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रविवार, 9 अगस्त 2009

ब्लॉगों की अलबेली दुनिया

ब्लागिंग का आकर्षण दिनो-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। जहाँ वेबसाइट में सामान्यतया एकतरफा सम्प्रेषण होता है, वहीं ब्लाग में यह लेखकीय-पाठकीय दोनों स्तर पर होता है। आपने कोई नई पोस्ट लिखी नही कि आपकी भावनाओं से सहमति-असहमति जताने वाले एवं प्रोत्साहन देने वाले लोग टिप्पणियाने लगते हैं। कुछ ब्लागर तो अपनी इसी अदा के लिए मशहूर हैं, जैसे उड़न तश्तरी वाले समीरलाल जी. ब्लागिंग के क्षेत्र में इधर एक चीज तेजी से गौर कर रही हूँ कि लोग एक की बजाय तमाम सामूहिक ब्लागों से जुड़ रहे हैं और अपनी अभिव्यक्ति को विस्तार दे रहे हैं। जहां कुछेक सामूहिक ब्लागों पर एक ही दिन में इतनी सामग्री आ रही है कि उसमें सार्थकता का अभाव दिखता है तो कुछेक सामूहिक ब्लागों पर महीने भर में मुश्किल से एकाध पोस्ट दिखाई देती है। कुछेक ब्लाग तो वास्तव में अभिव्यक्ति एवं रचनाधर्मिता के सामूहिक पर्याय हैं-रचनाकार, साहित्य शिल्पी, हिन्दयुग्म, चोखेरबाली, नारी, युवा, माँ,मोहल्ला, इत्यादि

मुझे सबसे ज्यादा ताज्जुब होता है, ऐसे ब्लागर्स पर जिनके प्रोफाइल पर जाइये तो ढेर सारे यू.आर.एल. वेब एड्रेस रजिस्टर्ड मिलते हैं। यद्यपि इन पर कोई पोस्ट नही होती, पर लोगों ने मानो इनका पेटेंट कराके रखा हो, कि कब जरूरत आ पड़े. किसी ने अपनी जाति के नाम पर तो किसी ने बच्चों के नाम पर तो किसी ने साहित्य का आभास देने वाले शब्दों के नाम पर ये अघोषित पेटेंट करा रखे हैं। वस्तुतः ब्लागिंग को मात्रा की बजाय व्यापक विमर्श के आधार पर देखा जाना चाहिए। सिर्फ अपने नाम पर तमाम ब्लाग एड्रेस पंजीकृत कर प्रोफाइल की शोभा बढ़ाने से कुछ नहीं होता। खैर इन मुद्दों पर हर ब्लागर की अपनी विचारधारा है, आप मुझसे सहमत-असहमत हो सकते हैं।

ब्लागिंग को कुछ लोग खुले संवाद का तरीका मानते हैं तो कुछेक लोग इसे निजी डायरी मात्र। ऐसे में कुछेक ब्लागरों ने मात्र आमंत्रित लोगों के लिए ही अपने विचार खोल रखे हैं। ब्लागिंग का दायरा परदे की ओट से भी बाहर निकल रहा है। कामकाजी महिलाओं के साथ-साथ गृहिणियां भी इसमें खूब हाथ अजमा रही हैं। जब मम्मी-पापा ब्लागिंग कर रहे हों तो बच्चे भला कैसे पीछे रहें। अब देखिये न पाखी की दुनिया, आदित्य इत्यादि। आई0टी0 वालों की तो छोड़िए, यहाँ प्राइमरी का मास्टर और डाकिया बाबू भी ब्लागिंग कर रहे हैं। जातियां भी ब्लॉग पर पाँव पसर रही हैं, देखें-यदुकुल,सरयूपारीण.

