऐसा बुरा हश्र, आश्चर्य भी होता है, क्षोभ भी !!
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22 टिप्पणियां:
IIT और IIM में भी इस समय क्रमश: 1346 और 95 शिक्षकों के पद रिक्त हैं. इसे क्या कहा जाय ??
बिलकुल सही कहा आपने.... मैं ख़ुद IIT और IIM .....में visiting पर लेक्चर लेता हूँ.... लेकिन यह लोग परमानेंट नहीं करते पोलिटिक्स के चक्कर में.... हर डिपार्टमेंट का हेड अपना ही आदमी रखना चाहता है... जिसके लिए बहुत पोलिटिक्स होती है... और यही हाल यूनिवर्सिटीज़ का है.... और अगर कोई वैकेंसी होती भी है तो वो सेट्टिंग के चक्कर में बैक लॉग में चली जाती है....
भगवान ही चला रहा है मेरे इस देश को हर तरफ़ लुट मची है, वो चाहे कोई भी संस्थान हो
इतने बड़े संस्थानों में भी शिक्षकों का अभाव ?
बाकी शिक्षा का क्या हाल है सब जानते ही हैं...चिंता का विषय है.
चिन्तनीय विषय और विचारणीय मुद्दा है ये. अच्छी पोस्ट.
bahut saamyik lekh hai thanks
इतने बड़े संस्थानों में भी शिक्षकों का अभाव ?
DHYAN DENE YOGYA BAAT HAI....
हर शाख पे उल्लू बैठा है!
बिलकुल सही चिंतन है ।
ये हाल देश के सबसे उच्च शिक्षण संस्थान का है .......तो बाकी जगह क्या होगा ....राम भरोसे
..फिर ऐसी जगह पर कौन पढने जायेगा. इससे अच्छा तो मेरा स्कूल है.
बातें तो मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल जी बड़ी-बड़ी करते हैं, पर सब मायावी सपने ही दिखते हैं. आपकी यह पोस्ट ऐसे भोथरे दावों की पोल खोलती है.
सर्व शिक्षा अभियान, स्कूल चलो अभियान, मिड डे मील योजना जैसी योजनाओं का हश्र सब जानते हैं, पर सर्वश्रेष्ठ कही जाने वाली संस्थाओं का भी ऐसा बुरा हश्र, आश्चर्य भी होता है, क्षोभ भी !!...bAHUT SAHI KAHA APNE.
आपने एक ऐसे मुद्दे की ओर ध्यानाकर्षित किया है, जिस पर गंभीर विचार और कार्यवाही की जरुरत है...बहुत खूब.
आजकल बड़ी डिग्री वाले शिक्षक नहीं मल्टीनेशनल कंपनी ज्वाइन चाहते हैं, फिर कहाँ से आएंगे योग्य लोग.
अब क्या कहें...मन तो कर रहा है जोर-जोर से रोयें इस durdasha par.
अब क्या कहें...मन तो कर रहा है जोर-जोर से रोयें इस durdasha par.
shiksha vyavstha par ek karara tamacha...kab sudherenge hamare niti-niyanta.
विचारणीय मुद्दा...देखिये कब सरकार की नींद खुलती है !!
अजी घोटालों से फुर्सत मिले, तब तो सोचें शिक्षा की. बस नियम बनते हैं, फिर सब सो जाते हैं.
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