वर्तमान साहित्य में नारी पर पर्याप्त मात्रा में लेखन कार्य हो रहा है, पर कई बार यह लेखन एकांगी होता है। यथार्थ के धरातल पर आज भी नारी-जीवन संघर्ष की दास्तान है। नारी बहुत कुछ कहना चाहती है पर मर्यादाएं उसे रोकती हैं। कई बार ये अनकही भावनाएं डायरी के पन्नों पर उतरती हैं या साहित्य-सृजन के रूप में। पर न्यू मीडिया के रूप में उभरी ब्लागिंग ने नारी-मन की आकांक्षाओं को मानो मुक्ताकाश दे दिया हो। वर्ष 2003 में यूनीकोड हिंदी में आया और तदनुसार तमाम महिलाओं ने हिंदी ब्लागिंग में सहजता महसूस करते हुए उसे अपनाना आरंभ किया। आज 50,000 से भी ज्यादा हिंदी ब्लाग हैं और इनमें लगभग एक चौथाई ब्लाग महिलाओं द्वारा संचालित हैं। ये महिलाएं अपने अंदाज में न सिर्फ ब्लागों पर सहित्य-सृजन कर रही हैं बल्कि तमाम राजनैतिक-सामाजिक-आर्थिक मुददों से लेकर घरेलू समस्याओं, नारियों की प्रताड़ना से लेकर अपनी अलग पहचान बनाती नारियों को समेटते विमर्श, पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण से लेकर पुरूष समाज की नारी के प्रति दृष्टि, जैसे तमाम विषय ब्लागों पर चर्चा का विषय बनते हैं।
हिंदी ब्लागिंग ने महिलाओं को खुलकर अपनी बात रखने का व्यापक मंच दिया है। तभी तो ब्लाॅगिंग का दायरा परदे की ओट से बाहर निकल रहा है। इनमें प्रशासक, डाक्टर, इंजीनियर, अध्यापक, विद्यार्थी, पर्यावरणविद, वैज्ञानिक, शिक्षाविद्, समाजसेवी, साहित्यकार, कलाकार, संस्कृतिकर्मी, रेडियो जाकी से लेकर सरकारी व कारपोरेट जगत तक की महिलाएं शामिल हैं। कामकाजी महिलाओं के साथ-साथ गृहिणियां भी इसमें खूब हाथ आजमा रही हैं। महिलाओं में हिन्दी ब्लागिंग आरम्भ करने का श्रेय इन्दौर की पद्मजा को है, जिन्होंने वर्ष 2003 में ‘कही अनकही‘ ब्लाग के माध्यम से इसकी शुरूआत की। पद्मजा उस समय ‘वेब दुनिया‘ में कार्यरत थीं। फिलहाल पद्मजा का यह ब्लाग अन्तर्जाल पर उपलब्ध नहीं है और उसे उन्होंने हटा दिया है। फिर भी इसे इंटरनेट आर्काइव पर देखा जा सकता है-http://web.archive.org/web/*/http://padmaja.blogspot.com/ आरंभिक हिंदी महिला ब्लागरों में पूर्णिमा वर्मन, प्रत्यक्षा सिन्हा, रचना बजाज, सारिका सक्सेना, सुजाता, नीलिमा, रत्ना, दीना मेहता, निधि श्रीवास्तव, मानोषी चटर्जी, रचना, डा. कविता वाचक्नवी इत्यादि का नाम लिया जा सकता है।
ब्लागिंग में हर क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं अपनी अभिव्यक्तियों को विस्तार दे रही हैं, अतः इनका दायरा भी व्यापक है। ये ब्लॉग सिर्फ साहित्यिक गतिविधियों- कविता, कहानी, लघुकथा, संस्मरण, यात्रा-वृतांत, आप-बीती, निबंध इत्यादि को ही प्राण वायु नहीं दे रहे हैं, बल्कि महिला ब्लागर्स समसामयिक मुद्दों से लेकर राजनैतिक-सामाजिक परिप्रेक्ष्य, भ्रष्टाचार, मंहगाई, पर्यावरण, धार्मिक विश्वास, खान-पान, संगीत, ज्योतिषी इत्यादि तक पर प्रखरता से लिख रही हैं। कभी अस्तित्ववादी विचारों की पोषक सीमोन डी बुआ ने ‘सेकेण्ड सेक्स’ में स्त्रियों के विरूद्ध होने वाले अत्याचारों और अन्यायों का विश्लेषण करते हुए लिखा था कि-“पुरूष ने स्वयं को विशुद्ध चित्त (Being-for- itself : स्वयं में सत्) के रूप में परिभाषित किया है और स्त्रियों की स्थिति का अवमूल्यन करते हुए उन्हें “अन्य” के रूप में परिभाषित किया है व इस प्रकार स्त्रियों को “वस्तु” रूप में निरूपित किया गया है।’’ कहीं-न-कहीं आधुनिक समाज में भी यह प्रवृत्ति मौजूद है और ऐसे में ब्लॉग स्त्री आन्दोलन, स्त्री विमर्श, महिला सशक्तिकरण और नारी स्वातंत्र्य के हथियार के रूप में भी उभरकर सामने आया है। यहाँ महिला की उपलब्धि भी है, कमजोरी भी और बदलते दौर में उसकी बदलती भूमिका भी।
