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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

हौसलों की उड़ान (बाल-गीत)

 
चिडि़या को न छोटा समझो,
ऊँची उड़ान भरती है।
सुबह से लेकर शाम तक,
यहाँ-वहाँ पर फिरती है।

छोटे पंख हैं तो क्या हुआ,
हौसलों की उड़ान होती है।
नन्हे-नन्हे पंख पसारे,
हिम्मत नहीं वह खोती है।

आओ हम भी उड़ान भरें,
मेहनत सुबह और शाम करें ।
पूरे करें हम सपने सारे,
हो जाएंगे जग से न्यारे।

-आकांक्षा यादव-

18 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

छोटे पंख हैं तो क्या हुआ,
हौसलों की उड़ान होती है।
नन्हें-नन्हें पंख पसारे,
हिम्मत नहीं वह खोती है।
...Beautiful Expressions.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

छोटे पंख हैं तो क्या हुआ,
हौसलों की उड़ान होती है।
नन्हें-नन्हें पंख पसारे,
हिम्मत नहीं वह खोती है।


बहुत सुंदर और शिक्षाप्रद गीत, शुभकामनाएं.

रामराम.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

Sundar Bal-geet.

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

sunder baal geet, badhaai.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आकांक्षा यादव जी!
आपने बालगीत बहुत सुन्दर रचा है!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया बाल गीत.

ये कानपुर से या अंडमान से?

S R Bharti ने कहा…

सुन्दर प्रेरणा देती है ये बाल-गीत. बेहतरीन अभिव्यक्ति...साधुवाद.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

बेहद प्रेरणास्पद बाल गीत. इसने तो पूरा जोश भर दिया.

मन-मयूर ने कहा…

छोटा गीत पर बड़ी बात.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

चिड़िया के बहाने खूबसूरत अभिव्यक्ति और उसमें छुपा महत्वपूर्ण सीख...आकांक्षा जी को बधाई.

बेनामी ने कहा…

सुन्दर गीत. बार-बार गुनगुनाने को जी चाहे.

Shyama ने कहा…

बाजीगर जी के साथ मैं भी गुनगुना रहा हूँ. उम्दा बाल गीत.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

गंभीर बातों के बाद इतना सुन्दर बाल गीत पढना सुकून देता है. काश मैं भी चिड़िया होती...

Bhanwar Singh ने कहा…

हमें भी छोटा न समझें, हम भी हाजिर हैं टिपण्णी के लिए और देखिये पढ़कर फुर्र भी हो गए.

Bhanwar Singh ने कहा…

हमें भी छोटा न समझें, हम भी हाजिर हैं टिपण्णी के लिए और देखिये पढ़कर फुर्र भी हो गए.

Akanksha Yadav ने कहा…

@Udan Tashtari
फ़िलहाल अंडमान से. आपको ब्लॉग द्वारा अंडमान की सैर भी करायेंगें.

Akanksha Yadav ने कहा…

आप सभी के प्रोत्साहन के लिए आभार !!

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर प्रेरणा देती है ये बाल-गीत. बेहतरीन अभिव्यक्ति...