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शनिवार, 13 अगस्त 2011

वृक्षों को रक्षा-सूत्र बाँधकर रक्षाबंधन मनाएं...

आज रक्षाबंधन का पर्व है. यह सिर्फ भाई -बहन से जुड़ा नहीं बल्कि मानवता की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है. हममें से तमाम लोग अपने स्तर पर मानवता को बचने हेतु पर्यावरण संरक्षण में जुटे हुए हैं। इन्हीं में से एक हैं- जीवन के समानांतर ही जल, जमीन और जंगल को देखने वाली ग्रीन गार्जियन सोसाइटी की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुनीति यादव। पिछले कई वर्षों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही एवं छत्तीसगढ़ में एक वन अधिकारी के0एस0 यादव की पत्नी सुनीति यादव सार्थक पहल करते हुए वृक्षों को राखी बाँधकर वृक्ष रक्षा-सूत्र कार्यक्रम का सफल संचालन कर नाम रोशन कर रही हैं। इस सराहनीय कार्य के लिए उन्हें ‘महाराणा उदय सिंह पर्यावरण पुरस्कार, स्त्री शक्ति पुरस्कार 2002, जी अस्तित्व अवार्ड इत्यादि पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। सुनीति यादव द्वारा वृक्ष रक्षा-सूत्र कार्यक्रम चलाये जाने के पीछे एक रोचक वाकया है। वर्ष 1992 में उनके पति जशपुर में डी0एफ0ओ0 थे। वहां प्राइवेट जमीन में पांच बहुत ही सुन्दर वृक्ष थे, जिन्हें भूस्वामी काटकर वहां दुकान बनाना चाहता था। उसने इन पेड़ों को काटने के लिए जिलाधिकारी को आवेदन कर रखा था। अपने पति द्वारा जब यह बात सुनीति यादव को पता चली तो उनके दिमाग में एक विचार कौंध गया। राखी पर्व पर कुछ महिलाओं के साथ जाकर उन्होंने उन पांच वृक्षों की विधिवत पूजा की और रक्षा सूत्र बांध दिया। देखा-देखी शाम तक आस-पास के लोगों द्वारा उन वृक्षों पर ढेर सारी राखियां बंध गई। फिर भूस्वामी को इन वृक्षों का काटने का इरादा ही छोड़ना पड़ा और गांव वाले इन पेड़ों को पांच भाई के रूप में मानने लगे। इससे उत्साहित होकर सुनीति यादव ने हर गांव में एक या दो विशिष्ट वृक्षों का चयन कराया तथा वर्ष 1993 में राखी के पर्व पर 17000 से अधिक लोगों ने 1340 वृक्षों को राखी बांधकर वनों की सुरक्षा का संकल्प लिया और इस प्रकार वृक्ष रक्षा सूत्र कार्यक्रम चल निकला। बस्तर के कोंडागांव इलाके में वृक्ष रक्षा सूत्र अभियान के तहत एक वृक्ष को नौ मीटर की राखी बांधी गई।



याद कीजिए 70 के दशक का चिपको आन्दोलन। सुनीति का मानना है कि चिपको आन्दोलन वन विभाग की नीतियों के विरूद्ध चलाया गया था जबकि वृक्ष रक्षा सूत्र वन विभाग एवं जनता का सामूहिक अभियान है, जिसे समाज के हर वर्ग का समर्थन प्राप्त है। यह सुनीति यादव की प्रतिबद्वता ही है कि वृक्ष रक्षा सूत्र कार्यक्रम अब देश के नौ राज्यों तक फैल चुका है। सुनीति इसे और भी व्यापक आयाम देते हुए ‘‘पौध प्रसाद कार्यक्रम‘‘ से जोड़ रही हैं। इसके लिए वे देश के सभी छोटे-बड़े धार्मिक प्रतिष्ठानों से सम्पर्क कर रही हैं कि वे भक्तों को प्रसाद के रूप में पौधे बांटे, ताकि वे उन पौधों को श्रद्धा के साथ लगायें, पालें-पोसें और बड़ा करें। यही नहीं आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण वृक्ष प्रजातियों, वनौषधियों के बीज पैकेट भी प्रसाद के रूप में बांटे जा रहे हैं। सुनीति यादव का मानना है कि वृक्ष भगवान के ही दूसरे रूप हैं। जब वह कहती हैं कि भगवान शिव की तरह वृक्ष सारा विषमयी कार्बन डाई आक्साइड पी जाते हैं और बदले में जीवन के लिए जरूरी आक्सीजन देते हैं, तो लोग दंग रह जाते हैं। सुनीति यादव का स्पष्ट मानना है कि-‘‘ईश्वर ने हम सभी को पृथ्वी पर किसी न किसी उद्देश्य के लिए भेजा है। आइए, उसके सपनों को साकार करें। धरती पर हरियाली को सुरक्षित रखकर हम जिन्दगी को और भी खूबसूरत बनाएंगे, कच्चे धागों से हरितिमा को बचाएंगे। ताज और मीनार हमारे किस काम के, जब पृथ्वी की धड़कन ही न बच सके। कल आने वाली पीढ़ी को हम क्या सौगात दे सकेंगे? आइए, रक्षाबंधन के इस पर्व पर हम भी ढेर सारे पौधे लगाएं और लगे हुए वृक्षों को रक्षा-सूत्र बंधकर उन्हें बचाएं।‘‘
आप सभी को रक्षा-बंधन पर्व पर ढेरों शुभकामनायें !!