हर महिला-ब्लागर का अपना अनूठा अंदाज है, अपनी विशिष्ट प्रस्तुति है। यहाँ भिन्न-भिन्न रूपों में पाएंगें- कुछ अनुभव, कुछ अहसास, कुछ शब्द, कुछ चित्र। वर्तमान में ‘चोखेर बाली‘ एवं ‘नारी‘ जैसे सामुदायिक ब्लागों पर नारियों से जुड़े मुद्दों पर जमकर बहस हो रही है। यहाँ समाज में व्याप्त स्त्री के प्रति भेदभाव से लेकर लैंगिक हिंसा और पुरुषवादी दर्प को चुनौती तक शामिल है। स्त्री प्रश्नों पर केन्द्रित हिन्दी का पहला सामुदायिक ब्लॉग ‘चोखेर बाली‘ को माना जाता है, जिसे 4 फरवरी 2008 को सुजाता तेवतिया और रचना ने आरंभ किया। इसके शीर्षक पर लिखे शब्दों पर गौर करें, जो कि इस ब्लॉग के आरंभ होने की कहानी खुद ही बयां करता है- ”धूल तब तक स्तुत्य है जब तक पैरों तले दबी है, उड़ने लगे, आंधी बन जाए..तो आंख की किरकिरी है, चोखेर बाली है।” नारीवादी विमर्श को प्रखरता से उठाने के चलते चंद समय में ही इस ब्लाग से तमाम ब्लागर व लेखक जुड़ते गए। इस ब्लाग की एक खासियत यह भी है कि इस पर महिला व पुरुष समान रूप से लिख सकते हैं। वर्तमान में इससे 43 से ज्यादा ब्लागर्स जुड़े हुए हैं एवं इस पर लगभग 515 पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं, जो कि इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है। ‘चोखेर बाली‘ कई बार पीडि़त महिलाओं की व्यथा को जस का तस देने के लिए भी चर्चा में रहा। 5 अप्रैल 2008 को रचना ने एक अन्य सामुदायिक ब्लाग ‘नारी‘ का आरम्भ किया।
जहाँ ‘चोखेर बाली‘ नारी-पुरुष दोनों को लिखने का मौका देती है, वहीं ‘नारी‘ ब्लाग पर सिर्फ महिलाएं ही लिख सकती हैं। स्पष्ट है कि यह पहला ऐसा सामुदायिक हिन्दी ब्लाग है जिस पर सिर्फ नारियाँ ही लिख सकती हैं। नारी ब्लॉग के ऊपर लिखा वाक्य इसकी भूमिका को स्पष्ट करता है- ”जिसने घुटन से अपनी आजादी खुद अर्जित की एक कोशिश नारी को ’जगाने की’, एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार है और लिंगभेद/जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत है और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी। बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है।” इस ब्लाग के सम्बंध में एक अन्य बात गौरतलब है कि यहाँ सिर्फ गद्य पोस्ट ही प्रकाशित हो सकती हैं, पद्य रचनाओं के लिए ”नारी का कविता ब्लॉग” है। ‘नारी‘ ब्लाग में जहाँ नारी सशक्तीकरण के तमाम आयामों को प्रस्तुत किया गया, वहीं कई गंभीर बहसों को भी जन्म दिया। इस पर लगभग 1040 से ज्यादा पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं, जो कि इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है। रचना को ब्लागिंग जगत में अपनी धारदार टिप्पणियों के लिए भी जाना जाता है। हालाँकि 15 अगस्त, 2011 से नारी ब्लॉग का सामुदायिक रूप खत्म कर इसे व्यक्तिगत ब्लॉग बना दिया गया था, पर 15 अगस्त, 2012 से इसने पुन: सामुदायिक रूप धारण कर लिया है। वर्तमान में इससे 22 से ज्यादा महिला ब्लागर्स जुडी हुई हैं.
