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गुरुवार, 15 जुलाई 2010

आजकल के बच्चे हमसे आगे हैं...

जीवन का प्रवाह अविच्छिन्न है। अपनी निरंतरता में, अपनी लय में जीवन चलता रहता है. कई बार मजाक-मजाक में उठाये गए हमारे कदम भी मूल्यवान हो जाते हैं. बच्चों के मुँह से निकली चीजें भी शाश्वत सच का अहसास करा जाती हैं. बड़े होने का मतलब ये नहीं कि हम बच्चों से श्रेष्ठ भी हैं. प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती. बचपन में बच्चों द्वारा की गई गतिविधियों पर गौर करें तो बहुत कुछ रचनात्मक भी छनकर आता है. वे जो कर रहे होते हैं, वह सिर्फ यूँ ही नहीं होता, बल्कि उनकी भी भावनाएं होती हैं. कभी बच्चों के बनाये चित्रों को गौर से देखिये, उलटी-तिरछी लाइनों के बीच झाँकने की कोशिश कीजिये, वहाँ आपको बहुत कुछ मिलेगा. पहले हम भी अपनी बिटिया के बनाये चित्रों को यूँ ही फेंक देते थे, फिर एक दिन ध्यान से देखने की कोशिश की तो उसके बाद उसके बनाये चित्रों को संग्रहित करने लगे.
एक दिन सुबह के समय लॉन में बैठी थी और पाखी को बता रही थी कि पाखी, सुना है चाँद पर भी पानी निकला है। कुछ देर बाद गौर किया तो पाखी मस्ती में गाये जा रही है कि ममा ने बताया कि चंदा ममा पर पानी निकला है॥बड़ी होकर मैं भी पानी पीने जाऊगी. बस बैठे-बैठे हमने भी अक्षिता के शब्दों को सहेज दिया और 'चाँद पे पानी' शीर्षक से एक बाल-कविता रच डाली. यह कविता 'बाल-भारती' पत्रिका के फरवरी-2010 अंक में प्रकाशित भी हुई. सही कहूँ तो सोच पाखी की थी, उसे मैंने शब्दों में गूँथ दिया. यही नहीं, मजाक-मजाक में पाखी के साथ खूब तुकबन्दियाँ करती हूँ और इनके पापा तो कई बार कागज-पेन लेकर बैठते हैं कि अब कोई कविता या गीत प्रस्फुटित हुआ.

वस्तुत: कहीं-न-कहीं यह सोचने की जरुरत है कि आजके बच्चे हमारे समय से काफी आगे हैं. हम लोग पाँच साल की उम्र में पढने गए थे, पर ये तो दो-ढाई साल में ही प्ले-स्कूल में जा रहे हैं. सुविधाएँ, टेक्नालाजी, परिवेश, संस्कार ...सब कुछ इन्हें कम उम्र में ही ज्यादा रचनात्मक बना देता है. आजकल के बच्चे लम्बे समय तक तुतलाकर नहीं बोलते, जल्द ही बोली को पकड़ने लगते हैं. कई बार पुरानी पीढ़ी के लोग इस पर विश्वास भी नहीं कर पते और इसे झूठा मानते हैं. पर जनरेशन-गैप को कब तक झुठलाया जा सकता है. सो. जरुरत है आप भी बच्चों को स्पेस दें, उनकी बातों या पेन लेकर बनाये गए चित्रों को यूँ ही हवा में नहीं मानें, उनमें भी कुछ न कुछ छुपा है..बस जरुरत है पारखी निगाहों की !!
चलते-चलते : लोकसंघर्ष-परिकल्पना द्वारा आयोजित ब्लागोत्सव-2010 में वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा का ख़िताब अक्षिता (पाखी) बिटिया को मिला है। आप इसे परिकल्पना और ब्लागोत्सव -2010 के साथ-साथ पाखी की दुनिया और बाल-दुनिया में भी देख सकते हैं।
सबसे पहले तो रवीन्द्र प्रभात जी और ब्लागोत्सव की पूरी टीम को बधाई, जिन्होंने पूरे मनोयोग से ब्लॉग जगत की परिकल्पनाओं को मूर्त रूप देकर इसे उत्सवी-परंपरा में तब्दील किया है, उसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं. बिटिया पाखी को 'वर्ष की श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा' के ख़िताब हेतु चुने जाने पर मैं अपनी ख़ुशी को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती. आप सभी के इस प्यार हेतु मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं. पाखी बिटिया को इस ब्लॉग के माध्यम से भी ढेरों प्यार और शुभकामनायें. यह आप सभी की हौसला अफजाई का ही नतीजा है कि पाखी और भी मन से ड्राइंग बनाने लगी हैं और बाल-गीतों की तुकबंदी में हम लोगों का साथ भी देने लगी हैं.

28 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बाल-विमर्श पर सुन्दर पोस्ट...पाखी बिटिया की उपलब्धि पर भी बधाई.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पाखी बिटिया को इस उपलब्धि पर ढेर सारी बधाई ।

शरद कोकास ने कहा…

बच्चे आगे होने ही चहिये

राज भाटिय़ा ने कहा…

सच मै बच्चे हम से बहुत आगे है, पाखी बिटिया को बहुत बहुत प्यार

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बच्चों की सृजन शक्ति को आपने पहचाना ...यही सबसे बड़ी उपलब्धि है...पाखी को बधाई...और आपको भी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जी हाँ सही कहा!
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यह सब आपकी मेहनत का ही परिणाम है!

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Really True...Congts. to Pakhi and also to u .

