इधर खेल-जगत में दो घटनाओं ने बरबस सबका ध्यान खींचा। पहला, भारतीय महिला हाकी टीम द्वारा पहली बार जूनियर विश्व कप हाकी मे कांस्य पदक जीतना और उभरती हुई बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू द्वारा विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पदक सुनिश्चित करने वाली पहली भारतीय महिला एकल खिलाड़ी बनना। इन दो जीतों के बाद 'चक दे इंडिया' और 'भाग मिल्खा भाग' फिल्मों की याद आती है ...सुविधापरस्ती से ज्यादा जरुरी है जज्बा और इस जज्बे के बदौलत ही 21 वीं सदी की ये लड़कियां इस मुकाम को हासिल कर पाई हैं ....उनके इस जज्बे को सलाम और आशा की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में भी यह जज्बा बना रहेगा और लड़कियां यूँ ही नई इबारत लिखती रहेंगीं !!
उभरती हुई बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने 8 अगस्त 2013, शुक्रवार को चीन के ग्वांग्झू में स्थानीय दावेदार चीन की शिझियान वैंग को सीधे गेम में हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाने के साथ इतिहास रचते हुए विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पदक सुनिश्चित करने वाली पहली भारतीय महिला एकल खिलाड़ी बनी।पहली बार विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा ले रही 10वीं वरीय सिंधू को दुनिया की आठवें नंबर की खिलाड़ी और सातवीं वरीय वैंग के खिलाफ अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ी। भारतीय खिलाड़ी ने 55 मिनट में अपने से अधिक अनुभवी वैंग को 21-18, 21-17 से हराया। दुनिया की 12वें नंबर की खिलाड़ी सिंधू सेमीफाइनल में थाईलैंड की रतचानोक इनतानोन और स्पेन की कैरोलिना मारिन के बीच होने वाले मैच की विजेता से भिड़ेंगी।
गौरतलब है कि इससे पहले एकल वर्ग में भारत के लिए एकमात्र पदक प्रकाश पादुकोण ने 1983 में कोपेनहेगन में पुरुष एकल में जीता था। ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की भारतीय महिला युगल जोड़ी ने 2011 में पिछली विश्व चैम्पियनशिप में भारत को कांस्य पदक दिलाया था।
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