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गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

दशहरा और शस्त्र -पूजा

(नवरात्र आरंभ हो चुका है. देवी-माँ की मूर्तियाँ सजने लगी हैं. चारों तरफ भक्ति-भाव का बोलबाला है. दशहरे की उमंग अभी से दिखाई देने लगी है. इस पर क्रमश: प्रस्तुत है कृष्ण कुमार यादव जी के लेखों की सीरिज. आशा है आपको पसंद आयेगी-)


दशहरे के दिन भारत में कुछ क्षेत्रों में शमी वृक्ष की पूजा का भी प्रचलन है। ऐसी मान्यता है कि अर्जुन ने अज्ञातवास के दौरान राजा विराट की गायों को कौरवों से छुड़ाने हेतु शमी वृक्ष की कोटर में छिपाकर रखे अपने गाण्डीव-धनुष को फिर से धारण किया। इस अवसर पर पाण्डवों ने गाण्डीव-धनुष की रक्षा हेतु शमी वृक्ष की पूजा कर कृतज्ञता व्यक्त की। तभी से दशहरे के दिन शस्त्र पूजा के साथ ही शमी वृक्ष की भी पूजा होने लगी। पौराणिक कथाओं में भी शमी वृक्ष के महत्व का वर्णन किया गया है। इसके अनुसार राजा रघु के पास जब एक साधु दान लेने आया तो राजा को अपना खजाना खाली मिला। इससे क्र्रोधित हो राजा रघु ने इन्द्र पर चढ़ाई की तैयारी कर दी। इन्द्र ने रघु के डर से अपने बचाव हेतु शमी वृक्ष के पत्तों को सोने का कर दिया। तभी से यह परम्परा आरम्भ हुयी कि क्षत्रिय इस दिन शमी वृक्ष पर तीर चलाते हैं एवं उससे गिरे पत्तों को अपनी पगड़ी में धारण करते हैं।

आज भी विजयदशमी पर महाराष्ट्र और राजस्थान में शस्त्र पूजा बड़े उल्लास से की जाती है। इसे महाराष्ट्र मंे ‘सीलांगण’ अर्थात सीमा का उल्लघंन और राजस्थान में "अहेरिया" अर्थात शिकार करना कहा जाता है। राजा विक्रमादित्य ने दशहरे के दिन ही देवी हरसिद्धि की आराधना की थी तो छत्रपति शिवाजी को इसी दिन मराठों की कुलदेवी तुलजा भवानी ने औरगंजेब के शासन को खत्म करने हेतु रत्नजड़ित मूठ वाली तलवार "भवानी" दी थी, ऐसी मान्यता रही है। तभी से मराठा किसी भी आक्रमण की शुरूआत दशहरे से ही करते थे और इसी दिन एक विशेष दरबार लगाकर बहादुर मराठा योद्धाओं को जागीर एवं पदवी प्रदान की जाती थी। सीलांगन प्रथा का पालन करते हुए मराठे सर्वप्रथम नगर के पास स्थित छावनी में शमी वृक्ष की पूजा करते व तत्पश्चात पूर्व निर्धारित खेत में जाकर पेशवा मक्का तोड़ते एवं तत्पश्चात सभी उपस्थित लोग मिलकर उस खेत को लूट लेते थे।

राजस्थान के राजपूत भी "अहेरिया" की परम्परा में सर्वप्रथम शमी वृक्ष व शस्त्रों की पूजा करते व तत्पश्चात देवी दुर्गा की मूर्ति को पालकी में रख दूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश कर प्रतीकात्मक युद्ध करते। इतिहास इस परंपरा में "अहेरिया" के चलते दो युद्धों का गवाह भी बना- प्रथमतः, 1434 में बूंदी व चितौड़गढ़ के बीच इस परम्परा ने वास्तविक युद्ध का रूप धारण कर लिया व इसमें राणा कुम्भा की मौत हो गई। द्वितीयतः, महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह ने राजगद्दी पर आसीन होने के बाद पहली विजयदशमी पर उत्ताला दुर्ग में ठहरे मुगल फौजियों का असली अहेरिया (वास्तविक शिकार) करने का संकल्प लिया। इस युद्ध में कई राजपूत सरदार हताहत हुए। आज भी सेना के जवानों द्वारा शस्त्र-पूजा की परम्परा कायम है।
(क्रमश :, आगामी- दशहरे पर रावण की पूजा )

18 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

यह भी उम्दा जानकारी देती पोस्ट...बहुत आभार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सभी लोग अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं इस अवसर पर।

अजय कुमार झा ने कहा…

सच कहा आपने शस्त्र पूजा नवरात्रि पर्व का एक मुख्य अंग है वैसे भी माता दुर्गा खुद ही शक्ति का सवरूप हैं ..जानकारी पूर्ण पोस्ट

Urmi ने कहा…

बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी मिली! शानदार पोस्ट!

ABHISHEK MISHRA ने कहा…

very nice post

शरद कोकास ने कहा…

प्रथाऑ के बारे में यह बहुत अच्छी जानकारी है ।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

आकाँक्षा जी, इसी बहाने काफी कुछ जानने को मिल गया, आभार।
................
वर्धा सम्मेलन: कुछ खट्टा, कुछ मीठा।
….अब आप अल्पना जी से विज्ञान समाचार सुनिए।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आज की पोस्ट से बहुत कुछ जानने को मिला!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इस जानकारी का शुक्रिया ... आज की पीडी को ऐसी बातों से अवगत ज़रूर करवाना चाहिए ....

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति, धन्यवाद

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी मिली! शानदार पोस्ट!

Asha Joglekar ने कहा…

दशहरे के अवसर के अनुकूल है यह जानकारी भरी पोस्ट.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

इसके बारे में सुना था, पर विस्तार से पहली बार पढ़ रहा हूँ..आभार.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

इसके बारे में सुना था, पर विस्तार से पहली बार पढ़ रहा हूँ..आभार.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

...सभी को नवरात्र और दशहरा की बधाइयाँ !!

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

परम्पराओं के बिना त्यौहारों का मजा क्या...अच्छा लेख.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

विजयदशमी की शुभकामनायें.

Akanksha Yadav ने कहा…

आप सभी लोगों ने इस पोस्ट को पसंद किया...आप सभी का आभार.