17 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
स्वतन्त्रतादिवस की भी बधाई हो!

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

सुन्दर सन्देश .राखी पर्व पर सभी को बधाई !!

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

सुन्दर सन्देश .राखी पर्व पर सभी को बधाई !!

Unknown ने कहा…

कच्चे धागों से हरितिमा को बचाएंगे। ताज और मीनार हमारे किस काम के, जब पृथ्वी की धड़कन ही न बच सके। कल आने वाली पीढ़ी को हम क्या सौगात दे सकेंगे? आइए, रक्षाबंधन के इस पर्व पर हम भी ढेर सारे पौधे लगाएं और लगे हुए वृक्षों को रक्षा-सूत्र बंधकर उन्हें बचाएं।‘‘ ...Nek pahal..badhai.

Unknown ने कहा…

रक्षाबंधन पर्व पर बधाई !!

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
स्वतन्त्रतादिवस की भी बधाई हो!
अभिव्यंजना..पर आप का स्वागत है...

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं !

सादर

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सार्थक प्रस्तुति..रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उन्हे भी हमारा प्रेम चाहिये।

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

आपने बहुत अच्छी बात कही है। इसी बात को हमने भी अपनी पोस्ट में कहा है।
देखिये
हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा और राखी का मर्म

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

इस आलेख से निकलता हुआ सशक्त सन्देश,आभार.
रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ,
स्वतन्त्रतादिवस की भी बधाई .

Shahroz ने कहा…

वाह, यह राखी का त्यौहार तो बहुत प्यारा है. सुन्दर सन्देश...सारगर्भित पोस्ट !!

Shahroz ने कहा…

वाह, यह राखी का त्यौहार तो बहुत प्यारा है. सुन्दर सन्देश...सारगर्भित पोस्ट !!

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

ईश्वर ने हम सभी को पृथ्वी पर किसी न किसी उद्देश्य के लिए भेजा है। आइए, उसके सपनों को साकार करें। धरती पर हरियाली को सुरक्षित रखकर हम जिन्दगी को और भी खूबसूरत बनाएंगे, कच्चे धागों से हरितिमा को बचाएंगे। ताज और मीनार हमारे किस काम के, जब पृथ्वी की धड़कन ही न बच सके। कल आने वाली पीढ़ी को हम क्या सौगात दे सकेंगे?
Apne suniti yadav ke bare men jankari dete huye ek nek-pahal ki taraf bhi dhyan akrisht kiya...abhar.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

ईश्वर ने हम सभी को पृथ्वी पर किसी न किसी उद्देश्य के लिए भेजा है। आइए, उसके सपनों को साकार करें। धरती पर हरियाली को सुरक्षित रखकर हम जिन्दगी को और भी खूबसूरत बनाएंगे, कच्चे धागों से हरितिमा को बचाएंगे। ताज और मीनार हमारे किस काम के, जब पृथ्वी की धड़कन ही न बच सके। कल आने वाली पीढ़ी को हम क्या सौगात दे सकेंगे?
Apne suniti yadav ke bare men jankari dete huye ek nek-pahal ki taraf bhi dhyan akrisht

Hacker ने कहा…

raksha bandhan ka tevhar bhai and bhano prv h Feel the spirit of Raksha Bandhan festival with these beautiful essays on Rakhi contributed by our visitors! You may also exhibit love for your sibling by sending your reflections on Raksha Bandhan festival or a short paragraph on Rakhi. Your Raksha Bandhan essay will be posted on this website with due acknowledgment to you. Rakhi is a sacred thread embellished with sister's love and affection for her brother. On the day of Raksha Bandhan, sisters tie rakhi on the wrists of their brothers and express their love to them. After receiving the rakhi from a sister, a brother sincerely takes the responsibility of protecting her sister. In Indian tradition, the frangible thread of rakhi is considered even stronger than an iron chain as it strongly binds a brothers and a sisters in the circumference of mutual love and trust. Any Indian festival seems to be incomplete without the traditional Indian festivities, such as gathering, celebrations, exchange of sweets and gifts, lots of noise, singing and dancing. Festivals are the celebration of togetherness as being as a united family and the festival "Raksha Bandhan" is not an exception of this.
Any Indian festival seems to be incomplete without the traditional Indian festivities, such as gathering, celebrations, exchange of sweets and gifts, lots of noise, singing and dancing. Festivals are the celebration of togetherness as being as a united family and the festival "Raksha Bandhan" is not an exception of this.

Hacker ने कहा…

Raksha Bandhan is a popular festival in India, especially North India. The festival depicts the love of brothers and sisters. On this day sisters tie a thread called 'Rakhi' around her brother's wrist. She prays to God for the safety of her brother and to lead him to good path.The brother in return gives her sweets and blesses her with good wishes. The festival should not be celebrated as a formality but should be celebrated whole heartedly.
By.vikas kumar yadav