आज की महिला यदि संस्कारों और परिवार की बात करती है तो अपने हक के लिए लड़ना भी जानती है। ऐसे में नारियों के ब्लॉग पर स्त्री की कोमल भावनाएं हैं तो दहेज, भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, आनर किलिंग, सार्वजनिक जगहों पर यौन उत्पीड़न, लिव-इन-रिलेशनशिप, महिला आरक्षण, सेना में महिलाओं के लिए कमीशन, न्यायपालिका में महिला न्यायधीशों की अनदेखी, फिल्मों-विज्ञापनों इत्यादि में स़्त्री को एक ‘आबजेक्ट‘ के रूप में पेश करना, साहित्य में नारी विमर्श के नाम पर देह-विमर्श का बढ़ता षडयंत्र, नारी द्वारा रुढि़यों की जकड़बदी को तोड़ आगे बढ़ना....जैसे तमाम विषयों के बहाने स्त्री के ‘स्व‘ और ‘अस्मिता‘ को तलाशता व्यापक स्पेस भी है। साहित्य की विभिन्न विधाओं से लेकर प्रायः हर विषय पर सशक्त लेखन और संवाद स्थापित करती महिला हिंदी ब्लागर, ब्लागिंग जगत में काफी प्रभावी हैं। चर्चित जाल-पत्रिका ’अभिव्यक्ति’ और ’अनुभूति’ का संपादन करने वाली पूर्णिमा वर्मन का नाम वेब पर हिंदी की स्थापना करने वालों में सर्वोपरि है। वर्ष 2004 में ’अभिव्यक्ति‘ पत्रिका में चर्चित हिंदी ब्लागर रवि रतलामी द्वारा लिखित हिन्दी में ब्लागिंग पर प्रथम आलेख ”अभिव्यक्ति का नया माध्यम: ब्लाग” प्रकाशित कर उन्होंने तमाम लोगों को ब्लागिंग से जुड़ने में मदद की। सम्प्रति संयुक्त अरब अमीरात में रह रहीं एवं विकिपीडिया के प्रमुख प्रबंधकों में से एक पूर्णिमा वर्मन ने प्रवासी और विदेशी हिंदी लेखकों और लेखिकाओं को प्रकाशित करने तथा हिंदी के साथ उनका सेतु-सम्बन्ध जोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई है। इसी प्रकार रश्मिप्रभा ने आनलाइन कवि सम्मेलन को लोकप्रिय बनाया तो संगीता पुरी ’गत्यात्मक ज्योतिष’, ’फलित ज्योतिष: सच या झूठ’ के बारे में बता रही हैं।
आकांक्षा यादव ‘उत्सव के रंग‘ बिखेर रही हैं तो ‘खाना खजाना‘ (गरिमा तिवारी), ‘खान-पकवान’, ‘खाना मसाला‘ (उर्मि चक्रवर्ती) को समेटते ब्लाग अपने जायकों से किसी के भी मुँह में पानी ला सकते हैं। रंजना भाटिया ‘अमृता प्रीतम की याद में‘ लिख रही हैं तो डा० हरदीप संधु ‘हिंदी हाइकु‘ को ब्लाग-जगत में समृद्ध कर रही हैं। विदेश में बैठकर रानी पात्रिका ‘आओ सीखें हिन्दी‘ का आहवान कर रही हैं, वहीं डा० कविता वाचक्नवी ‘हिंदी भारत‘ एवं ‘वेब प्रौद्योगिकी (हिंदी)‘ को बढ़ावा दे रही हैं। पूर्वोत्तर व कश्मीर में आतंकवाद के विरूद्ध लड़ने वालों हेतु प्रतीकात्मक रूप में ‘हमारी बहन शर्मीला‘ (मणिपुर की इरोम चानू शर्मीला जो पिछले 9 सालों से धरनारत हैं) ब्लाग भी दिखेगा। किन्नर भी ब्लागिंग के क्षेत्र में हैं और बाकायदा हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा (अर्धसत्य) इस क्षेत्र में प्रथम नाम है। ’शेयर बाजार और ऊर्जा चिकित्सा’ में भला कया संबध हो सकता है, गरिमा तिवारी मनोयोग से बताती हैं। अलका मिश्रा ’मेरा समस्त’ के माध्यम से बता रही हैं कि जडी बूटियाँ हमारा खजाना हैं, न विश्वास हो तो आजमा कर देखें। लबली गोस्वामी वेब निर्माण संबंधित प्रोग्रामिंग भाषाओं एवं वेब से जुडे़ तकनीकी पहलुओं को ‘संचिका‘ में समेट रही हैं।
नारीवादी सिद्धान्तों की साधारण शब्दों में व्याख्या और नारी की कुछ समस्याओं के कारणों की खोज और समाधान ढ़ूँढ़ने का प्रयास ’नारीवादी-बहस’ में है। इसकी संचालिका आराधना चतुर्वेदी ‘मुक्ति‘ कितनी साफगोई से लिखती हैं -”कुछ खास नहीं, बस नारी होने के नाते जो झेला और महसूस किया, उसे शब्दों में ढालने का प्रयास कर रही हूँ। चाह है, दुनिया औरतों के लिए बेहतर और सुरक्षित बने।” ऐसे ही तमाम विषय हैं, जिन पर महिला ब्लागर्स प्रखरता से लिख रही हैं।
