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बुधवार, 28 अगस्त 2013

राधा के बिना कृष्ण अधूरे हैं ...


'कृष्ण जन्माष्टमी' सिर्फ एक त्यौहार ही नहीं, सन्देश भी है। जिस तरह से समाज में नारी के प्रति दुर्व्यवहार और अत्याचार बढ़ रहे हैं, वह बेहद चिंता का विषय है। नारी के बिना इस जगत की कल्पना भी अधूरी है। भगवान का अर्धनारीश्वर रूप भी इसी का प्रतीक  है। राधा के बिना कृष्ण अधूरे हैं तो पार्वती के बिना शंकर। लक्ष्मी के बिना विष्णु अधूरे हैं तो सीता के बिना राम। इनके नामों के उच्चारण में भी पहले 'नारी' का ही नाम याद आता है, मसलन, राधे - कृष्ण। किसी ने क्या खूब लिखा है -

राधा की चाहत है कृष्ण;
उसके दिल की विरासत है कृष्ण;
चाहे कितना भी रास रचा लें कृष्ण;
दुनिया तो फिर भी यही कहती है;
राधे कृष्ण, राधे कृष्ण।

....आप सभी को 'कृष्ण-जन्माष्टमी' पर्व की ढेरों बधाइयाँ !!

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