मुझे जब भी कभी पौधे लगाने का मौका मिलता है तो मेरी पहली प्राथमिकता नीम होती है। पता नहीं क्यों बचपन से ही इससे इतना लगाव है। बचपन में नीम की ताजी पत्तियों को प्रतिदिन सुबह चबाने की पिताजी की सीख अभी भी अमल में लाती हूँ। मेरी बेटी अक्षिता कई बार मुझसे सवाल भी पूछती है और मैं बार-बार इसके फायदे गिनाती हूँ। वस्तुतः नीम मात्र वृक्ष नहीं, कुदरत की अद्भुत नियामत है। बचपन में तो हम लोग नीम की ही दातुन किया करते थे। टूथपेस्ट तो एक लम्बे अर्से बाद लोगों के जीवन में आया। अभी भी ग्रामीण लोग शहरों में जाते हैं तो भरसक कोशिश करते हैं कि सुबह-सुबह नीम की दातुन करने को मिल जाय। रेलवे स्टेशनों-बस स्टेशनों पर इसकी बिक्री करने वाले बहुतायत में दिख जाते हैं। जहाँ ब्रश करने के लिए टूथब्रश, टंग क्लीनर एवं टूथपेस्ट की आवश्यकता होती है वहीं दातुन तो थ्री इन वन है। यही नहीं तमाम रोगों में भी वैद्य-हकीम एवं घर-परिवार के लोग नीम का इस्तेमाल करते हैं। नीम के बारे में तमाम ग्रन्थों में भी जानकारी मिलती है। भारत में नीम का उपयोग प्राचीन काल से आयुर्वेदिक दवाओं में होता आया है। अब तो इसकी गूँज विदेशों में भी सुनाई देने लगी है। हर कोई इस प्राकृतिक उत्पाद का पेटेंट अपने नाम कराना चाहता है। वस्तुतः नीम का उपयोग आज हर बीमारी के लिए कारगर समझा जा रहा है।
नीम मेलिओडिया परिवार का पौधा है जिसके फल, बीज, तेल, पत्ते, जड़ें यहाँ तक कि पेड़ की छाल को भी औषधि के रूप में बखूबी प्रयोग किया जाता है। हालांकि एक पेड़ के रूप में नीम का अभ्युदय दक्षिण पूर्वी एशिया में हुआ लेकिन आज यह आस्ट्रेलिया से लेकर कैलिफोर्निया तक पाया जाता है। अकेले भारत में ही नीम के 180 लाख पेड़ हैं। नीम में टेरपोनाइड्स, अजादिरैचिन्स और सल्फर के 20 कंपाउंड के अलावा बहुत सारे रासायनिक तत्व होते हैं। एंटीसेप्टिक और एंटी-फंगल के रूप में नीम को एक्जिमा, अल्सर, एथलीट फूट, नाखून के फंगस, गला और दांत के संक्रमण के अलावा दाद, खाज और खुजली को ठीक करने हेतु उपयोग में लाया जाता है। एंटी वायरल के रूप में इसे स्मालपाक्स, चिकनपाक्स के अलावा अन्य वायरल रोगों के लिए उपयोग में लाते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि वायरल संक्रमण के इलाज में नीम भले ही ज्यादा कारगर न हो, परन्तु वायरल संक्रमण से बचाव के मामले में इसका कोई जवाब नहीं है।....तो फिर देर किस बात की। आप भी अपने घर के सामने एक नीम का पौधा लगाइये और स्वस्थ रहिए।
16 टिप्पणियां:
Sundar jankari.
Neem to wakai bahut labhkari hai..isase to tamam yaden bhi judi huyi hain.
बेहद ज्ञानवर्धक व् सार्थक पोस्ट
कहावत है कि जहाँ पर नीम के पेड़ होते हैं वहाँ मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है। नीम के पेड़ हमारे जीवन से जुड़े हुए हैं। इसकी पत्ती से लेकर छाल तक अनेकानेक बीमारियों में लाभदायक है।
नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है। भारत में इसके औषधीय गुणों की जानकारी हजारों सालों से रही है। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।
विदेशों में भी नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में ख्याति मिल रही है, जो डायबिटीज से लेकर एड्स, कैंसर और न जाने किस-किस तरह की बीमारियों का इलाज कर सकता है।
आज की आवाज
आँगन से कट गये नीम,
बागों का नाम-निशान मिटा,
रस्सी-डोरी के झूले,
अब कहाँ लगायें सावन में।
मेघ-मल्हारों के गाने को,
कभी न भूलें सावन में।।
अच्छी लाभदायक जानकारी!
बेहद सारगर्भित जानकारी.
बेहद सारगर्भित जानकारी.
बहुत सुंदर जानकारी दी आपने.
रामराम.
जन्म दिन मुबारक हो।
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
SELECTION & COLLECTION
आप समाज के आस-पास की चीजों व घटनाओं को जिस तरह अपने ब्लॉग पर स्थान देती हैं, वह प्रेरणास्पद है. यही कारण है कि आपके ब्लॉग "शब्द-शिखर" पर प्रकाशित हर पोस्ट को प्रिंट-मीडिया भी हाथों-हाथ लेता है. आपके सार्थक लेखन हेतु बधाई !!
वस्तुतः नीम मात्र वृक्ष नहीं, कुदरत की अद्भुत नियामत है...Bahut sahi likha apne.
इतना जानकारी भरा की प्रिंट-आउट निकलकर रख लिया.
..मैं तो अभी भी नीम की दातुन करता हूँ.
पहले हम भी नीम की दातुन करते थे, पर अब तो नीम के पेड़ भी कम ही दीखते है.
जमीन से जुडी बात...सार्थक पोस्ट.
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