'स्वाइन फ्लू' का भय इस समय चारों तरफ व्याप्त है। हल्की सी खांसी और बुखार हुआ तो फ्लू का डर सताने लगता है। डॉक्टर्स का मानना है कि इसकी कोई अचूक दवा नहीं है, पर इससे बचने के लिए तमाम तरह के प्रयोग बताये जा रहे हैं। एलोपैथिक से लेकर आयुर्वेदिक और देशी नुस्खे तक अपनाये और बताये जा रहे हैं।
देश के सभी राज्यों से स्वाइन फ्लू से बीमार होने के मामले तेजी से आ रहे हैं यही नहीं फ्लू में मौजूद एच1एन1 वायरस से होने वाली मौतों में भी इजाफा हो रहा है। तो ऐसे में हम सबको सावधान रहना बेहद जरुरी है । क्योंकि अगर आप लोगों के साथ उठ-बैठ रहे हैं, बस, ट्रेन, आदि में सफर कर रहे हैं, अगर आपके बच्चे स्कूल जा रहे हैं, तो आप या परिवार के सदस्य इस वायरस की चपेट में आसानी से आ सकते हैं।
क्या है स्वाइन फ्लू?
स्वाइन इंफ्लुएंज़ा, इसे पिग इंफ्लुएंज़ा, स्वाइन फ्लू, होग फ्लू, पिग फ्लू या एच1एन1 वायरस भी कहा जाता है। यह तमाम प्रकार के स्वाइन इंफ्लुएंज़ा वायरसों में से किसी भी एक वायरस से फैल सकता है। इंसानों को होने वाले सामान्य फ्लू वायरस या बर्ड फ्लू के वायरस की चपेट में जब सुअर आता है, तब सुअर के शरीर के अंदर एच1एन1 वायरस का जन्म होता है। जब उस बीमार सुअर की चपेट में कोई इंसान आता है, तब उसे स्वाइन फ्लू हो जाता है। और फिर जब उस बीमार व्यक्ति का इलाज अगर सही से नहीं हुआ और उसके संपर्क में अन्य लोग आये, तो उन लोगों तक भी यह वायरस फैल जाता है। यह वायर बहुत तेज गति से फैलता है। 2009 में एच1एन1 पूरी दुनिया में फैला था, तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित किया था।
कैसे फैलता है यह वायरस?
यह वायरस सुअर से आता है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि आप तो कभी सुअर के करीब तक नहीं जाते इसलिये आप सुरक्षित हैं, तो आप गलत हैं। क्योंकि यह वायरस अब इंसानों में फैल चुका है। भारत में अधिकांश लोग बुखार आने के तीन दिन तक इंतजार करते हैं। यह देखते हैं कि साधारण पैरासिटामोल से बुखार उतर रहा है या नहीं, उसके बाद कोई एंटीबायोटिक दवा ले लेते हैं, वो भी डॉक्टर से बिना सलाह लिये। ऐसे लोग बीमारी की हालत में भी अपने परिवार के बेहद करीब रहते हैं, क्योंकि उन्हें पता नहीं होता है कि उन्हें साधारण फ्लू है या स्वाइन फ्लू। और अगर दुर्भायवश स्वाइन फ्लू है और वो उसी बस में यात्रा कर रहे हैं, जिसमें आप सवार हैं, तो आप तक उस वायरस के पहुंचने की प्रबलता बहुत ज्यादा है।
स्वाइन फ्लू से बचाव
स्वाइन फ्लू से बचाव हेतु कपूर और इलायची के चूर्ण को कपडे में बाँध कर सूंघने का भी एक उपाय बताया गया है । पुराने समय में भी वातावरण को शुद्ध करने के लिए हमारे ऋषि-मुनि हवन किया करते थे । हवन में डाली जाने वाली सामग्री में औषधिय गुण होते हैं ।
संयोगवश, 5 मार्च को होली है । ऐसे में होलिका दहन को लोग हवन की तरह उपयोग कर सकते हैं । होलिका दहन में कपूर की 2-3 टिकिया जरूर डालें । एक परिवार से 2-3 टिकिया, एक जगह की होली में लगभग 20 परिवार कपूर की टिकिया होली में डालें और इसी प्रकार हर स्थान पर जलने वाली होली में किया जाये । होलिका दहन सभी स्थानों पर एक ही मुहूर्त में होता है , जब एक साथ इतने स्थानों पर इस प्रकार का धुआं उठेगा तो वातावरण में से कीटाणुओं का नाश होगा और वातावरण शुद्ध होगा ।
इस बात को सरलता से समझने के लिए 'कृष' फिल्म का उदाहरण लेते है। फिल्म कृष 3 में एक शहर एक खतरनाक वायरस से संक्रमित हो जाता है। लोगों को वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए जल्द से जल्द एंटी डोज़ देना जरूरी होता है। इतने कम समय में पूरे शहर के लोगो को एंटी डोज़ संभव नहीं होने पर उस दवा यानि एंटी डोज़ को हवा के माध्यम से ही लोगो में पहुचाया जाता है। बस कुछ ऐसा ही समझ लें और आपके परिवार/मित्रों में जो भी होलिका पूजन के लिए जाएँ, उन्हें बताएँ कि होलिका दहन में कपूर जरूर से डालें।
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