नारी सशक्तिकरण के इस दौर में भी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी उंगलियों पर गिनी जा सकती है । भारतीय राजनीति में एक लम्बे समय से राजनैतिक स्तर पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की बात चल रही है, पर व्यवहारिक स्तर पर इसमें सक्रियता नजर नहीं आती। तभी तो लोकसभा और विधानमंडलों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने वाला बिल अपनी सच्ची नियति को प्राप्त नहीं कर पाया है।
भारतीय राजनीति में कुछेक महिलाएं शीर्ष पर स्थान बनाने में कामयाब हुई हैं। देश की राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, विपक्ष की नेता, कैबिनेट मंत्री और विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्री व राज्यपाल तक महिलाएं पदासीन रही हैं। अगर संसदीय राजनीति में महिलाओं के योगदान की बात करें, तो कुछ चेहरे अनायास ही सामने आ जाते हैं। ये वो चेहरे हैं, जो राजनीति में नारी-सशक्तिकरण के नए प्रतिमान गढ़ती नजर आती हैं। इनके बिना भारत की संसदीय राजनीति में महिला-शक्ति के परचम लहराने का इतिहास अधूरा है। इनके लिए महिला होने का मतलब सिर्फ घर-गृहस्थी से नहीं, बल्कि देश चलाने से भी था। यही वजह है कि आज भी राजनीति की बात होती है, तो इनका नाम स्वतः जुबान पर आ जाता है।
भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रथम महिला केन्द्रीय मंत्री (स्वास्थ्य मंत्री) राजकुमारी अमृत कौर, प्रथम महिला विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, प्रथम महिला रेल मंत्री ममता बनर्जी, प्रथम महिला सांसद राधाबाई सुबरायण, राज्यसभा की प्रथम महिला उपसभापति नजमा हेपतुल्ला, लोकसभा की प्रथम महिला अध्यक्ष मीरा कुमार, लोकसभा में प्रथम महिला प्रतिपक्ष नेता सुषमा स्वराज, प्रथम महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू (उत्तर प्रदेश, 1947), प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी (उत्तर प्रदेश, 1963), प्रथम मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री सैयद अनवरा तैमूर (असोम, 1980), प्रथम दलित महिला मुख्यमंत्री मायावती (उत्तर प्रदेश, 1995), प्रथम महिला विधायक मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी, किसी राज्य की विधान सभा की प्रथम महिला स्पीकर शन्नो देवी जैसी तमाम महिलाओं ने समय-समय पर भारतीय राजनीति को नई ऊँचाइयाँ दी हैं। अभी तक भारत में 20 महिलाएं राज्यपाल बन चुकी हैं, जिसमें राजस्थान की पहली महिला राज्यपाल प्रतिभा पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं।
विभिन्न राज्यों की बात करें 4 अप्रैल 2016 को जम्मू कश्मीर की मुख़्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ़्ती के शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में अब तक 16 महिलाओं ने गद्दी संभाली है। जम्मू और कश्मीर की तेरहवीं और एक महिला के रूप में महबूबा मुफ़्ती राज्य की प्रथम मुख्यमंत्री हैं। महबूबा मुफ्ती से पूर्व वर्ष 1980 में सैयदा अनवरा तैमूर किसी भरतीय राज्य (असम) की पहली मुस्लिम मुख्यमंत्री बनी थीं। इस प्रकार वे देश के किसी राज्य की दूसरी मुस्लिम मुख्यमंत्री हैं। फ़िलहाल, 16 महिला मुख्यमंत्रियों की बात की जाये तो इनमें सुचेता कृपलानी (उत्तर प्रदेश), नंदिनी सत्पथी (ओडिशा), शशिकला काकोदर (गोवा), सैयद अनवरा तैमूर (असोम), जानकी रामचंद्रन (तमिलनाडु), जयललिता (तमिलनाडु), मायावती (उत्तर प्रदेश), राजिंदर कौर भट्टल (पंजाब), राबड़ी देवी (बिहार), सुषमा स्वराज (दिल्ली), शीला दीक्षित (दिल्ली), उमा भारती (मध्य प्रदेश), वसुंधरा राजे (राजस्थान), ममता बनर्जी (प. बंगाल) और आनंदीबेन पटेल (गुजरात), महबूबा मुफ़्ती (जम्मू कश्मीर) शामिल हैं। इस समय राजस्थान, प. बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात और अब जम्मू कश्मीर सहित पाँच राज्यों में महिला मुख्यमंत्री पदासीन हैं। अभी भी ऐसे तमाम राज्य हैं, जहाँ महिला मुख्यमंत्री नहीं बन सकी हैं। जब तक राजनीति में महिलाओं की संख्या नहीं बढ़ेगी और उन पर विश्वास करते हुए उन्हें मुख्य भूमिका में नहीं रखा जायेगा, तब तक नारी सशक्तिकरण अधूरा ही कहा जायेगा !!
-आकांक्षा यादव @ शब्द-शिखर Akanksha Yadav : http://shabdshikhar.blogspot.in/
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