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शनिवार, 8 मार्च 2014

जब मिशेल ओबामा ने सलाम किया लक्ष्मी के 'तेजाबी' हौसले को

चेहरे में क्या  रखा है, उड़ान तो हौसलों की होती है।  लक्ष्मी जब भी अपना चेहरा देखती हैं तो यही सोचती होंगी। आखिर वो कैसे भूल सकती हैं कि ये चेहरा वो नहीं है, जिसे देखा था 16 बरस तक शीशे में। ये वो चेहरा भी नहीं है, जो एसिड अटैक से जलकर अपनी पहचान खो रहा था। यहां तक कि ये वो चेहरा भी नहीं है, जो छिप जाना चाहता हो अपने आज के साथ। दरअसल, ये वो चेहरा है जिस पर लिखा है अदम्य साहस, अटूट आत्मबल और अद्भुत आत्मविश्वास। लक्ष्मी को 4 मार्च, मंगलवार रात अमेरिका में 'इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज' अवॉर्ड से नवाजा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने लक्ष्मी को सम्मानित कर उनकी हिम्मत की तारीफ की। गौरतलब है कि  'इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज अवॉर्ड' दुनियाभर में महिलाओं के अधिकारों, समानता और सामाजिक विकास के लिए लड़ने वाली महिलाओं को दिया जाता है। न जाने कितने अवॉर्ड और अभी राह में हैं, लेकिन सबसे बड़ा इनाम जो उन्होंने खुद को दिया, वो है तेज़ाब से जलने के बाद मिले चेहरे के साथ मुस्कुराते हुए दुनिया के सामने आना। 

लक्ष्मी को 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस', 8 मार्च से टेलीविजन पर भी देखा जा सकेगा, एक प्रोग्राम पेश करते हुए। यहां वे उन हौसलों को उड़ान देंगी, जो किसी न किसी वजह से टूट गए या टूटने की कगार पर हैं। अपनी हिम्मत को दूसरों में रोपने की इस कोशिश में लक्ष्मी के साथ खड़े हैं उनके साथी आलोक दीक्षित। दोनों स्टॉप एसिड अटैक के जरिए लड़ रहे हैं एक ऐसी जंग, जिसमें सिर्फ तेजाब नहीं, तेजाबी मानसिकता को मात देनी है। यकीनन, आज लक्ष्मी को देखकर सबसे ज्यादा डरा हुआ होगा वो शख्स जिसने उसके चेहरे को जलाकर उसकी पहचान खत्म करनी चाही थी। 

लक्ष्मी जब 16 साल की थीं, तब दिल्ली में एक व्यक्ति ने उनके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया था। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब की बिक्री के लिए सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया था। लक्ष्मी 2005 में एसिड अटैक की शिकार हुई थी। लक्ष्मी ने सम्मान समारोह में मिशेल ओबामा को तेजाब पीड़ितों की व्यथा पर लिखी अपनी कविता भी सुनाई। अवॉर्ड लेने के बाद  लक्ष्मी ने कहा कि उन्हें खुशी हुई कि मिशेल ओबामा भी उन्हें और उनके काम को जानती हैं। लक्ष्मी के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि 'तेजाब हमले की शिकार महिलाएं दोबारा सामान्य जिंदगी शुरू नहीं कर पातीं। स्कूल, कॉलेज या नौकरी पर जाना छोड़ देती हैं। कुछ तो आत्महत्या कर लेती हैं, लेकिन लक्ष्मी ने ऐसा नहीं किया। उसने दुनिया का सामना किया।' 

इस अवसर पर लक्ष्मी ने जो कविता मिशेल ओबामा को सुनाई-

आपने तेज़ाब मेरे चेहरे पर नहीं, 
मेरे सपनों पर डाला था,
आपके दिल में प्यार नहीं,
तेज़ाब हुआ करता था,
आप मुझे प्यार की नजऱ से नहीं,
तेज़ाब की नजऱ से देखते थे,
मुझे दुख है, इस बात का कि आपका नाम
मेरे तेजाबी चेहरे से जुड़ गया है,
वक्त इस दर्द को कभी मरहम नहीं लगा पाएगा,
हर ऑपरेशन में मुझे तेज़ाब की याद दिलाएगा,
जब आपको यह पता चलेगा की जिस चेहरे को,
आपने तेज़ाब से जलाया, अब मुझे उस चेहरे से प्यार है,
जब आपको यह बात मालूम पड़ेगी,
वो वक्त आपको कितना सताएगा,
जब आपको यह बात मालूम पड़ेगी,
की आज भी मैं जिंदा हूं,
अपने सपनों को साकार कर रही हूं !!


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