(नवरात्र आरंभ हो चुका है. देवी-माँ की मूर्तियाँ सजने लगी हैं. चारों तरफ भक्ति-भाव का बोलबाला है. दशहरे की उमंग अभी से दिखाई देने लगी है. इस पर क्रमश: प्रस्तुत है कृष्ण कुमार यादव जी के लेखों की सीरिज. आशा है आपको पसंद आयेगी-)
भारत विविधताओं का देश है, अतः उत्सवों और त्यौहारों को मनाने में भी इस विविधता के दर्शन होते हैं। हिमाचल प्रदेश में कुल्लू का दशहरा काफी लोकप्रिय है। एक हफ्ते तक चलने वाले इस पर्व पर आसपास के बने पहाड़ी मंदिरों से भगवान रघुनाथ जी की मूर्तियाँ एक जुलूस के रूप में लाकर कुल्लू के मैदान में रखी जाती हैं और श्रद्धालु नृत्य-संगीत के द्वारा अपना उल्लास प्रकट करते हैं। मैसूर (कर्नाटक) का दशहरा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित है। वाड्यार राजाओं के काल में आरंभ इस दशहरे को अभी भी शाही अंदाज में मनाया जाता है और लगातार दस दिन तक चलने वाले इस उत्सव में राजाओं का स्वर्ण-सिंहासन प्रदर्शित किया जाता है। सुसज्जित तेरह हाथियों का शाही काफिला इस दशहरे की शान है। आंध्र प्रदेश के तिरूपति (बालाजी मंदिर) में शारदीय नवरात्र को ब्रह्मेत्सवम् के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन नौ दिनों के दौरान सात पर्वतों के राजा पृथक-पृथक बारह वाहनों की सवारी करते हैं तथा हर दिन एक नया अवतार लेते हैं। इस दृश्य के मंचन और साथ ही ष्चक्रस्नानष् (भगवान के सुदर्शन चक्र की पुष्करणी में डुबकी) के साथ आंध्र में दशहरा सम्पन्न होता है।
केरल में दशहरे की धूम दुर्गा अष्टमी से पूजा वैपू के साथ आरंभ होती है। इसमें कमरे के मध्य में सरस्वती माँ की प्रतिमा सुसज्जित कर आसपास पवित्र पुस्तकें रखी जाती हैं और कमरे को अस्त्रों से सजाया जाता है। उत्सव का अंत विजयदशमी के दिन ष्पूजा इदप्पुष् के साथ होता है। महाराज स्वाथिथिरूनाल द्वारा आरंभ शास्त्रीय संगीत गायन की परंपरा यहाँ आज भी जीवित है। तमिलनाडु में मुरगन मंदिर में होने वाली नवरात्र की गतिविधयाँ प्रसिद्ध हंै।
गुजरात मंे दशहरा के दौरान गरबा व डांडिया-रास की झूम रहती है। मिट्टी के घडे़ में दीयों की रोशनी से प्रज्वलित ष्गरबोष् के इर्द-गिर्द गरबा करती महिलायें इस नृत्य के माध्यम से देवी का आह्मन करती हैं। गरबा के बाद डांडिया-रास का खेल खेला जाता है। ऐसी मान्यता है कि माँ दुर्गा व राक्षस महिषासुर के मध्य हुए युद्ध में माँ ने डांडिया की डंडियों के जरिए महिषासुर का सामना किया था। डांडिया-रास के माध्यम से इस युद्ध को प्रतीकात्मक रूप मे दर्शाया जाता है। महाराष्ट्र में दशहरे के दौरान नौ दिन तक माँ दुर्गा की पूजा होती है और दसवे दिन माँ सरस्वती की पूजा होती है। कश्मीर में नौ दिनों तक उपवास के बीच लोग प्रतिदिन झील के मध्य अवस्थित माता खीर भवानी मन्दिर के दर्शन के लिए जाते हैं.
(क्रमश : आगामी- जगप्रसिद्ध है बंगाल की दुर्गा पूजा )
25 टिप्पणियां:
बढ़िया जानकारी
दशहरा के विविध रंग देखने को मिल रहेँ हैँ. अच्छी प्रस्तुति.
सुन्दर जानकारी देता हुआ आलेख
सुन्दर लेखन, के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।
बहुत ज्ञानवर्धक और रोचक प्रस्तुति...आभार
पापा ने मुझे भी बताया था ये सब बातें.
एक ही पर्व के भिन्न-भिन्न रूप। प्रयोजन एक मगर अंदाज़ अपने-अपने। मानो,अलग-अलग स्त्रोतों से निकली धाराएं समुद्र में समाहित हो रही हों।
भारतीय पर्वों की यही तो विशेषताएँ हैं!
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जानकारियाँ देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार!
विस्तृत जानकारी जानकार अच्छा लगा , शुभकामनायें !
आज के दिन आपकी रचनाएँ पढ़ रहा हूँ, आभार !
बढ़िया जानकारी ।
महाराष्ट्र में दशहरे के दौरान नौ दिन तक माँ दुर्गा की पूजा होती है और दसवे दिन माँ सरस्वती की पूजा होती है। दशहरा के दौरान गरबा व डांडिया-रास की झूम रहती है।
Nice and informative post . Happy Navratri .
Regards.
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सुंदर लिखा है। क्या दुर्गा सप्तशती का पारायण भी करती हैं ?
बहुत सुंदर जानकारी, अगर बता सके तो जरुर बतायेकि जब हम वर्त रखते हे नवरात्रो मे देवी के नाम से तो क्या टमाटर भी नही खा सकते( प्याज तो हमारे यहां नही खाते)
3/10
अच्छी जानकारी
सुन्दर आलेख. यही विविधता तो हमारी पहचान है.
बहुत अच्छी जानकारी दी.
अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई है आपने. धन्यवाद.
अपना ही आलेख यहाँ पढ़कर अच्छा लगा...एक लम्बे अन्तराल पश्चात्.
आप सभी को नवरात्र की शुभकामनायें !!
दशहरा आने वाला है..अभी से इतनी रोचक जानकारियाँ. ज्ञान भी-मनोरंजन भी....बधाई.
दशहरा के विविध रंग देखने को मिल रहेँ हैँ. अच्छी प्रस्तुति.
आप सभी को नवरात्र की शुभकामनायें !!
बहुत सुन्दर जानकारी मिली...आभार.
आप सभी लोगों ने इस पोस्ट को पसंद किया...आप सभी का आभार.
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