राजकपूर की फिल्म 'जिस देश में गंगा बहती है' की कम्मो के सौंदर्य, लावण्य व कमनीयता का जादू इतना गहरा था कि कई प्रेमियों ने अपनी प्रेमिकाओं का नाम ही कम्मो रख दिया। कम्मो यानी हिन्दी फिल्मों की पहली पहली चर्चित दक्षिण भारतीय अभिनेत्री व मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना. नृत्य की महान रोशनी (नृत्यापेरोली) के नाम से मशहूर पद्मिनी ने हिन्दी, तमिल, मलयालम, तेलुगू व कन्नड़ फिल्मों सहित कुल 250 फिल्मों में काम किया। वैजयन्ती माला, हेमामालिनी, रेखा, श्रीदेवी इत्यादि से बहुत पहले वह दक्षिण से हिन्दी फिल्मों में आयी थीं। जिस देश में गंगा बहती है, मेरा नाम जोकर और आशिक फिल्मों में शोमैन राजकपूर के साथ उनके बेजोड़़ अभिनय ने लोगों को उनका दीवाना बना दिया।
12 जून 1932 को केरल के तिरूवन्तपुरम के पूजाप्परा में थंकअप्पन पिल्लई और सरस्वती अम्मा की दूसरी बेटी के रूप में जन्मी पद्मिनी ने 1949 में फिल्मी जगत में कदम रखा। बड़ी बहन ललिता व छोटी बहन रागिनी के साथ पद्मिनी 'त्रावणकोर सिस्टर्स' के नाम से मशहूर हुयीं। बचपन से ही नृत्यसाधना में रत पद्मिनी से प्रभावित होकर नर्तक उदयशंकर एवं निर्माता एन0 एस0 कृष्णन ने उन्हें 'कल्पना' फिल्म में लिया। उसके बाद मेरा नाम जोकर, जिस देश में गंगा बहती है और आशिक के अलावा उन्होंने वासना, औरत, काजल, अप्सरा, नन्हा फरिश्ता, चंदा और बिजली तथा मुजरिम जैसी हिन्दी फिल्मों में अपने अभिनय के जौहर दिखाए। देवानन्द की एक फिल्म में पद्मिनी व रागिनी दोनों बहनों ने एक साथ काम किया तो तमिल फिल्म थोथू ठोकी में तीनों बहनों ने यादगार अभिनय किया। पद्मिनी ने राजकपूर, एम0 जी रामचंद्रन, शिवाजी गणेशन, राजकुमार, प्रेम नासिर और देवानन्द जैसे मशहूर अभिनेताओं के साथ अपनी चर्चित जोड़ी बनाई।
जानी-मानी दक्षिण भारतीय अभिनेत्री शोभना, पद्मिनी की भतीजी थीं तो उनकी चचेरी बहनें सुकुमारी व अम्बिका भी दक्षिण भारतीय फिल्मों की बहुचर्चित अभिनेत्रियाँ रही हैं. पद्मिनी ने अभिनय के शीर्ष पर पहुँचकर के0 टी0 रामचंद्रन से शादी पश्चात फिल्मी ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कह दिया और अमेरिका में बस गईं. अमेरिका में बसने के पश्चात भी उनकी रचनात्मकता अनवरत् बनी रही तथा उन्होंने अमेरिका में प्रख्यात पद्मिनी स्कूल आॅफ फाइन आर्टस खोला। आज हिन्दी फिल्मों में दक्षिण से आयी हुई कई अभिनेत्रियाँ अपना मुकाम बना चुकी हैं, पर दक्षिण से मुम्बई आने की राह सर्वप्रथम पद्मिनी ने ही दिखायी। पद्मिनी का करीब चार साल पहले 24 सितम्बर 2006 की रात्रि देहावसान हो गया। आज उनकी जन्म-तिथि है...पुनीत स्मरण !!
23 टिप्पणियां:
meri ore se bhi badhayi bhi aur shraddhanjali bhi
achchii jankari thanks...
आभार इस पोस्ट का..पुनीत स्मरण !!
पुनीत स्मरण पद्मिनी जी का,
आशा है टिप्पणी को आप सही परिपेक्ष्य में लेंगी। आपके लेख में प्रयुक्त्त हुए कुछ बिन्दु तथ्यों पर आधारित नहीं लगते हैं।
यह कहना शायद सही नहीं है कि पद्मिनी जी पहली प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं दक्षिण भारत से हिन्दी फिल्मों में आयी हुयी और उन्होने प्रसिद्धि और सफलता के मामले में दक्षिण से आने वाली अभिनेत्रियों के लिये मार्ग प्रशस्त किया। उनकी ही समकालीन, वैजयंती माला और वहीदा रहमान (वैजयंती माला ने तो लगभग पद्मिनी के एक दो साल के बाद ही हिन्दी फिल्मों में कदम रख दिये थे) ने उनसे कहीं बड़ी और स्थायी महत्व वाला प्रदर्शन किया। वैजयंती माला जिस देश में गंगा बहती है, से बरसों पहले नागिन जैसी सुपर हिट फिल्म और देवदास जैसी अमर फिल्म के कारण चर्चित हो चुकी थीं और वहीदा जी भी CID, Pyaasa, Solhva Saal, Kaghaz ke Phhool, 12 o'Clock जैसी चर्चित और बेहद सफल फिल्मों के द्वारा स्टारडम और एक बेहतरीन अभिनेत्री के रुप में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी थीं।
हिन्दी फिल्मों में पद्मिनी जी को बहुत बड़ी सफलता कभी नहीं मिली और राज कपूर की ही दो फिल्मों Jis Desh Mein Ganga Behti Hai Mera Naam Joker को ही उनकी उल्लेखनीय हिन्दी फिल्में माना जा सकता है।
पद्मिनी जी के खिलाफ नहीं है इस टिप्पणी लिखने क मक्सद परन्तु इतिहास और तथ्यों का पूरा न सही पर लगभग सही या निकटतम स्तर पर सही होना शायद अच्छा होता है सभी के लिये, उनके लिये भी जिनके बारे में लिखा जा रहा है और उनके लिये भी जो विषय से बहुत परिचित नहीं हैं और पढ़े लेखों के अधार पर अपनी राय बना सकते हैं।
it shows your good grip over industry.
बेहद रोचक जानकारी है
आकांक्षा जी, पद्मिनी जी के बारे में बहुत सुन्दर व सारगर्भित जानकारी दी आपने..आभार .
@ cinemanthan,
माफ़ कीजियेगा, आपकी टिपण्णी पर गौर कर रही थी . पर यह स्वयं में विरोधाभासी लगी. आप खुद स्वीकारते हैं कि वैजयंती माला ने तो लगभग पद्मिनी के एक दो साल के बाद ही हिन्दी फिल्मों में कदम रख दिये थे. ऐसे में स्वयं स्पष्ट है कि पद्मिनी जी ही पहली प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं दक्षिण भारत से हिन्दी फिल्मों में आयी हुयी और उन्होने प्रसिद्धि और सफलता के मामले में दक्षिण से आने वाली अभिनेत्रियों के लिये मार्ग प्रशस्त किया। आज तमाम अभिनेत्रियाँ पद्मिनी जी द्वारा स्थापित मानदंडों से काफी आगे जा चुकी हैं, पर इसका मतलब यह तो नहीं कि पद्मिनी जी का कद उनके आगे बौना हो गया. सफलता के लिए संख्या नहीं बल्कि क्वालिटी का महत्त्व होता है. जिस देश में गंगा बहती है और मेरा नाम जोकर जैसी सफलतम फिल्मों को कम आंकना बुद्धिमानी नहीं कही जा सकती. वैजयंती माला और वहीदा रहमान, पद्मिनी से ज्यादा नाम-कमाऊ हो सकती हैं, पर दक्षिण से आकर हिंदी फिल्मों में नाम कमाने वाली पद्मिनी जी पहली प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं और उन्होने प्रसिद्धि और सफलता के मामले में दक्षिण से आने वाली अभिनेत्रियों के लिये मार्ग प्रशस्त किया। आकांक्षा जी ने जो भी लिखा है, वह एक सच्चाई है. उसे झुठलाना तथ्यों से छेड़छाड़ ही कहा जायेगा.
आज हिन्दी फिल्मों में दक्षिण से आयी हुई कई अभिनेत्रियाँ अपना मुकाम बना चुकी हैं, पर दक्षिण से मुम्बई आने की राह सर्वप्रथम पद्मिनी ने ही दिखायी। आज उनकी जन्म-तिथि है...पुनीत स्मरण....Bahut sundar.
पद्मिनी जी का स्मरण सुखद लगा. उनके बारे में आपने बढ़िया जानकारी दी..
अब तो मुझे भी पद्मिनी जी की कोई फिल्म देखनी होगी...
आप सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार. अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखें.
@ Cinemanthan ji,
आपकी टिपण्णी के लिए आभार. मुझे लगता है कि रश्मि सिंह जी की बात के बाद मुझे कुछ कहने की जरुरत नहीं रह जाती.
महत्वपूर्ण जानकारी...ऐसे लोगों को विस्मृत नहीं किया जाना चाहिए.
पद्मिनी जी के बारे में बहुत पहले पढ़ा था, यादें तरो-ताजा हो गईं..पुनीत स्मरण.
पद्मिनी जी को जानना अच्छा लगा..सारगर्भित जानकारी.
आकांक्षा जी, महिलाओं पर आपकी लेखनी प्रखरता से चलती है..साधुवाद.
अरे यह तो हमें पता ही नहीं था..शानदार जानकारी मिली यहाँ आकर.
पद्मिनी जी की कुछ फ़िल्में हमने भी देखी हैं, वाकई वे एक उम्दा अभिनेत्री थीं.
नींव का स्थान कोई नहीं ले सकता. पद्मिनी जी इसी का उदहारण हैं.
लाजवाब पोस्ट..ज्ञान में वृद्धि हुई.
मेरा नाम जोकर का " मीनू मास्टर " कौन भूल सकता है ।
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