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सोमवार, 9 मई 2011

प्रिंट-मीडिया में 'शब्द-शिखर' की 25वीं चर्चा


'शब्द शिखर' पर 26 अप्रैल, 2011 को प्रस्तुत पोस्ट 'मानव ही बन गया है खतरा... ' को प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक अख़बार जनसत्ता के नियमित स्तंभ ‘समांतर’ में आज 09 मई, 2011 को 'अस्तित्व का संकट' शीर्षक से स्थान दिया गया है. जनसत्ता में तीसरी बार मेरी किसी पोस्ट की चर्चा हुई है और इससे पूर्व 'शब्द शिखर' पर 21 अक्तूबर, 2010 को प्रस्तुत पोस्ट 'कहाँ गईं वो तितलियाँ' को जनसत्ता के ‘समांतर’ स्तम्भ में 7 दिसंबर, 2010 को 'गुम होती तितली' शीर्षक एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च, 2010) को प्रस्तुत पोस्ट 'महिला होने पर गर्व' को 12 मार्च, 2011 को 'किसका समाज' शीर्षक से स्थान दिया गया था. समग्र रूप में प्रिंट-मीडिया में 25वीं बार मेरी किसी पोस्ट की चर्चा हुई है.. आभार !!

इससे पहले शब्द-शिखर और अन्य ब्लॉग पर प्रकाशित मेरी पोस्ट की चर्चा दैनिक जागरण, जनसत्ता, अमर उजाला,राष्ट्रीय सहारा,राजस्थान पत्रिका, आज समाज, गजरौला टाईम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, दस्तक, आई-नेक्स्ट, IANS द्वारा जारी फीचर में की जा चुकी है. आप सभी का इस समर्थन व सहयोग के लिए आभार! यूँ ही अपना सहयोग व स्नेह बनाये रखें !!

चित्र साभार : http://blogsinmedia.com/

17 टिप्‍पणियां:

Shahroz ने कहा…

एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर आपने ध्यान आकृष्ट कराया ..आपकी लेखनी को साधुवाद .

Shahroz ने कहा…

जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि समग्र रूप में प्रिंट-मीडिया में 25वीं बार आपकी किसी पोस्ट की चर्चा हुई है. यह आपकी विलक्षण लेखन क्षमता और ब्लॉग की लोकप्रियता को दर्शाता है. शुभकामनायें.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Its Great News..Congts. a lot.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Its Great News..Congts. a lot.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Its Great News..Congts. a lot.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Its Great News..Congts. a lot.

Maheshwari kaneri ने कहा…

चर्चा होनी भी चाहिये । बहुत- बहुत बधाई \

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह जी वाह... आप को बहुत बहुत बधाई

Bhanwar Singh ने कहा…

वाकई यह विलक्षण उपलब्धि है. आपको ढेरों बधाई.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बहुत बधाई!

सादर

Manav Mehta 'मन' ने कहा…

bahut bahut badhai aapko...

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

bahut bahut badhai...

KK Yadav ने कहा…

गंभीर पोस्टों की चर्चा हर जगह होती है...इस उपलब्धि पर यहाँ भी बधाई !!

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

अब मेरे ब्लॉग का नंबर है.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?

Unknown ने कहा…

वाह आकांक्षा जी, आप तो कमाल की निकलीं. आपकी प्रतिभा यूँ ही प्रस्फुटित होती रहे..बधाई.

Unknown ने कहा…

आपकी नव संवत्सर वाली पोस्ट की चर्चा जन्संदेश अख़बार में 10 अप्रैल,2011 के ब्लॉग-लोक में हुई है. उसका जिक्र आपने कहीं नहीं किया है.