मेरी यह कविता 'इण्डिया टुडे' पत्रिका के परिशिष्ट 'इण्डिया टुडे स्त्री' (3 मार्च, 2010) में प्रकाशित हुई थी। आज 'राष्ट्रीय बालिका दिवस' (24 जनवरी) पर उसे ही यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ-
मैं अजन्मी
हूँ अंश तुम्हारा
फिर क्यों गैर बनाते हो
है मेरा क्या दोष
जो, ईश्वर की मर्जी झुठलाते हो
मै माँस-मज्जा का पिण्ड नहीं
दुर्गा, लक्ष्मी औ‘ भवानी हूँ
भावों के पुंज से रची
नित्य रचती सृजन कहानी हूँ
लड़की होना किसी पाप की
निशानी तो नहीं
फिर
मैं तो अभी अजन्मी हूँ
मत सहना मेरे लिए क्लेश
मत सहेजना मेरे लिए दहेज
मैं दिखा दूँगी
कि लड़कों से कमतर नहीं
माद्दा रखती हूँ
श्मशान घाट में भी अग्नि देने का
बस विनती मेरी है
मुझे दुनिया में आने तो दो !!!
21 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर शब्दों से सन्देश दिया है
मैं तो अभी अजन्मी हूँ
मत सहना मेरे लिए क्लेश
मत सहेजना मेरे लिए दहेज
मैं दिखा दूँगी
कि लड़कों से कमतर नहीं
माद्दा रखती हूँ
श्मशान घाट में भी अग्नि देने का
लाज़वाब..बहुत भावपूर्ण और सार्थक प्रस्तुति...निशब्द कर दिया...आभार
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 25-01-2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
बहुत ही मार्मिक कविता.
सादर
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क्या आज क़े नौजवान नेताजी का पुनर्मूल्यांकन करवा सकेंगे?
हम सबकी यही प्रार्थना है।
मन को छूने वाली रचना .....
सशक्त सन्देश,बहुत सुन्दर.
आज बालिका दिवस है। इस अवसर पर यह एक सार्थक पोस्ट है।
बहुत सुन्दर सन्देश
लाज़वाब..बहुत भावपूर्ण और सार्थक प्रस्तुति...निशब्द कर दिया..
बहुत ही सुन्दर सन्देश इस कविता के माध्यम से...
आप सभी को यह कविता पसंद आई..इसके लिए बहुत-बहुत आभार !!
@ SAngita ji,
इस पोस्ट की चर्चा के लिए आभार. अपना स्नेह बनाये रहें.
ह्रदयस्पर्शी,मर्मस्पर्शी कविता के भावों को लोग समझ कर पालन करें तो बहुत अच्छा हो
सुन्दर संदेश देती मर्मस्पर्शी रचना।
बालिका दिवस पर सुन्दर,सही और सार्थक
बस विनती मेरी है
मुझे दुनिया में आने तो दो !!! ...Man ko chuu gai.
गणतंत्र दिवस की 62 वीं वर्षगाँठ पर आपको हार्दिक शुभकामनायें।
priya akanksha ji
sadar namskar
samaj ki vikrit soch ne hamen yah kahane ko badhya kiya hai .fark aaya hi kyon ? kisne kiya ? kyon kiya ?
meri ek rachna -" beti hi sansar "
ko jarur padhen . aabhar .
बड़ी मर्मस्पर्शी कविता...अच्छी लगी.
अत्यंत सुंदर कविता भाव poord अभिव्यक्ति ...
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