S R Bharti ने कहा…

जरुरत है आप भी बच्चों को स्पेस दें, उनकी बातों या पेन लेकर बनाये गए चित्रों को यूँ ही हवा में नहीं मानें, उनमें भी कुछ न कुछ छुपा है..बस जरुरत है पारखी निगाहों की....सटीक विश्लेषण. तभी तो पाखी बिटिया ख़िताब ले गई. अब खुला राज...मुबारक हो.

Shyama ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा आपने. बच्चों की परवरिश में इसका ध्यान दिया जाना बहुत जरुरी है. एक शानदार पोस्ट.

Shyama ने कहा…

पाखी की दुनिया में भी गया. एक साल बहुत मायने रखते हैं . पाखी का ब्लॉग हिंदी -जगत के अच्छे और स्तरीय ब्लॉगों में शुमार हो चुका है..उस पर से यह शानदार ख़िताब...डबल बधाई.

raghav ने कहा…

बड़े होने का मतलब ये नहीं कि हम बच्चों से श्रेष्ठ भी हैं. प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती. बचपन में बच्चों द्वारा की गई गतिविधियों पर गौर करें तो बहुत कुछ रचनात्मक भी छनकर आता है. वे जो कर रहे होते हैं, वह सिर्फ यूँ ही नहीं होता, बल्कि उनकी भी भावनाएं होती हैं....Thats Great Thought.

raghav ने कहा…

एक ऐसी नन्ही ब्लोगर जिसके तेवर किसी परिपक्व ब्लोगर से कम नहीं.जिसकी मासूमियत में छिपा है एक समृद्ध रचना संसार, जो अपने मस्तिस्क की आग को बड़ी होकर पूरी दुनिया के हृदय तक पहुंचाना चाहती है...परिकल्पना ब्लॉग पर रविन्द्र प्रभात द्वारा अक्षिता के लिए लिखे गए ये शब्द थाती की तरह हैं, इन्हें सहेज कर रखियेगा.

मन-मयूर ने कहा…

अजी आजकल की जनरेशन तो बहुत फास्ट है.
अक्षिता को हमारा प्यार कहियेगा. खूब तरक्की करे जीवन में.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बाल मन बड़ा चंचल होता है. यदि आप उसे समझ गए तो सुन्दर संस्कार व परिवेश दे सकते हैं. लाजवाब पोस्ट के लिए बधाई.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

पाखी बिटिया के लिए-
सितारों की महफ़िल में आज अक्षिता पाखी बिटिया को देखकर बड़ा प्यार आया. आपके ऊपर तो आज आशीष बरसाने का मन कर रहा है और ढेर सारी चाकलेट खिलाने का मन भी.

Shahroz ने कहा…

तो पाखी बिटिया ये ख़िताब ले गई. पर हमें मिठाई भी नहीं खिलाई...हम गुस्सा हो गए पाखी से.

Bhanwar Singh ने कहा…

यही नहीं, मजाक-मजाक में पाखी के साथ खूब तुकबन्दियाँ करती हूँ और इनके पापा तो कई बार कागज-पेन लेकर बैठते हैं कि अब कोई कविता या गीत प्रस्फुटित हुआ...ये अक्लमंदी वाली बात हुई ना.

Bhanwar Singh ने कहा…

जलवे हैं पाखी के...मम्मी-पापा की तरह अभी से सम्मान और ख़िताब. मम्मी-पापा का नाम खूब रोशन करो. हमारा आशीर्वाद सदैव आपके साथ है.

Unknown ने कहा…

पाखी है ही इतनी प्यारी कि लोग खींचे चले आते हैं. रविन्द्र प्रभात और आयोजन से जुड़े सभी लोगों ने पाखी को श्रेष्ठ नन्ही चिट्ठाकारा का ख़िताब देकर जता दिया है कि बच्चे भी किसी से कम नहीं. पाखी को हार्दिक बधाइयाँ. पाखी के पापा के.के. यादव जी और आपको भी बधाई कि आपने पाखी को वो परिवेश और संस्कार दिए कि पाखी को यह सम्मान मिला.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

....आप सभी लोगों ने टिप्पणियां देकर मुझे मोटिवेट किया, इसके लिए आप सभी का आभार. अपना स्नेह व आशीर्वाद यूँ ही बनाये रहें.

editor : guftgu ने कहा…

बच्चों के अंतर्मन और उनको भावनाओं को समझने के प्रयास में रोचक पोस्ट. अक्षिता को इस ख़िताब हेतु ढेरों बधाई और प्यार.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

अद्भुत ! पढ़कर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर.बच्चों का मन मिटटी के लोंदे की भांति होता है, जिसे आप जैसा चाहें आकार दे सकते हैं. प्रेरक पोस्ट.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

पाखी की सृजनात्मकता को सम्मानित किया गया..सुनकर बड़ा सुखदायी लगा..बधाई और मिलेगी तो मिठाई भी.

KK Yadav ने कहा…

बाल मन को लेकर अक्सर विमर्श चलते रहते हैं. यह पोस्ट उसके एक आयाम को नजदीक से छूती है..बधाई.

KK Yadav ने कहा…

हमारी बेटी अक्षिता को इस ख़िताब हेतु चुने जाने पर ब्लागोत्सव आयोजन से जुड़े सभी लोगों का ह्रदय से आभार. यह ख़िताब पाखी के लिए लाजवाब और खूबसूरत साबित होगा.

शरद कुमार ने कहा…

आगे ही नहीं बहुत आगे हैं. अक्षिता इसका उदहारण भी हैं. मुबारकवाद.

संजय भास्‍कर ने कहा…

आजकल की जनरेशन तो बहुत फास्ट है.
अक्षिता को हमारा प्यार कहियेगा.

Akanksha Yadav ने कहा…

इस लेख के बहाने हमारी बिटिया पाखी की ख़ुशी में आप सभी शरीक हुए...बेहद आभारी हूँ. अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें.