वह पैबंद लगी फ्राक पहने
लालीपाप ले जा रही थी,
मासूम सूरत सहमी-सी
बरबस पूछ लिया
बच्ची, क्या नाम है तुम्हारा
कहां रहती हो
जवाब देने के बजाय
उसने मांगने के लिए फैला दिये हाथ।
(कानपुर से अलका गुप्ता जी ने भेजा. उनकी यह कविता कादम्बिनी के नए पत्ते-स्तम्भ में प्रकाशित हो चुकी है.)
19 टिप्पणियां:
मार्मिक!
aapki samvedana gahari hai
परिचय देने का यह अनुभव मार्मिक लगा।
जवाब देने के बजाय
उसने मांगने के लिए फैला दिये हाथ।
...यही तो बाल-विडंबना है. इस सुन्दर कविता के लिए अलका को बधाई .
जवाब देने के बजाय
उसने मांगने के लिए फैला दिये हाथ।
...यही तो बाल-विडंबना है. इस सुन्दर कविता के लिए अलका को बधाई .
Do,
panktiyon me kitna kuch kagai Alka ji
वह पैबंद लगी फ्राक पहने...
उसने मांगने के लिए फैला दिये हाथ।|
Ek tees si uthti hai en shabdon ki kalpna matra se .......
Bahut hi sanvedanseel kavita hai.
Or haan Akanksha aap ko bhi bahut bahut dhanyabad.
कविता छोटी है, पर बड़े सवाल उठाती है.
आकांक्षा जी, यह देखकर अच्छा लगा कि आप अपने इस ब्लॉग पर कई उभरते हुए रचनाकारों को प्रकाशित कर उन्हें भी प्रोत्साहन देती हैं. आपको इस नेक कार्य के लिए साधुवाद.
मासूमों की व्यथा को अच्छा उकेरा गया इस कविता में..
पढ़कर सोचने पर मजबूर...
एक सच....जो सोचने पर मजबूर करता है .
सवेंदनशील रचना.......बहुत खूब ||
बच्चों की पढ़ाई के कारण नगर में बसे परंतु खेती के कारण बारम्बार गांव की ओर भागना पड़ता है। यह देखकर मन प्रसन्न है कि जो काम मैं करना चाहता था वह चल रहा है। भंडाफोड़ कार्यक्रम मूलतः स्वामी दयानंद जी का ही अभियान है। इसमें मेरी ओर से सदैव सहयोग रहेगा। कामदर्शी की पोल मैंने अपने ब्लॉग पर खोल ही दी है। अनवर को मैं आरंभ से ही छकाता थकाता आ रहा हूं। http://rajeev2004.blogspot.com/2010/04/5-headed-snake-found-in-kukke.html
सबके प्रति समान स्नेह रखने से आप धैर्य का जीवन जी सकते हैं।
मार्मिक व सजीव चित्रण..........
गागर मैं सागर ! बहुत खूब ! आप्के बलोग पर आ कर मन को सकून मिला !
गागर मैं सागर ! बहुत खूब ! आप्के बलोग पर आ कर मन को सकून मिला !
कारुणिक रचना , निराला के भिक्षुक की याद दिलाती हुई .
मृत्युंजय कुमार राय
अलका गुप्ता की यह मासूम कविता 'शब्द-शिखर' पर आप सभी को पसंद आई..आभार.
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