ब्लागिंग का नशा राजनीति-साहित्य-फिल्म इण्डस्ट्री-क्रिकेट से जुडे़ लोगों पर भी सवार है। लालू प्रसाद यादव, लाल कृष्ण आडवाणी, अमिताभ बच्चन, शाहरूख खांन, आमिर खान, मनोज वाजपेई, प्रकाश झा, हरभजन सिंह से लेकर उदय प्रकाश, विष्णु नागर, गिरिराज किशोर तक इसकी एक लम्बी सूची है। युवा ब्लाग ने तो बकायदा ऐसे ब्लागर्स की सूची ही साइड में दे रखी है। इन सेलिबे्रटी ब्लागर्स में भी कुछ गम्भीर रूप में तेा कुछ लोग मात्र लोकप्रियता हासिल करने एवं अपने प्रशंसकों से जुड़े रहने के लिए ब्लागिंग कर रहे हैं। टी.वी. के चेहरे-पुण्य प्रसून वाजपेई, रवीश कुमार इत्यादि भी ब्लागिंग में सक्रिय हैं। प्रशासन के साथ-साथ साहित्य में दिलचस्पी रखने वाले प्रशासनिक अधिकारी भी ब्लागिंग में जौहर दिखा रहे हैं। इनमे विभूति नारायण राय, कृष्ण कुमार यादव, कमलेश भट्ट कमल, जैसे नाम चर्चा में लिये जा सकते हैं।

ब्लागिंग का एक बहुत बड़ा फायदा प्रिंट मीडिया को हुआ है। अब उन्हें किसी के पत्रों एवं विचारों की दरकार महसूस नहीं होती। ब्लाग के माध्यम से वे पाठकों को समसामयिक एवं चर्चित विषयों पर जानकारी परोस रहे हैं। तमाम पत्र-पत्रिकाएं तो कट-पेस्ट तकनीक का उपयोग भी बखूबी कर रही हैं फिलहाल, इस मुद्दे पर तो सभी ब्लागर सहमत होंगे कि प्रिंट मीडिया ब्लागरों की महत्ता को समझने लगा है और ब्लागों की चर्चा प्रिंट मीडिया में जमकर होने लगी है। अमर उजाला, हिन्दुस्तान, आई नेक्स्ट, राष्ट्रीय सहारा, दस्तक, हरिभूमि, गजरौला टाइम्स, आज समाज जैसे अखबारों ने नियमित रूप से ब्लागों की चर्चा आरम्भ कर दी है। इसी क्रम में प्रिंट मीडिया पर ब्लाग चर्चा नाम से एक ब्लाग ने इन सब को सहेजना भी आरंभ कर दिया है। हर पत्र-पत्रिका हमारी निगाहों से गुजर तो नहीं सकती पर इस ब्लाग के चलते इतनी आसानी अवश्य हो गई है कि बैठे-बैठे पता लग जाता है कि अपने ब्लाग और अन्य ब्लागों की चर्चा कहां-कहां हो रही है। चिट्ठाजगत पर धडाधड छप रहे चिट्ठों की खोज-खबर है.

सबसे खुशी की बात तो यह है कि ब्लागरों के सुख-दुःख को बांटने वाले ब्लाग भी अस्तित्व में आ चुके हैं। अभी पिछले दिनों मेंरे जन्मदिन पर जब हिन्दी ब्लागरों के जन्मदिन पर चर्चा हुई तो अच्छा लगा कि कोई ऐसा भी ब्लाग है।

तो आप भी ब्लागिंग के इस फलते-फूलते परिवार में शामिल हों और इसका लुत्फ उठाएं।

-आकांक्षा यादव

31 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

अच्छा लेख जिसमें ब्लागिंग परिवार के गुणॊं और अवगुणॊं की चर्चा है।

अजय कुमार झा ने कहा…

वाह आकांक्षा जी...एक और सार्थक आलेख...ब्लॉग्गिंग..नहीं नहीं हिंदी ब्लॉग्गिंग पर बहुत ही संतुलित.यथार्थपरक ,,और तथ्यों के करीब आलेख पढ़ना अच्छा लगा..लिखती रहे...हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं..

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा सार्थक आलेख..काफी मेहनत की है. बधाई.

बेरोजगार ने कहा…

आकांक्षा जी नमस्कार! आप ने मेरे लिए बहुत बड़ा कमेन्ट दे दिया है. आदरणीय गुरूजी (सुरेश चिपलूनकर जी) से आगे न तो मैं निकल सकता हूँ और न ही निकलने की इच्छा है.
वैसे मुबारक हो की आप का जन्म गाजीपुर में हुआ है. ये बन्दा भी गाजीपुर की ही पैदाईश है. गाजीपुर डिग्री कालेज से सिर्फ पॉँच किलोमीटर दूर गंगा किनारे...