यहाँ एक बात और गौर करने लायक है कि हिंदी में ब्लागिंग करने वाली महिलाएं सिर्फ हिंदी-बेल्ट तक ही नहीं सीमित हैं, बल्कि इनमें जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत एवं दक्षिण भारत तक की महिलाएं शामिल हैं। भारत से चर्चित महिला ब्लागरों में निर्मला कपिला (वीर बहूटी), Mired Mireg (घूघूती बासूती), रचना (नारी, बिना लाग लपेट के जो कहा जाए वही सच है), आकांक्षा यादव (शब्द शिखर, सप्तरंगी प्रेम, उत्सव के रंग, बाल दुनिया), हरकीरत हीर (हरकीरत ‘हीर‘), आर0 अनुराधा (इंद्रधनुष, समवेत), रचना सिंह (बस ऐसे ही, बस यूं ही, शब्द, नारी का कविता ब्लॉग, ब्लॉगर रचना का ब्लॉग बिना लाग लपेट के जो कहा जाए वही सच है, नारी NAARI), कविता रावत (kavita Rawat), रश्मि प्रभा (मेरी भावनाएं, क्षणिकाएं, नज्मों की सौगात, वट वृक्ष), रश्मि रविजा (मन का पाखी), रश्मि स्वरूप (नन्हीं लेखिका), शेफाली पांडे (कुमाऊंनी चेली), रेखा श्रीवास्तव (यथार्थ, मेरा सरोकार, कथा-सागर, मेरी सोच), रेखा (राहें जो अनजानी सी थी, मैंने पढ़ी है), रेखा रोहतगी (Rekha Rohatgi), शोभना चैरे (मेरी कविताओं का संग्रह, अभिव्यक्ति), लता ‘हया‘ (हया), फिरदौस खान (मेरी डायरी, The Pardise), संगीता पुरी (गत्यात्मक ज्योतिष, फलित ज्योतिष: सच या झूठ), संगीता स्वरूप (बिखरे मोती, गीत...मेरी अनुभूतियाँ), सुमन मीत (अर्पित सुमन, बावरा मन), मनीषा कुलश्रेष्ठ (बोलो जी), वीणा श्रीवास्तव (वीणा के सुर), वाणी गीत (गीत मेरे, ज्ञानवाणी), अजित गुप्ता (अजित गुप्ता का कोना), संध्या गुप्ता (संध्या गुप्ता), प्रतिभा कटियार (प्रतिभा की दुनिया), नमिता राकेश (नमिता राकेश), डा0 स्वाति तिवारी (शब्दों के अक्षत), प्रत्यक्षा सिन्हा (प्रत्यक्षा), अलका मिश्र (साहित्य हिन्दुस्तानी, मेरा समस्त), वंदना अवस्थी दुबे (अपनी बात, जो लिखा नहीं गया, किस्सा-कहानी), रजनी नैयर मल्होत्रा (मेरे मन की उलझन), मीनू खरे (उल्लास), पुनीता (हमारा बचपन, नारी जगत), रंजना सिंह (संवेदना संसार), रंजना (रंजू) भाटिया (साया, अमृता प्रीतम की याद में, कुछ मेरी कलम से), आराधना चतुर्वेदी ‘मुक्ति‘ (aradhana-आराधना का ब्लॉग, नारीवादी-बहस, Feminist Poems), डा0 मीना अग्रवाल (टमाटर-2), किरण राज पुरोहित नितिला (भोर की पहली किरण, मेरी कृति), गरिमा तिवारी (खाना खजाना, शेयर बाजार और ऊर्जा चिकित्सा, मैं और कुछ नहीं), पारुल पुखराज (सरगम, चांद पुखराज का), सीमा गुप्ता (My Passion, kuchlamhe), सीमा रानी (काहे नैना लागे, कुछ कवितायें कुछ हैं गीत), सीमा सचदेव (खट्टी-मीठी यादें, सञ्जीवनी, मानस की पीड़ा, मेरी आवाज, नन्हा मन), डा0 मोनिका शर्मा (परवाज....शब्दों के पंख), स्वाति ऋषि चड्ढा (मेरे एहसास भाव), ज्योत्सना पांडेय (ज्योत्सना मैं), पूनम श्रीवास्तव (झरोखा), अपर्णा मनोज भटनागर (मौलश्री), अनामिका ‘सुनीता‘( अनामिका की सदायें, अभिव्यक्तियाँ), सुशीला पुरी (सुशीला पुरी), नीलम पुरी (Ahsas), मृदुला प्रधान (Mridula's blog), विनीता यशस्वी (यशस्वी), वंदना गुप्ता (जिन्दगी एक खामोश सफर, जख्म जो फूलों ने दिये, एक प्रयास), शारदा अरोरा (गीत-गजल, जिन्दगी के रंग दोस्तों के संग, जीवन यात्रा, एक दृष्टिकोण, सफर के सजदे में), रचना त्रिपाठी (टूटी-फूटी), प्रिया (एक नीड़ ख्वाबों,ख्यालों और ख्वाहिशों का, जीवन के रंग मेरी तूलिका के संग), डा0 निधि टंडन (जिंदगीनामा), फौजिया रियाज (अल्फाज), सीमा सिंघल (सदा), डॉ. जेन्नी शबनम (लम्हों का सफर), मुदिता (एहसास अंतर्मन के), सुषमा ’आहुति’ (आहुति), साधना वैद (Sudhinamaa), प्रवीणा जोशी (रेत पर बनते निशान), शेफाली श्रीवास्तव (मेरे शब्द), दर्शन कौर धनोय (मेरे अरमान.. मेरे सपने), इस्मत जैदी (शेफा कजगाँवी), ऋचा (Lamhon ke jharokhe se), स्तुति पांडेय (शान की सवारी), कंचन सिंह चौहान (ह्नदय गवाक्ष), पल्लवी त्रिवेदी (कुछ एहसास), हर्ष छाया (जींस गुरू), विभा रानी (छम्मकछल्लो कहिस), लवली कुमारी (संचिका), शमा (सिमटे लम्हें), मीनाक्षी पन्त (एक नजर इधर भी, सुविचार), अपर्णा त्रिपाठी (Palash पलाश), सुमन जिंदल (Kshitij), शहरोज अनवरी (साझी संस्कृति), सुषमा सिंह (चिट्ठी जगत), प्रियदर्शिनी तिवारी (प्रियदर्शिनी), सोनल रस्तोगी (कुछ कहानियाँ, कुछ नज्में), महेश्वरी कनेरी (अभिव्यंजना), असीमा भट्ट (असीमा), डा. किरण मिश्रा (किरण की दुनिया), आशा (Akanksha), पवित्रा अग्रवाल (लघु कथा, बाल किशोर), प्रीति महेता (Antrang - The InnerSoul), सुधाकल्प (तूलिका सदन, बचपन के गलियारे, बाल कुंज), (ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड), रुचि झा (Aagaaz), शबनम खान (क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलती), स्वप्न मंजूषा अदा (काव्य मंजूषा), नीलम (पाखी- मेरी उम्मीद, क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार), रमा दिवेदी (अनुभूति कलश), मीनू खरे (उल्लास, Science is interesting), गायत्री शर्मा (मीठी मालवी), बेजी जैसन ( दृष्टिकोण, अवलोकन, मेरी कठपुतलियाँ), दीप्ति गुप्ता (दीप्ति गुप्ता), मीनाक्षी अरोड़ा (सुजलाम- इधर- उधर से), पूजा उपाध्याय (लहरें), प्रियंका राठौड़ (विचार प्रवाह), संध्या शर्मा (मैं और मेरी कविताएँ), विश्व महिला परिवार इत्यादि एक लम्बी सूची है, जो अनवरत अपनी रचनात्मक पहल से हिन्दी ब्लागिंग को समृद्ध कर रही हैं। हिंदी में ब्लागिंग करने वाली महिलाओं के बारे में Woman Who Blog In Hindi ब्लॉग, http://hindibloggerwoman.blogspot.com/ और ’महिलावाणी’ एग्रीगेटर पर भी विस्तार से देखा जा सकता है।
हिन्दी ब्लागिंग में महिलाओं की सक्रियता सिर्फ भारत तक ही नहीं बल्कि विदेशों तक विस्तारित है। इनमें शारजाह, संयुक्त अरब अमीरात से पूर्णिमा वर्मन (चर्चित जाल-पत्रिका अभिव्यक्ति और अनुभूति की सम्पादिका, चोंच में आकाश, अभिव्यक्ति मंच, एक आंगन धूप, साहित्य समाचार, शुक्रवार चैपाल), आबूधाबी, संयुक्त अरब अमीरात से अल्पना वर्मा (व्योम के पार, भारत दर्शन), दुबई, संयुक्त अरब अमीरात से मीनाक्षी धन्वन्तरी (प्रेम ही सत्य है), कनाडा से स्वप्न मंजूषा शैल ‘अदा‘ (काव्य मंजूषा, संतोष शैल, ब्लाग रेडियो), पर्थ, आस्ट्रेलिया से उर्मि चक्रवर्ती (गुलदस्ते-ए-शायरी, कवितायें), डा० हरदीप संधू (शब्दों का उजाला, हिंदी हाइकु), डॉ० भावना कुँअर (दिल के दरमियाँ, शाख के पत्ते - लीलावती बंसल), सिंगापुर से श्रद्धा जैन (भीगी गजल), लंदन से शिखा वाष्र्णेय (स्पंदन), यू0के0 से डा0 कविता वाचक्नवी (हिन्दी भारत, वागर्थ, पीढि़याँ, वेब-प्रोद्यौगिकी (हिन्दी),Beyond the second Sex (स्त्री विमर्श), पल्लवी (मेरे अनुभव), अमेरिका से लावण्या शाह (लावण्यम - अंतर्मन), आशा जोगलेकर (स्वप्न रंजिता, श्रीमद्भागवत व्यंजनम्), डा0 सुषमा नैथानी (स्वप्नदर्शी), गिरिबाला जोशी (द ग्रिस्ट मिल: आटा चक्की), रानी विशाल (काव्य तरंग), वंदना सिंह (कागज मेरा मीत है कलम मेरी सहेली), पोर्टलैंड से रानी पात्रिक (आओ सीखें हिन्दी), थाईलैंड से डा0 दिव्या श्रीवास्तव (Zeal), स्वीडन से अनुपमा पाठक (अनुपम यात्रा...की शुरूआत), क्वालालंपुर, मलेशिया से अनुपमा त्रिपाठी (anupama's sukrity) इत्यादि नाम लिये जा सकते हैं।
