मित्रता किसे नहीं भाती। यह अनोखा रिश्ता ही ऐसा है जो जाति, धर्म, लिंग, हैसियत कुछ नहीं देखता, बस देखता है तो आपसी समझदारी और भावों का अटूट बन्धन। कृष्ण-सुदामा की मित्रता को कौन नहीं जानता। ऐसे ही तमाम उदाहरण हमारे सामने हैं जहाँ मित्रता ने हार जीत के अर्थ तक बदल दिये। सिकन्दर-पोरस का संवाद इसका जीवंत उदाहरण है। मित्रता या दोस्ती का दायरा इतना व्यापक है कि इसे शब्दों में बांधा नहीं जा सकता। दोस्ती वह प्यारा सा रिश्ता है जिसे हम अपने विवेक से बनाते हैं। अगर दो दोस्तों के बीच इस जिम्मेदारी को निभाने में जरा सी चूक हो जाए तो दोस्ती में दरार आने में भी ज्यादा देर नहीं लगती। सच्चा दोस्त जीवन की अमूल्य निधि होता है। दोस्ती को लेकर तमाम फिल्में भी बनी और कई गाने भी मशहूर हुए-ये तेरी मेरी यारी/ये दोस्ती हमारी/भगवान को पसन्द है/अल्लाह को है प्यारी। ऐसे ही एक अन्य गीत है-ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे/छोड़ेंगे दम मगर/तेरा साथ न छोड़ेंगे। हाल ही में रिलीज हुई एक अन्य फिल्म के गीतों पर गौर करें- आजा मैं हवाओं में बिठा के ले चलूँ/ तू ही-तू ही मेरा दोस्त है।
दोस्ती की बात पर याद आया कि 2 अगस्त को ‘फ्रेण्डशिप-डे‘ है। यद्यपि मैं इस बात से इत्तफाक नहीं रखती कि किसी संबंध को दिन विशेष के लिए बांध दिया जाय, पर उस दिन को इन्ज्वाय करने में कोई हर्ज भी नहीं दिखता। फ्रेण्डशिप कार्ड, क्यूट गिफ्ट्स और फ्रेण्डशिप बैण्ड से इस समय सारा बाजार पटा पड़ा है। हर कोई एक अदद अच्छे दोस्त की तलाश में है, जिससे वह अपने दिल की बातें शेयर कर सके। पर अच्छा दोस्त मिलना वाकई एक मुश्किल कार्य है। दोस्ती की कस्में खाना तो आसान है पर निभाना उतना ही कठिन। आजकल तो लोग दोस्ती में भी गिरगिटों की तरह रंग बदलते रहते हैं। पर किसी शायर ने भी खूब लिखा है-दुश्मनी जमकर करो/लेकिन ये गुंजाइश रहे/कि जब कभी हम दोस्त बनें/तो शर्मिन्दा न हों।
फिलहाल, फ्रेण्डशिप-डे की बात करें तो यह अगस्त माह के प्रथम रविवार को सेलीबे्रट किया जाता है। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा 1935 में अगस्त माह के प्रथम रविवार को दोस्तों के सम्मान में ‘राष्ट्रीय मित्रता दिवस‘ के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था। इस अहम दिन की शुरूआत का उद्देश्य प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उपजी कटुता को खत्म कर सबके साथ मैत्रीपूर्ण भाव कायम करना था। पर कालान्तर में यह सर्वव्यापक होता चला गया। दोस्ती का दायरा समाज और राष्ट्रों के बीच ज्यादा से ज्यादा बढ़े, इसके मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ ने बकायदा 1997 में लोकप्रिय कार्टून कैरेक्टर विन्नी और पूह को पूरी दुनिया के लिए दोस्ती के राजदूत के रूप में पेश किया।
इस फ्रेण्डशिप-डे पर बस यही कहूंगी कि सच्चा दोस्त वही होता है जो अपने दोस्त का सही मायनों में विश्वासपात्र होता है। अगर आप सच्चे दोस्त बनना चाहते हैं तो अपने दोस्त की तमाम छोटी-बड़ी, अच्छी-बुरी बातों को उसके साथ तो शेयर करो लेकिन लोगों के सामने उसकी कमजोरी या कमी का बखान कभी न करो। नही तो आपके दोस्त का विश्वास उठ जाएगा क्योंकि दोस्ती की सबसे पहली शर्त होती है विश्वास। हाँ, एक बात और। उन पुराने दोस्तों को विश करना न भूलें जो हमारे दिलों के तो करीब हैं, पर रहते दूरियों पर हैं।
-आकांक्षा यादव
22 टिप्पणियां:
Happy Friendship Day...Apne bahut Imp. Jankari di..thanks !!
