प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती और न ही किसी भी तरह का रोड़ा उसकी तरक्की के रास्ते को रोक सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बाबा भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी (बीबीएयू), लखनऊ की छात्र रत्ना रावत ने. एमसीए स्टूडेंट रत्ना रावत के पिता बीबीएयू में ही चपरासी हैं और अब रत्ना ने एमसीए में टॉप कर अपने पिता का सिर गर्व से उंचा कर दिया है. रत्ना के पिता बृज मोहन बीबीएयू में ही चपरासी के पद पर कार्यत हैं. उन्हें अपनी बेटी पर बेहद गर्व है. और हो भी क्यों न क्योंकि अब यूनिवर्सिटी में बृजमोहन को लोग चपरासी के तौर पर नहीं बल्कि टॉपर रत्ना रावत की बेटी के तौर पर जानते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी को रत्ना को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया।
रत्ना का यह सफर इतना आसान भी नहीं रहा। इस मुकाम तक पहुँचना कम कठिनाइयों से भरा नहीं था. रायबरेली रोड स्थित कल्लीपूरव गांव के एक छोटे से मकान में रहने वाली रत्ना कहती हैं कि उनके इलाके में बिजली की बहुत समस्या है, ऐसे में उन्हें अपनी पढ़ाई मोमबत्ती की रोशनी में करनी पड़ी.
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