नेता-अभिनेता दोनों
हो गए एक समान
मंचों पर बैठकर गायें
एक दूजे का गान।
चिकनी चुपडी़ बातें करें
खूब करें अपना बखान
जनता का धन खूब लूटें
गायें मेरा भारत महान।
मँहगाई, बेरोजगारी खूब फैले
नेताजी सोते चद्दर तान
खुद खाएं मुर्ग मुसल्लम
जनता भुखमरी से परेशान।
कभी आंतक, कभी नक्सलवाद
ये लेते सबकी जान
नेताजी बस भाषण देते
शहीद होते जाबांज जवान।
चुनाव आया तो लंबे भाषण
खडे़ हो गए सबके कान
वायदों की पोटली से
जनता हो रही हैरान ।
संसद में पहुँच नेताजी
बघारते अपना ज्ञान
अगला चुनाव कैसे जीतें
बस यही रहता अरमान ।
(वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में भी पढ़ें)
30 टिप्पणियां:
अच्छी टांग खींची नेता-अभिनता की...सब हो गए एक सामान..शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई.
अच्छा प्रयास है ...कम से कम लीक से हटकर कुछ तो है.
इक नज़र यहाँ भी मार लीजिये
www.jugaali.blogspot.com
bahut achcha vyang kasa aaj ke haalaaton par...
बहुत अच्छी रचना
आभार
जी हाँ!
दोनों में कोई अन्तर नही है!
मँहगाई, बेरोजगारी खूब फैले
नेताजी सोते चद्दर तान
खुद खाएं मुर्ग मुसल्लम
जनता भुखमरी से परेशान।
....Ab iske age kya kaha jay..bejod vyangya kavita.
कभी आंतक, कभी नक्सलवाद
ये लेते सबकी जान
नेताजी बस भाषण देते
शहीद होते जाबांज जवान।
...बहुत समसामयिक व प्रासंगिक कटाक्ष...आकांक्षा यादव जी को शुभकामनायें.
शानदार व्यंग्य रचना...बधाई.
खूब कही....नेता-अभिनेता एक समान..मजा आ गया.
नेताओं की बात ही मत करें तो बढ़िया है....सब गोलमाल है.
नेताजी बस भाषण देते
शहीद होते जाबांज जवान।
अपने दंतेवाडा की यादें ताजा कर दीं.बहुत सुन्दर व्यंग्य.
आकांक्षा जी, आपकी यह कविता तो सोचने पर मजबूर करती है. देखा नहीं चिदंबरम साहब कैसी एक्टिंग कर रहे हैं कि हमारे पास सीमित अधिकार हैं.
कभी आंतक, कभी नक्सलवाद
ये लेते सबकी जान
नेताजी बस भाषण देते
शहीद होते जाबांज जवान।
...यही तो देखकर दुःख होता है. कब तक इन बातों को मजाक में उड़ाते रहेंगे.
बहुत खूब. बढ़िया व्यंग्य किया आज की व्यवस्था पर...सार्थक व प्रभावशाली कविता ..बधाई.
चिकनी चुपडी़ बातें करें
खूब करें अपना बखान
जनता का धन खूब लूटें
गायें मेरा भारत महान।
..बहुत खूब आकांक्षा जी, मन कर रहा है ताली बजाओं इतनी सुन्दर बात के लिए.
नेता-अभिनेता ने मिलकर सारे देश को दूषित कर रखा है. पूरा अवमूल्यन...आपकी यह कविता समसामयिक लगी.
बहुत सुंदर लेख
बढ़िया व्यंग है ।
हम तो यही कामना करते हैं कि :
नेताओं को मत मिले
पार्टियों को बहुमत मिले
जनता को चावल दाल मिले
और दो रूपये किलो हर माल मिले ।
कभी आंतक, कभी नक्सलवाद
ये लेते सबकी जान
नेताजी बस भाषण देते
शहीद होते जाबांज जवान।
बहुत सही.
नेता-अभिनेता ने मिलकर सारे देश को दूषित कर रखा है. पूरा अवमूल्यन...आपकी यह कविता समसामयिक लगी.
Besharm log hain ye...kuch bhi karo kaho na hi sudharne waale
.बहुत समसामयिक व प्रासंगिक कटाक्ष.
... बेहद प्रभावशाली
जमके बखिया उधेडी है...सटीक !!
...सही लिखा ममा.
अगला चुनाव कैसे जीतें
बस यही रहता अरमान ।
...एकदम सच कहा , गहरा कटाक्ष..बधाई.
आप सभी के स्नेह, प्रोत्साहन एवं प्रतिक्रियाओं के लिए आभार. अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें.
बहुत सुन्दर व्यंग्य रचा आकांक्षा जी. कड़ा कटाक्ष, खरी बातें..बेहद पसंद आयीं.
..देखा नहीं आजकल अमर सिंह एक फिल्म में डिम्पल कपाडिया के पति का रोल कर कितने खुश नजर आ रहें हैं...हा..हा..हा..
प्रशंसनीय ।
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