जाग उठी है
आज शिक्षित नारी
हक लेने को।
अबला नहीं
संवेदना की स्रोत
जानिए इसे।
रिश्तों की डोर
सहेजती ये नारी
रुप विभिन्न।
नारी की शक्ति
पहचानिए इसे
दुर्गा-भवानी।
हर क्षेत्र में
रचे नया संसार
आज की नारी।
बाधाएँ तोड़
आसमां के सितारे
छू रही नारी।
नारी सशक्त
समाज बने सुखी
समृद्ध राष्ट्र।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें