20 नवम्बर, 2008 का वो दिन अभी भी याद है...जब मैंने ब्लागिंग-जगत में कदम रखा था. देश भर की तमाम प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित हो रही थी. साहित्य की दुनिया में अपना एक मुकाम बनाने की कोशिश कर रही थी, एक अच्छा-खासा पाठक-वर्ग और शुभ-चिंतकों का वर्ग था, जो न सिर्फ रचनाओं को पसंद करता था बल्कि प्रेरित भी करता था. ऐसे में जब हिंदी-ब्लागिंग के क्षेत्र में कदम रखा तो अंतर्जाल की दुनिया पर एक व्यापक स्पेस मिला. न संपादकों की स्वीकृति-अस्वीकृति का झंझट, प्रतिक्रियाओं के माध्यम से तत्काल ही गुण-दोष का विश्लेषण, कभी भी पढ़े जाने की सुविधा, 'कलम' की बजाय 'अँगुलियों' का कमाल और उस पर से एक नया पाठक-वर्ग. कृष्ण कुमार जी पहले से ही ब्लागिंग में सक्रिय थे, अत: तकनीकी पहलुओं को समझने-जानने में देर नहीं लगी. मुझे ब्लागिंग में सक्रिय करने में उनका संपूर्ण योगदान रहा, और उसके बाद मिली प्रतिक्रियाओं ने तो हौसला-आफजाई ही की. तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने मेरे ब्लॉग पर प्रकाशित पोस्ट को साभार प्रकाशित किया या उधृत किया. 'शब्द-शिखर' ब्लॉग की चर्चा डा. जाकिर अली रजनीश ने 12 अक्टूबर 2011 को 'जनसंदेश टाइम्स' में अपने साप्ताहिक स्तम्भ 'ब्लॉग वाणी' के तहत 'शब्द शिखर पर विराजने की आकांक्षा' शीर्षक के तहत विस्तारपूर्वक की. इस बीच कानपुर से लेकर अंडमान और अब इलाहाबाद तक के सफ़र में बहुत कुछ चीजें जुडती गई..नए-नए अनुभव, वक़्त के साथ परिष्कृत होती लेखनी, नए लोगों के साथ संवाद...!
मेरे लिए ब्लॉग सिर्फ जानकारी देने का माध्यम नहीं बल्कि संवाद, प्रतिसंवाद, सूचना, विचार और अभिव्यक्ति के सशक्त ग्लोबल मंच के साथ-साथ सामाजिक जनचेतना को भी ब्लागिंग से जोड़ना है. 'शब्द-शिखर' ब्लॉग पर मैंने अपनी साहित्यिक-रचनाधर्मिता के साथ-साथ समय-समय पर विभिन्न विषयों और सरोकारों पर बेबाकी से अपने विचार भी अभिव्यक्त किये. इस बीच ब्लागिंग पर तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हुईं और उनमें मैंने अपने आलेखों/चर्चा द्वारा सहभागिता सुनिश्चित की. इसके अलावा भी तमाम पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों में हिंदी ब्लागिंग को लेकर मैंने लेखनी चलाई, ताकि अन्य लोग भी इस विधा से जुड़ सकें.
ब्लागिंग में मैं ही नहीं बल्कि पूरा परिवार ही सक्रिय है. कृष्ण कुमार जी, बेटी अक्षिता (पाखी)...अक्षिता को परिकल्पना समूह द्वारा 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर-2010' एवं आर्ट और ब्लागिंग के लिए भारत सरकार द्वारा 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2011' से भी सम्मानित किया जा चूका है. हाल ही में ”परिकल्पना ब्लॉग दशक सम्मान” के तहत हमें 27 अगस्त 2012 को लखनऊ में आयोजित द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन में “दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दंपत्ति (2003-2012)“ के ख़िताब से भी नवाजा गया. ये सम्मान जीवन में सुखद अहसास देते हैं, और कुछ नया करने की प्रेरणा भी.
'शब्द-शिखर' को आप सबका भरपूर स्नेह और समर्थन मिला और यही कारण है की अगले माह 4 वर्ष पूरे करने जा रहा यह ब्लॉग 300 पोस्टों का सफ़र पूरा कर चूका है. लगभग 68 देशों में देखे-पढ़े जाने वाले इस ब्लॉग का 272 जन अनुसरण कर रहे हैं. 30 सितम्बर, 2012 को इस ब्लॉग की 300वीं पोस्ट ''आकांक्षा यादव को 'हिंदी भाषा-भूषण' की मानद उपाधि'' शीर्षक से प्रकाशित हुई और 301वीं पोस्ट के रूप में ''हिंदी ब्लागिंग को समृद्ध करती महिलाएं" नामक आलेख प्रकाशित किया गया.
तीन शतक (300) के पोस्ट के क्रम में आप सभी का जो भरपूर प्रोत्साहन और स्नेह मिला..उस सबके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार !!
-आकांक्षा यादव
9 टिप्पणियां:
Congrats!
क्या आप Facebook पर अनचाही Photo Tagging से परेशान हैं?
badhaii
ढेरों शुभकामनायें।
badhai....
hamne bhi shayad 2008 me hi May me join kiya tha blog ko... :)
सफलताओं का यह क्रम अनवरत चलता रहे.शुभकामनाएं!
सफल ब्लॉग्गिंग के लिए बधाइयाँ ... भविष्य के लिए शुभकामनाएं ...
बेहतरीन 300 ..हम तो अभी बहुत पीछे हैं. आपकी लेखनी धारदार है, उसे बनाये रहें..बधाइयाँ.
आपकी अद्भुत ब्लॉगधर्मिता का कमाल है..असीम मुबारकवाद.
आकांक्षा जी, शब्द-शिखर पर आपकी रचनात्मक अभिरुचियाँ प्रभावित करती हैं। 300 पोस्ट पूरी होने पर बहुत सारी शुभकामनायें और बधाई। .
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