Prem Farukhabadi ने कहा…

apka lekh sarthak laga.apkikalambhi damdar lagi badhai!

विवेक रस्तोगी ने कहा…

अच्छा लेख काफ़ी रिसर्च किया गया है, बधाई आपको ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

परिश्रम के साथ तैयार किये गये इस लेख के लिए बधाई।

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत बढिया आलेख लिखा आपने .. मेरा सौभाग्‍य है कि इस फलते फूलते परिवार में दो वर्ष पहले ही शामिल हों गयी हूं और इसका लुत्फ उठा रही हूं !!

बेनामी ने कहा…

श्रमपूर्वक लिखा गया एक सार्थक लेख, बधाई

विवेक सिंह ने कहा…

ब्लॉगिंग से परिचय करने के लिये अच्छा लेख ! आभार !

36solutions ने कहा…

बहुत ज्ञानवर्धक आलेख, लिंकों के कारण इसकी उपयोगिता और बढ गई है. ऐसा ही विस्‍‍तृत लिंक मय आलेख मानस जी नें पूर्व में लिखा है 'इंटरनेट के पृष्‍टों पर राज करती हिन्‍दी'.

आपके श्रम को नमन.

Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत सुन्दर आलेख .आभार.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

सुंदर और सार्थक आलेख.

रामराम.

समय चक्र ने कहा…

अच्छा सार्थक लेख,बधाई...

sushant jha ने कहा…

आकांक्षाजी, बढ़िया पोस्ट...जारी रहिए।

Unknown ने कहा…

achha laga
badhaai !

निर्मला कपिला ने कहा…

आकांक्षा जी बहुत सुन्दर आलेख है आज बलागिँग ने हम जैसे रेटायर्द लोगों के लिये भी यहाँ लिखने का माध्यम तो दिया ही है अकेलेपन के एह्सास से भी हमे बचाया है आज ये अपना ही भरा पूरा प्रिवार लगता है एक ही जगह हमे सब रंग पढने को मिल जाते हैं । बहुत बडिया लगा आपकाालेख आभार और शुभकामनायें

KK Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
KK Yadav ने कहा…

बहुत खूब..ब्लॉगों की अलबेली दुनिया घूमकर बहुत अच्छा लगा. इसी बहाने तमाम रोचक ब्लॉगों से भी परिचय हुआ.

ज्योति सिंह ने कहा…

kafi vistaarpurvak is vishya par khoj ki hai aapne aur bahut hi khoobsurati se likha bhi hai main to kayal ho gayi aapki is ada par .yahan to bahut kuchh janne aur sikhane aate rahana padega .dosti par jo likha hai kamaal ka hai .aapki ye rachana mujhe hi uksane lagi kalam pakadne ke liye .saadhuvaad .

Girish Kumar Billore ने कहा…

अरे वाह इधर भी चर्चा
स्वागत है

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

जानकारी से परिपूर्ण एक बेहतरीन आलेख। इनकी जरूरत बनी रहेगी।

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

अजी आपके क्या कहने. आप जो लिख देती हैं, हम उसके कायल हो जाते हैं. यह पोस्ट तो पूरा शोध-पत्र लग रही है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

अजी आपके क्या कहने. आप जो लिख देती हैं, हम उसके कायल हो जाते हैं. यह पोस्ट तो पूरा शोध-पत्र लग रही है.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

Blogeer's ki Duniya ab , apne vividh rang liye,

lokpriy hotee ja rahee hai ..

akaanksha ji, aapke sare aalekh badjiya hote hain

Bahut sadha hua likhteen hain aap .

Sneh sahit,

- Lavanya

Bhanwar Singh ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Bhanwar Singh ने कहा…

Beautiful Article....Hamne to iska printout bhi nikalkar rakh liya

Amit K Sagar ने कहा…

Sahi Kahaa! शुक्रिया. जारी रहें.
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१५ अगस्त के महा पर्व पर लिखिए एक चिट्ठी देश के नाम [उल्टा तीर]
please visit: ultateer.blogspot.com

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Behad Albeli jankari...Yuva ki jikra ke liye abhar.

मन-मयूर ने कहा…

Apki post padhkar ham bhi blogging men hath ajmane ki soch rahe hain...Pl. guide me.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

Are yahan to Dakiya babu ki bhi charcha hai...mubarak ho.