कहते हैं बच्चों की प्रथम शिक्षक माँ होती है। माँ की लोरियाँ, लाड-दुलार व खेल-खेल में बताई गई बातें ही बच्चों का परिवेश तैयार करते हैं और उन्हें अपने संस्कारों से परिचित कराते हैं। ऐसे में तमाम महिलाएं नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए भी तमाम ब्लाग संचालित कर रही हैं। इनमें बाल-मन से जुडे तमाम सवाल हैं, बालोपयोगी साहित्य है, प्रेरक प्रसंग हैं, बच्चों से जुड़ी तमाम रचनाएं व बातें हैं। इन ब्लागों में प्रमुख हैं- बाल दुनिया (आकांक्षा यादव), बाल संसार (किरण गुप्ता), बाल सभा (डा० कविता वाचक्नवी), बाल कुंज, बचपन के गलियारे (सुधा कल्प), बाल वृंद (अपराजिता), नन्हा मन (सीमा सचदेव), बच्चों की दुनिया (शन्नू), लाडली (बेटियों का ब्लाग: सदा), खिलौने वाला घर (रश्मि प्रभा), मेरा आपका प्यारा ब्लॉग, नन्हे फरिश्तों के लिए हम तो हर पल जिए (शिखा कौशिक), पाखी-मेरी उम्मीद (नीलम),Baby Notes (मोनिका शर्मा), पार्थवी (इंदु अरोड़ा), बाल किशोर (पवित्रा अग्रवाल), मन के रंग (कार्तिका सिंह)। ऐसे ही तमाम ब्लाग अपनी पोस्ट से बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी रिझा रहे हैं ।
जब घर में मम्मी व अन्य ब्लागिंग कर रहे हों तो भला बेटियाँ इससे पीछे कैसे रह सकती हैं? आखिर ये 21वीं सदी की बेटियाँ हैं जो वक्त के माथे पर नई इबारत लिखने को तत्पर हैं । बेटियों के इन ब्लॉगों पर उनके हँसने-रोने, रूठने-मनाने, खेलने-कूदने, सीखने-सिखाने की बातें हैं तो उनकी बनाई ड्राइंग, उनकी दिनचर्या, उनका घूमना-फिरना, उनकी शरारतें, स्कूल की बातें, बर्थ-डे पार्टियाँ, उनकी प्यारी-प्यारी बातें सब कुछ यहाँ मिलेंगीं और इन बेटियों के लिए यह काम उनके मम्मी-पापा करते हैं। बेटियों से जुड़े प्रमुख ब्लाग हैं- पाखी की दुनिया (अक्षिता : पाखी), नन्हीं परी (इशिता जैन), चुलबुली (चुलबुल), लविजा | Laviza (लविज़ा), अक्षयांशी (अक्षयांशी सिंह सेंगर), अनुष्का (अनुष्का जोशी),kritika choudhary (कृतिका चैधरी), पंखुरी टाइम्स (पंखुरी), Angel(अनन्या साहू), परी कथा (मानसी), चुन चुन गाती चिडि़या (पाखी), नन्हीं कोपल (कोपल कोकास), कुहू का कोना (कुहू), Little Fingers(चिन्मयी) इत्यादि। बच्चों की मासूमियत और नटखटपन के गवाह बनते ये ब्लॉग काफी लोकप्रिय हैं। इनमें अक्षिता (पाखी) को तो हिंदी साहित्य निकेतन, परिकल्पना डॉट कॉम और नुक्कड़ डॉट कॉम की त्रिवेणी द्वारा हिंदी भवन, नई दिल्ली में 30 अप्रैल, 2011 को आयोजित भव्य अन्तराष्ट्रीय ब्लागर्स सम्मलेन में श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर हेतु ”हिंदी साहित्य निकेतन परिकल्पना सम्मान-2010” दिया गया। यह सम्मान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ”निशंक” द्वारा चर्चित साहित्यकार अशोक चक्रधर, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र, प्रभाकर श्रोत्रिय जैसे गणमान्य साहित्यकारों की गौरवमयी उपस्थिति में दिया गया।
अक्षिता (पाखी) का चित्र चर्चित बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने अपनी पुस्तक ‘चूं-चूं‘ के कवर-पेज पर भी दिया। इतनी कम उम्र में अक्षिता के एक कलाकार एवं एक ब्लागर के रूप में असाधारण प्रदर्शन हेतु भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ ने ’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, 2011’ भी प्रदान किया। इसके तहत अक्षिता को 10,000 रूपये नकद राशि, एक मेडल और प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया। मात्र 4 साल 8 माह की आयु में ’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ प्राप्त कर नन्हीं ब्लागर अक्षिता ने एक अनूठा कीर्तिमान बनाया है। यही नहीं यह प्रथम अवसर था, जब किसी प्रतिभा को सरकारी स्तर पर हिंदी ब्लागिंग के लिए पुरस्कृत-सम्मानित किया गया। चुलबुल तो अपनी हर बात प्यारा सी चित्र बनाकर करती है। ऐसे ही बेटियों का हर ब्लाग अनूठा है। तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने इनकी इस क्रिएटिवटी को लेकर फीचर/लेख भी प्रकाशित किए हैं। वाकई बेटियों और उनसे जुड़े ब्लॉगों को देखकर अज्ञेय जी के शब्द याद आते हैं-‘‘भले ही बच्चा दुनिया का सर्वाधिक संवेदनशील यंत्र नहीं है पर वह चेतनशील प्राणी है और अपने परिवेश का समर्थ सर्जक भी। वह स्वयं स्वतन्त्र चेता है, क्रियाशील है एवं अपनी अंतःप्रेरणा से कार्य करने वाला है, जो कि अधिक स्थायी होता है।‘‘
वास्तव में देखा जाय तो ब्लॉगिंग के क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति बड़ी मजबूत है और वे तमाम विषयों पर अपनी रुचि के हिसाब से खूब लिख रही हैं। अपने व्यक्तिगत ब्लॉगों के साथ तमाम सामुदायिक ब्लागों पर भी महिलाएं अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। अन्य ब्लॉगों पर प्रकाशित रचनाओं को महिलाएं खूब प्रोत्साहित कर रही हैं। अपनी लेखनी के जरिए जहाँ तमाम छुए-अनछुए मुद्दों को स्थान दे रही हैं, वहीं 21वीं सदी में तेजी से बढ़ते नारी के कदमों को भी रेखांकित कर रही हैं। कई बार तो कुछ पुरुष ब्लागर्स यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाते और अनाप-शनाप टिप्पणियां भी करते दिखते हैं। पर उन्हें उसी अंदाज में भरपूर जवाब भी मिल रहा है, आखिर यही तो सशक्तीकरण है। यही नहीं महिलाओं के लिए उलूल-जुलल लिखने एवं उन्हें परंपरागत रूढि़वादी बधनों में बाँधने के हिमायती पोस्टों पर अपना वैचारिक प्रतिरोध भी दर्ज कर रही हैं। प्रिंट मीडिया भी विभिन्न ब्लागों की चर्चा में नारियों द्वारा लिखी जा रही पोस्टों को अपने पन्नों पर बखूबी स्थान दे रहा है, ताकि वहाँ भी विमर्श का दायरा खुल सके।
दूसरे शब्दों में कहें तो हिन्दी ब्लागिंग द्वारा नारी सशक्तीकरण को नए आयाम मिले हैं। तमाम महिला-ब्लाॅगर्स सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स- फेसबुक, टिवटर, आरकुट, हाई 5, बिग अड्डा, गूगल प्लस इत्यादि पर भी उतनी ही सक्रिय हैं। कुछेक महिला ब्लागर्स तो इससे परे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में भी सक्रिय हैं। वस्तुतः ब्लाग का सबसे बड़ा फायदा है कि यहाँ कोई सेंसर नहीं है, ऐसे में जो चीज अपील करे उस पर स्वतंत्रता से विचार प्रकट किया जा सकता है। इस क्षेत्र में महिलाओं का भविष्य उज्जवल है, क्योंकि यहाँ कोई रूढि़गत बाधाएं नहीं हैं। जैसे-जैसे हिंदी ब्लागिंग का दायरा बढ़ता गया, वैसे-वैसे इस पर सम्मलेन, सेमिनार, शोध और पुस्तकों का उपक्रम भी आरंभ हो गया। इन सबमें महिला