बेहतरीन जानकारी....आपके ब्लॉग की तो आजकल छटा ही देखते बनती है.
बढिया जानकारी --
अच्छा आलेख
आपके एक एक शब्द अच्छे लगते है..और यही कारण है की आजकल शब्द शिखर अपने शिखर को छू रहा है..
सार्थक लिखा है आपने........... पर आज के दौर में सच्चे दोस्त मिलना बहुत ही मुश्किल है............
बहुत अच्छा लिखा है आपने । भाव, विचार, शब्द चयन और प्रस्तुतिकरण के सुंदर समन्वय से रचना प्रभावशाली बन पड़ी है ।
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-इन देशभक्त महिलाओं के जज्बे को सलाम- समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
कहीं पढ़ रखा है कि
एक उम्र कम है हाले दिल सुनाने को,
एक याद काफी है उम्र भर रुलाने को।
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आज भी याद आते हैं वे दोस्त जिनसे अब मिल पाना सम्भव नहीं लगता।
Happy Friendship Day.
"Friendship is sharing of love and tears..
which increases our Confidence and set-off all fears"
............Nice Article.
Nice article on Friendship day.....!! !!!!
पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!
Friendship-day par lajwab jankari...thanks.
मित्रता का बंधन अनमोल है..इस दिवस पर सभी को बधाइयाँ.
आकांक्षा जी, आप इतनी सारगर्भित जानकारियां कहाँ से लाती हैं, जरुर आपके पास जादू का कोई पिटारा है.
ऐतिहासिक सन्दर्भों से लेकर आज तक मित्रता के सफ़र पर दिलचस्प जानकारी...
दिल से खोजिये तो भगवान मिल जाते हैं पर शायद अच्छे मित्र नहीं, यह भी अजूबा है.
शोधपरक पोस्ट..बधाई.
अमेरिकी कांग्रेस द्वारा 1935 में अगस्त माह के प्रथम रविवार को दोस्तों के सम्मान में ‘राष्ट्रीय मित्रता दिवस‘ के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था। इस अहम दिन की शुरूआत का उद्देश्य प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उपजी कटुता को खत्म कर सबके साथ मैत्रीपूर्ण भाव कायम करना था। पर कालान्तर में यह सर्वव्यापक होता चला गया।...Achha gyanvardhan hua.
बहुत खूब..अपने तो दोस्ती का इतिहास ही खंगाल कर रख दिया...इसी कारण तो आपका ब्लॉग चर्चा में बना रहता है.
बहुत खूब..अपने तो दोस्ती का इतिहास ही खंगाल कर रख दिया...इसी कारण तो आपका ब्लॉग चर्चा में बना रहता है.
जब दोस्ती का अर्थ अपनी पहचान खो रहा है, ऐसे में क्या फ्रेंड्सशिपडे?
मेरी समझ से तो यह व्यापारियों के लिए अच्छा मुनाफा कमाने का जरिया और मनचलों के लिए जाल फेकने का एक सुनहरा मौका. ता-जिंदगी कितने लोग दोस्त बने रह सकते हैं आज की स्वार्थी दुनिया में......
ये तो रहे मेरे अपने विचार, पर एक अच्छी और उपयोगी जानकारी और ज्ञानवर्धक लेख प्रस्तुति का आभार और हार्दिक बधाई भी स्वीकार करें.
happy frnd ship day...dost kahna aasaan hota hai,nibhana boht mushkil...ek achhi post...
-दुश्मनी जमकर करो/लेकिन ये गुंजाइश रहे/कि जब कभी हम दोस्त बनें/तो शर्मिन्दा न हों।
waah kya khoob kahi hai baat andar tak pahuch gayi ,aapka ye blog kafi rochak hai ,baari baari sab padhti gayi aur usme doobti bhi .har post ek se badhkar ek .
मित्रता का बंधन अनमोल है.
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