कई बार हमें छोटी-छोटी बातें सुकून देती हैं. हम फिर से बचपन में लौटना चाहते हैं. पर क्या करें बड़े होने के आदी जो हो गए हैं. पर शरीर बड़ा होने से क्या हुआ, मन तो अभी भी मानो बचपन की दहलीज पर है. हम बातें जरुर बड़ी-बड़ी करते हैं, पर कई बार हमारी बातों में भी बचपना झलकता है. तो इंतजार किस बात का, आइये एक बार फिर से बचपन के ख्यालों में खो जाते हैं और महसूस करते हैं अपने उस बीते बचपन को...!!
******************
..और हाँ ऐसी ही खुशियों को सहेजने के लिए ब्लागोत्सव -2010 भी आरंभ हो चुका है, जरुर जाइएगा वहाँ पर. वहाँ पर कला दीर्घा में आज हमारी प्यारी बिटिया रानी अक्षिता(पाखी) की अभिव्यक्ति भी देखिएगा और अपनी टिप्पणियों से अवगत कराइयेगा !!
27 टिप्पणियां:
bilkul sahi kaha he aap ne
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बिटिया पाखी को ब्लॉगोत्सव में देखकर मन प्रसन्न हो गया. एक चॉकलेट उसको मेरी तरफ से भी दे देना. :)
कई बार हमारी बातों में भी बचपना झलकता है, क्यों? कहते हैं हर मनुष्य में एक बच्चा होता है.
समीर जी की बात मैं भी दुहरा रहा हूँ..
bilkul abhi padhunga....kash bachpan fir se laut sakta...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
सही कहा आपने.........बचपन अनमोल होता है,और बचपन कि यादें हमेशा जीवित रहती हैं ..
विकास पाण्डेय
www.vicharokadarpan.blogspot.com
सच कहा!
हमारी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
हमारी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
म बातें जरुर बड़ी-बड़ी करते हैं, पर कई बार हमारी बातों में भी बचपना झलकता है.
bilkul sahi kaha hai
प्रस्तुति बहुत ही बढ़िया लगी...
कित्ती अच्छी बात कही..है ना.
@ Samir Uncle,
पूरे 5 चाकलेट खा गई..
बड़ा प्यारा ख्याल..पाखी बिटिया को शुभकामनायें.
आकांक्षा जी, आपकी इस मासूम अदा के हम कायल हो गए...
बहुत खूब पाखी. ब्लागोत्सव में सबसे ज्यादा कमेन्ट तो आपकी ही ड्राइंग और कविता पर आये. पाखी है ही इत्ती प्यारी व न्यारी. खूब मस्ती करो और जमकर ब्लोगिंग करो.
उड़कर आई नन्हीं पाखी
ब्लागोत्सव में हमारे।
प्यारी-प्यारी उसकी ड्राइंग
लगती कितनी प्यारी .
...पाखी को ढेर सारा प्यार व आशीष कि आप यूँ ही उन्नति के पथ पर अग्रसर हों.
आपने तो हमारे मन की बात कह दी..साधुवाद.
**************
बहुत सुन्दर पाखी बिटिया. आपकी चर्चा हर तरफ हो..आप खूब प्रगति करो.
बचपन की यादें भला कैसे भूल सकते हैं. आपने फिर से उन्हीं यादों में धकेल दिया.
ये पाखी के लिए....
वाह पाखी..लाजवाब. तुसी तो कमाल की निकली मेरी नन्हीं दोस्त. एक तरफ इमरोज़ जी की पेंटिंग और वहीँ पाखी की भी..छा गई मेरी नन्हीं गुडिया.
बचपन के बहाने सुन्दर बातें.
Beautifull Exressions.
मान गए भाई इस प्यारी सी नन्हीं ब्लागर अक्षिता(पाखी)को.. एक तरफ इमरोज़ जी की ड्राइंग, इधर अक्षिता(पाखी) की ड्राइंग. कहते हैं ना किसी भी सभ्यता व संस्कृति के वाहक बच्चे ही होते हैं. अक्षिता (पाखी) को हार्दिक बधाई व आशीर्वाद
पाखी की ड्राइंग देखो
कितना सुन्दर नजारा
कितनी प्यारी कविता लिखती
सारा जग फिर हारा
सबको भेजे इस उत्सव में
मैं जाऊं बलिहारी
पाखी तो सभी को लगे प्यारी-प्यारी
बचपन से जुडी यादें और फिर पाखी की बातें...क्या कहने.
बचपन लौट लौट के आता है ,मन का आंगन महका जाता है ! पाँखी बिटिया को बधाई !
'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटे रचनाओं को प्रस्तुत करेंगे.जो रचनाकार इसमें भागीदारी चाहते हैं,वे अपनी 2 मौलिक रचनाएँ, जीवन वृत्त, फोटोग्राफ भेज सकते हैं. रचनाएँ व जीवन वृत्त यूनिकोड फॉण्ट में ही हों. hindi.literature@yahoo.com
एक टिप्पणी भेजें