हर दिन अपने में खास होता है। रिश्तों को सेलिब्रेट करने का चाहिए। यह सही है कि किसी रिश्ते या भावना को एक दिन विशेष में नहीं बाँधा जा सकता, पर किसी दिन विशेष पर मौका मिले तो सेलिब्रेट करने में हर्ज भी क्या ? जीवन की इस आपाधापी और दौड़भाग में रिश्तों की अहमियत किसी सी नहीं छुपी है। ऐसे में आज एक खूबसूरत रिश्ते को सेलिब्रेट करने का एक और सु-अवसर है । आज 9 फरवरी को 'वर्ल्ड मैरिज डे' है । 'हैपिली मैरिड' का कॉन्सेप्ट भी इसी थीम पर टिका है, जहां आप दूसरे को इस हद तक स्वीकार करें कि उसकी कमियों के साथ चलने में कोई समस्या न हो। तभी तो कहते हैं, ये रिश्ता जन्मों-जन्मों का। तेरा साथ है तो, फिर क्या कमी ......!
फरवरी के हर द्वितीय रविवार को 'वर्ल्ड मैरिज डे' मनाया जाता है। यह भी अजीब संयोग है कि यह समय होता है वसंत की रुमानियत का, जिसे पश्चिमी देशों में वेलेंटाइन उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान खूब शादियां होती हैं, मुहूर्त का भी कोई झंझट नहीं। यूँ ही नहीं कहा गया है कि यौवन हमारे जीवन का वसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है। चरक संहिता में कहा गया है कि वसंत के दौरान कामिनी और कानन में अपने आप यौवन फूट पड़ता है। यही कारण है कि वसंत पंचमी का उत्सव मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है और तदनुसार वसंत के सहचर कामदेव तथा रति की भी पूजा होती है। इस अवसर पर ब्रजभूमि में भगवान् श्रीकृष्ण और राधा के आनंद-विनोद का उत्सव मुख्य रूप से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता हैं। 'वर्ल्ड मैरिज डे' का कांसेप्ट भले ही पाश्चात्य देशों से आया है, पर वसंत पर्व में इसकी परंपरा अपने भारत देश में बहुत पुरानी रही है।
वर्ल्ड मैरिज डे को पति-पत्नी के मधुर सम्बन्धों के लिए मनाया जाता है। विवाह का रिश्ता हमारे समाज का सशक्त आधार है। इसकी थीम है 'लव वन-अनदर' यानी एक-दूसरे की कमियों को स्वीकार करके अपने जीवन साथी को प्यार करना। समाज में तमाम बदलावों के साथ रिश्तों की कसौटियां भी परिवर्तित हुई हैं। जाहिर है कि विवाह को भी हम इससे बचाकर नहीं चल सकते। तनाव, कमिटमेंट से घबराहट, करियर में आगे बढ़ने की चाह जैसे तमाम कारण हैं, जो लोगों को शादी में व्यवस्थित होने नहीं दे रहे हैं। ऐसे में 'वर्ल्ड मैरिज डे' का कॉन्सेप्ट अपनी एक विशिष्ट जगह रखता है, ताकि लोग प्यार की अगली कड़ी यानी शादी को भी सफल बना सकें।
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