''सखि वसंत आया
भरा हर्ष वन के मन
नवोत्कर्ष छाया.'' (निराला)
भरा हर्ष वन के मन
नवोत्कर्ष छाया.'' (निराला)
वसंत पंचमी का आगमन हो चुका है. एक तरफ वसंत का सुहाना आगमन, वहीँ निराला जी की जयंती..सब कुछ कितना सुहाना लग रहा है. वसंत पंचमी एक ओर जहां ऋतुराज के आगमन का दिन है, वहीं यह विद्या की देवी और वीणावादिनी सरस्वती की पूजा का भी दिन है। इस ऋतु में मन में उल्लास और मस्ती छा जाती है और उमंग भर देने वाले कई तरह के परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
इससे शरद ऋतु की विदाई के साथ ही पेड़-पौधों और प्राणियों में नवजीवन का संचार होता है। प्रकृति नख से शिख तक सजी नजर आती है और तितलियां तथा भंवरे फूलों पर मंडराकर मस्ती का गुंजन गान करते दिखाई देते हैं। हर ओर मादकता का आलम रहता है। आयुर्वेद में वसंत को स्वास्थ्य के लिए हितकर माना गया है। हालांकि इस दौरान हवा में उड़ते पराग कणों से एलर्जी खासकर आंखों की एलर्जी से पीड़ित लोगों की समस्या बढ़ भी जाती है।
वसंत पंचमी को त्योहार के रूप में मनाए जाने के पीछे कई तरह की मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था। इसीलिए इस दिन विद्या तथा संगीत की देवी की पूजा की जाती है। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने का चलन है, क्योंकि वसंत में सरसों पर आने वाले पीले फूलों से समूची धरती पीली नजर आती है।
वसंत पंचमी के पीछे एक मान्यता यह भी है कि इसी दिन भागीरथ की तपस्या के चलते गंगा का अवतरण हुआ था, जिससे समूची धरती खुशहाल हो गई। माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पंचमी पर गंगा स्नान का काफी महत्व है। पुराणों के अनुसार एक मान्यता यह भी है कि वसंत पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार सरस्वती की पूजा की थी और तब से वसंत पंचमी के दिन सरस्वती की पूजा करने का विधान हो गया।
प्राचीन काल में वसंत पंचमी का दिन मदनोत्सव और वसंतोत्सव के रूप में मनाया जाता था। इस दिन स्त्रियां अपने पति की पूजा कामदेव के रूप में करती थीं। वसंत पंचमी के दिन ही कामदेव और रति ने पहली बार मानव हदय में प्रेम एवं आकर्षण का संचार किया था और तभी से यह दिन वसंतोत्सव तथा मदनोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा। वसंत पंचमी इस बात का संकेत देती है कि धरती से अब शरद की विदाई हो चुकी है और ऐसी ऋतु आ चुकी है जो जीव जंतुओं तथा पेड़ पौधों में नवजीवन का संचार कर देगी।
वसंत में मादकता और कामुकता संबंधी कई तरह के शारीरिक परिवर्तन देखने को मिलते हैं जिसका आयुर्वेद में व्यापक वर्णन है। महर्षियों और मनीषियों ने कहा है कि वसंत पंचमी को पूरी श्रद्धा से सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। बच्चों को इस दिन अक्षर ज्ञान कराना और बोलना सिखाना शुभ माना जाता है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है जो सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने का परिचायक है। इस दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा है जो मनुष्य के मन में भरे उल्लास को प्रकट करने का माध्यम है।
12 टिप्पणियां:
सब ऋतुओं का प्यारा बसंत।
बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.
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सादर
वसंत पंचमी पर बहुत सुन्दर पोस्ट...ऋतुराज के आगमन पर शुभकामनायें.
माँ सरस्वती का आशीर्वाद आप पर बना रहे.
बसंत-पंचमी की मंगलकामनाएं.
Vasant ki badhai..
सुन्दर प्रस्तुति
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये.
bahut sunder
aap sabhi ko basant ki bahut bahut subhkamnaye
सुन्दर जानकारीपूर्ण बसंत -आलेख -सरस्वती का आह्वान बंसन्त के आगमन पर इसलिए भी शायद हो ताकि कामदेव के माया विस्तार में हम अपना विवेक न छोड़ें!
बाकी तो कृष्ण अपनी रसात्मकता के चलते कलह ही गए हैं -रितुनाम कुसुमाकरः !
बहुत ही अच्छी जानकारी...........बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.
jeevan me pal-pal basant ho ..
वाकई...वसंत पंचमी जैसा शुभ दिन कोई नहीं.
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