हाल ही में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चयनित पाकिस्तान की किशोर मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को यूएस लिबर्टी मेडल से सम्मानित किया गया है। लिबर्टी मेडल हर साल पुरुषों एवं महिलाओं को साहस व दृढ़ निश्चय के लिए दिया जाता है। यह मेडल वर्ष 1989 के बाद से हर वर्ष दिया जाता है। पहली बार यह पोलिश सॉलिडेरिटी के संस्थापक एल वालेसा को दिया गया था। उसके बाद से यह पुरस्कार हासिल करने वालों में मुहम्मद अली, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर आदि शामिल हैं। पिछले साल यह तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को दिया गया था।मलाला को यूएस लिबर्टी मेडल से सम्मानित करने वाले फिलाडेल्फिया में अमेरिकी नेशनल कंस्टीट्यूशन सेंटर ने कहा कि उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद लोगों की स्वतंत्रता एवं मानवाधिकारों के लिए आवाज उठाने की अपनी हिम्मत व सहिष्णुता के लिए यह पुरस्कार जीता है। मलाला ने 21 अक्टूबर को एक समारोह में यह पुरस्कार स्वीकार किया।
पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने वाली मलाला यूसुफजई अक्टूबर 2012 में सिर्फ 15 साल की थी, जब तालिबान उग्रवादियों ने पाकिस्तान के मिंगोरा स्थित स्कूल से लौटते समय उनके सिर में गोली मार दी थी। मलाला ने तालिबान के शासन के दौरान की जिंदगी के बारे में बीबीसी के लिए लिखा और लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाई थी जिससे चरमपंथी मुस्लिम समूह की त्यौरियां तन गई थीं। मलाला इस वक्त ब्रिटेन में रह रही हैं। अब 17 साल की हो चुकी मलाला ने कहा, ‘लिबर्टी मेडल से नवाजा जाना सम्मान की बात है। मैं दुनिया भर के उन सभी बच्चों की ओर से इस पुरस्कार को स्वीकार करती हूं, जो शिक्षा हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’ मलाला ने पुरस्कार स्वरूप जीती गई एक लाख डॉलर की राशि पाकिस्तान में शिक्षा के लिए समर्पित कर दी है।
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