भारत में सर्वोच्च न्यायालय के शीर्ष पद पर भले ही कोई महिला अब तक नहीं पहुँची हो, पर पड़ोसी देश नेपाल में भारत के ही बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति शास्त्र में मास्टर डिग्री लेने वाली सुशीला कार्की मुख्य न्यायाधीश के पद पर आसीन हुई हैं । पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में विद्या देवी भंडारी और पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष ओनसारी घरती के बाद शीर्ष पद पर किसी महिला की यह तीसरी नियुक्ति है। इसी के साथ नेपाल में राष्ट्रपति, संसद की स्पीकर और सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, इन तीनों महत्वपूर्ण पद पर महिलाएं आसीन हैं, जो कि नारी-सशक्तिकरण के लिहाज से भी ऐतिहासिक पल है।
नेपाल की न्यायपालिका के 64 साल के इतिहास में पहली बार किसी महिला ने मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला है। 64 वर्षीय सुशीला कार्की ने 11 जुलाई, 2016 को देश के 25वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। कार्की के नाम की सिफारिश 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री केपी ओली की अध्यक्षता वाली संवैधानिक परिषद ने की थी। कार्की को राष्ट्रपति ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। वह पिछले तीन महीने से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम कर रही थीं। विशेष संसदीय समिति ने 10 जुलाई, 2016 को उनके नाम पर मुहर लगाई। नेपाल में किसी संवैधानिक पद पर नियुक्ति के लिए इस समिति की मंजूरी जरूरी होती है। कार्की न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहिष्णुता के लिए जानी जाती हैं।
7 जून 1952 को बिराटनगर के पास एक गांव में जन्मीं कार्की की पहचान भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करने वाली और बिना किसी दबाव के फैसला सुनाने वाले जज के तौर पर रही है। कार्की अपने पिता की सात संतानों में सबसे बड़ी हैं। इनका सम्बन्ध किसान परिवार से है। उनका भारत से भी गहरा नाता रहा है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से सन 1975 में राजनीति शास्त्र में मास्टर डिग्री लेने वाली सुशीला कार्की ने वर्ष 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में अध्ययन के दौरान ही नेपाली कांग्रेस के प्रसिद्ध युवा नेता दुर्गा प्रसाद सुवेदी से मिलने के पश्चात इनका विवाह दुर्गा प्रसाद सुवेदी से हुआ। प्रारम्भ में कार्की ने शिक्षण कार्य किया। 1979 में यह वकालत पेशे में आईं। सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति होने पहले कार्की सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठतम् न्यायाधीश थीं। 22 जनवरी 2009 को सुप्रीम कोर्ट की अस्थायी जज बनीं और 18 नवंबर 2010 को स्थायी जज बन गईं।
- आकांक्षा यादव : Akanksha Yadav @ शब्द-शिखर : http://shabdshikhar.blogspot.in/
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