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गुरुवार, 28 नवंबर 2013

आज ही तो इक बंधन में बंधे थे हम

28 नवम्बर का दिन हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है. आखिर इसी दिन हमारी शादी जो हुई थी.  28 नवम्बर, 2004 (रविवार) को हम कृष्ण कुमार जी के साथ जीवन के इस अनमोल पवित्र बंधन में बंधे थे. आज हमारी शादी के नौ साल पूरे हो गए। वक़्त कितनी तेजी से करवटें बदलता रहा, पता ही नहीं चला। कहते हैं समायोजन निश्चय ही सुखी वैवाहिक जीवन का आधार होता है और हमारे जीवन में भी यही पारस्परिक भाव है. फेसबुक और  पर तमाम मित्रों ने इस शुभ दिन पर हमें बधाइयाँ और शुभकामनायें दी हैं, उन सभी का इस स्नेह के लिए आभार। चलते-चलते डा लाल रत्नाकर जी की  कुछेक पंक्तियाँ और चित्र :



आपके सुखद, सौभाग्यशाली, सुरुचि संपन्न एवं साहित्य समृद्ध जोड़ी के नव वर्ष के पूर्ण होने पर मेरी बहुतेरी हार्दिक शुभ कामनाएं स्वीकारें, आपका यही माधुर्य हमेशा प्रवाहित होता रहे, "न जाने कितने सिविल सर्विसेज  के लोग अवाम से अलग अपनी दुनिया बना लेते हैं'' लेकिन जो अवाम के मध्य अपना माधुर्य बिखेरते हैं उससे उन्हें तो ख़ुशी मिलती ही है साथ ही साथ जन सामान्य भी गौरवान्वित और प्रसन्न होता है. एक कलाकार के नाते हमेशा आपकी भावनाएं हमें उत्साहित करती हैं, उम्र में आधिक होने के बावजूद हमने हमेशा कई बातें सीखने, वरतने आदि का प्रयास किया है. आज मुझे और प्रसन्नता है कि 'आकांक्षा' विगत नव वर्षों से आपकी 'संगती' में निरंतर आपके साहित्यिक सहयात्री के रूप में खड़ी रही हैं. मैं अपनी कुछ रेखाएं आपको इस अवसर पर 'भेंट' करता हूँ.


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