चिडि़या को न छोटा समझो,
ऊँची उड़ान भरती है।
सुबह से लेकर शाम तक,
यहाँ-वहाँ पर फिरती है।
छोटे पंख हैं तो क्या हुआ,
हौसलों की उड़ान होती है।
नन्हे-नन्हे पंख पसारे,
हिम्मत नहीं वह खोती है।
आओ हम भी उड़ान भरें,
मेहनत सुबह और शाम करें ।
पूरे करें हम सपने सारे,
हो जाएंगे जग से न्यारे।
-आकांक्षा यादव-
18 टिप्पणियां:
छोटे पंख हैं तो क्या हुआ,
हौसलों की उड़ान होती है।
नन्हें-नन्हें पंख पसारे,
हिम्मत नहीं वह खोती है।
...Beautiful Expressions.
छोटे पंख हैं तो क्या हुआ,
हौसलों की उड़ान होती है।
नन्हें-नन्हें पंख पसारे,
हिम्मत नहीं वह खोती है।
बहुत सुंदर और शिक्षाप्रद गीत, शुभकामनाएं.
रामराम.
Sundar Bal-geet.
sunder baal geet, badhaai.
आकांक्षा यादव जी!
आपने बालगीत बहुत सुन्दर रचा है!
बहुत बढ़िया बाल गीत.
ये कानपुर से या अंडमान से?
सुन्दर प्रेरणा देती है ये बाल-गीत. बेहतरीन अभिव्यक्ति...साधुवाद.
बेहद प्रेरणास्पद बाल गीत. इसने तो पूरा जोश भर दिया.
छोटा गीत पर बड़ी बात.
चिड़िया के बहाने खूबसूरत अभिव्यक्ति और उसमें छुपा महत्वपूर्ण सीख...आकांक्षा जी को बधाई.
सुन्दर गीत. बार-बार गुनगुनाने को जी चाहे.
बाजीगर जी के साथ मैं भी गुनगुना रहा हूँ. उम्दा बाल गीत.
गंभीर बातों के बाद इतना सुन्दर बाल गीत पढना सुकून देता है. काश मैं भी चिड़िया होती...
हमें भी छोटा न समझें, हम भी हाजिर हैं टिपण्णी के लिए और देखिये पढ़कर फुर्र भी हो गए.
हमें भी छोटा न समझें, हम भी हाजिर हैं टिपण्णी के लिए और देखिये पढ़कर फुर्र भी हो गए.
@Udan Tashtari
फ़िलहाल अंडमान से. आपको ब्लॉग द्वारा अंडमान की सैर भी करायेंगें.
आप सभी के प्रोत्साहन के लिए आभार !!
सुन्दर प्रेरणा देती है ये बाल-गीत. बेहतरीन अभिव्यक्ति...
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