ब्लागर्स ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। मध्य प्रदेश स्थित विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से गायत्री शर्मा ”हिंदी ब्लागिंग के विविध आयाम” विषय पर शोधरत हैं तो पेशे से पत्रकार और ब्लागिंग में सक्रिय सुषमा सिंह भी हिंदी-ब्लाॅगिंग पर शोधरत हैं। स्पष्ट है कि महिलाएं हिन्दी ब्लागिंग को न सिर्फ अपना रही हैं बल्कि न्यू मीडिया के इस अन्तर्राष्ट्रीय विकल्प के माध्यम से अपनी वैश्विक पहचान भी बनाने में सफल रही हैं।
चित्र साभार : www.shabdsharrang.blogspot.com
20 टिप्पणियां:
सबको नमन, साहित्य और ब्लॉगजगत को समृद्ध बनाने के लिये।
सबको नमन
कुछ नए लिंक्स मिले..... शुक्रिया इस सार्थक पोस्ट के लिए
नव -जनसंचार का शिखर ब्लॉग गौरवान्वित महसूस करता है नारी की इस सहभागिता पर .फलो फूलो आबाद रहो .
कुछ ब्लाग्स पर जाता हूँ,जैसे दिव्या जी, काफी समृद्ध लेखन है. सभी को आभार.
आज 14-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
.... आज की वार्ता में ... हमारे यहाँ सातवाँ कब आएगा ? इतना मजबूत सिलेण्डर लीक हुआ तो कैसे ? ..........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
akankshaji bahut mehanat kee hai sab ko blog sankalit karane me dhanyavaad.
विस्तृत विश्लेषण ....
बिल्कुल, जिन लोगों के नाम सामने हैं, वाकई इन सबके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। हिंदी ब्लागिंग में महिलाओं के योगदान को लेकर जब भी चर्चा होगी, इन सबका जिक्र किए बगैर वो चर्चा अधूरी रहेगी।
आपके इस उत्तम प्रयास की भी जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है।
बहुत बहुत शुभकामनाएं...
बहुत बढिया विश्लेषण किया।
आकांक्षा जी आपने बहुत लोगों को इस लेख में जोड़ा है |आपकी महनत को मानना पडेगा |ब्लॉग जगत पर इतनी सारी महिला ब्लोगार्स के एक साथ नाम पढ़ कर बहुत अच्छा लगा और इस बात पर गर्व का भी अनुभव हुआ की महिलाएं भी हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिला कर अपना योगदान दे रही हैं |
आशा
विस्तृत आलेख बहुत से ब्लोगों की जानकारी मिली आपका परिश्रम परिलक्षित हो रहा है बहुत बहुत बधाई आपको
हिन्दी ब्लॉगजगत में महिलाओं की दमदार उपस्थिति को स्थापित करता एवँ सकारात्मक रूप में उनके लेखन को निरूपित करता एक संग्रहणीय आलेख आकांक्षा जी ! आपके गहन विश्लेषण एवँ अकथनीय श्रम को नमन तथा आपको बहुत-बहुत बधाई एवँ शुभकामनायें !
सभी महिला ब्लोगर्स को एक जगह जोड़ने के लिए आभार.. बहुत सुन्दर और विस्तृत विश्लेषण ्के लिए आप को बधाई....
बहुत ही श्रमसाध्य कर्य किया है आपने इस उत्कृष्ट पोस्ट के माध्यम से
आभार सहित लेखन के लिये अनंत शुभकामनाएं
बाप रे इतना लेखा जोखा.कैसे कर लेती हैं इतनी मेहनत.
साहित्य की विभिन्न विधाओं से लेकर प्रायः हर विषय पर सशक्त लेखन और संवाद स्थापित करती महिला हिंदी ब्लागर, ब्लागिंग जगत में काफी प्रभावी हैं...बहुत सुन्दर लिखा आपने. काफी शोधपरक आलेख..जितनी भी बड़ाई करें, कम है.
Randomly reached here ...
Behad creative Blog....
Thanx n Shubhkamnayen !
आकांक्षा जी, आपने तो पूरा शोध ही कर डाला. अब ब्लागिंग पर जल्दी से एक पुस्तक भी लिख डालिए, वैसे भी आपने ब्लागिंग में काफी कार्य किया है.
आकांक्षा जी, बेहद धारदार लेखनी है आपकी । आपने तो सब कुछ एक पोस्ट में समेत लिया। बधाई स्वीकारें
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