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बुधवार, 22 अप्रैल 2015

बाल विवाह के विरुद्ध सचेतना


राजस्थान के जोधपुर क्षेत्र में बाल-विवाह काफी प्रचलित हैं। यद्यपि इसे रोकने हेतु तमाम सरकारी और गैरसरकारी प्रयास किये जा रहे हैं, पर फिर भी इस क्षेत्र में अभी और कार्य बाकी है। संयोगवश आज आखा तीज ( अक्षय तृतीया) का त्यौहार है और इस दिन तो यहाँ शादियों की खूब धूमधाम है। कई लोग इस दिन की आड़ में बाल-विवाह भी कर-करा लेते हैं। यहाँ प्राप्त शादी के तमाम निमंत्रण पत्र में वर-वधू की जन्मतिथि भी देखने को मिली, ताकि बाल विवाह पर नियंत्रण किया जा सके। तमाम माएँ बाल विवाह के विरुद्ध खुलकर बोलने लगी हैं, उन्हें यह अहसास हो गया है कि उनकी बिटिया रानी सिर्फ शादी-ब्याह के लिए नहीं बनी है, बल्कि अपनी शिक्षा-कैरियर, सपने देखने की आजादी और तमाम अरमानो को पूरा करते हुए उसे आसमां की ऊँचाइयों को भी छूना है !!

-(पतिदेव कृष्ण कुमार यादव जी के फेसबुक वाल से)

शनिवार, 21 मार्च 2015

इतिहास की गलियों से गुजरते हुए मंडोर, जोधपुर में ....

वाकई बेहद खूबसूरत शहर है जोधपुर। 16 मार्च को इलाहाबाद से हम यहाँ आ गए और यहाँ आने के बाद तो हम रोज घूम ही रहे हैं। अक्षिता और अपूर्वा भी अपनी हॉलीडेज खूब इंजॉय कर रही हैं। इतिहास की किताबों में पढ़ी तमाम बातें यहाँ जीवंत रूप में सामने आती हैं।

आज सुबह हम मण्डोर घूमने गए। 15 वीं शताब्दी में जोधपुर नगर की स्थापना तक यह स्थान मारवाड़ राज्य की राजधानी रहा। यहाँ से उत्खनन में भी तमाम ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं प्राप्त हुईं, जिन्हें यहाँ म्यूजियम में सुरक्षित रखा गया है। 





  लम्बे समय तक मंडोर जोधपुर राजघराने का दाह-संस्कार  स्थल भी रहा।  फलत : राठौड़ घराने के अनेक महत्वपूर्ण शासकों के स्मृति स्मारक (देवल या छतरियाँ) यहाँ देखे जा सकते हैं। 







(मंडोर के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए इसे भी पढ़ लें)






शुक्रवार, 13 मार्च 2015

आकांक्षा यादव को ब्लॉगिंग के लिए परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका  में 'परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान' दिए जाने की घोषणा को इलाहाबाद और हमारे गृह-नगर गाजीपुर में समाचार पत्रों ने हाथों-हाथ लिया और विभिन्न अख़बारों में इससे संबंधित ख़बरें प्रकाशित हुईं।  कुछेक की कतरनें आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ !!










Blogger Akanksha Yadav to be awarded Parikalpana SAARC Summit Award 







आकांक्षा यादव को ब्लॉगिंग के लिए श्रीलंका में मिलेगा परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान

(आकांक्षा यादव को ब्लॉगिंग के लिए परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान)

मंगलवार, 10 मार्च 2015

इलाहाबाद की आकांक्षा यादव को ''परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान''

इधर हम ‪लोग कृष्ण कुमार जी के इलाहाबाद‬ से ‪जोधपुर‬ स्थानांतरण पर पैकिंग में व्यस्त थे और उधर अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन के संयोजक रवीन्द्र प्रभात जी ने जाते-जाते हमें "परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान" दिए जाने की घोषणा कर विदाई का नायब तोहफा भी दे दिया। प्रभात जी ने सूचित किया है कि आगामी 23 से 27 मई 2015 को श्री लंका में आयोजित पंचम अंतर्राष्ट्रीय ‪ब्लॉगर‬ सम्मेलन में इस सम्मान के तहत अंगवस्त्र, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह और 21,000/- की धनराशि प्रदान किए जाने का निर्णय लिया गया है। बहुत-बहुत धन्यवाद प्रभात जी !!


इलाहाबाद की आकांक्षा यादव को परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान 
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जैसा कि आप सभी को विदित है कि हर वर्ष, 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। परिकल्पना सार्क सम्मान चयन समिति के द्वारा कल एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुये शेष बचे दो परिकल्पना सार्क सम्मान और एक परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान इस बार महिलाओं को ही देने का निर्णय लिया गया है, जिसकी बारी-बारी से उद्घोषणा की ज़िम्मेदारी मुझे सौंपी गयी है।

तो चलिये शेष बचे दो सार्क सम्मनों की उद्घोषणा से पूर्व उद्घोषित करते हैं सबसे पहले परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान की। इस वर्ष के "परिकल्पना सार्क शिखर सम्मान" विजेताओं की फेहरिस्त में पहला नाम घोषित हुआ है इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) की ब्लॉगर-लेखिका आकांक्षा यादव जी का, जिन्हें आगामी 23 से 27 मई 2015 को श्री लंका में आयोजित पंचम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में अंगवस्त्र, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह और 21000/- की धनराशि प्रदान किए जाने का निर्णय लिया गया है।

आकांक्षा जी ने वर्ष 2008 में ब्लाॅग जगत में कदम रखा और विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाॅग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लाॅगिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लाॅगिंग को भी नये आयाम दिये। नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रुचि रखने वाली आकांक्षा यादव अग्रणी महिला ब्लॉगर हैं और इनकी रचनाओं में नारी-सशक्तीकरण बखूबी झलकता है।


रविवार, 8 मार्च 2015

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस : बदलाव जरुरी है

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हर साल बहुत कुछ लिखा-कहा जाता है।  हमेशा नई उम्मीदें, नए सपने, नई बातें, नया कुछ कर गुजरने का जज्बा। पर कई बार इसमें एक ठहराव सा भी लगता है।  तमाम बातों के बाद हर साल निर्भया और दामिनी कांड होते हैं, बस नाम बदल जाते हैं।  पिछले दिनों बीबीसी द्वारा प्रदर्शित डाक्यूमेंटरी में जिस तरह से एक वहशी रेपिस्ट ने इंटरव्यू में अपनी कुत्सित मानसिकता को प्रदर्शित किया है, वह आँखें खोलने वाला है। यह हमारे सिस्टम की पोल भी खोलता है। सिस्टम से लेकर व्यक्ति तक हर किसी की सोच एक जैसी नहीं हो सकती, पर कुछ लोगों की सोच पूरे समाज को शर्मनाक स्थिति में खड़ा कर देती है।  दुर्भाग्य यह कि हर गलत चीज के पैरवीकार भी यहाँ बैठे हैं, किसी को पैसा चाहिए तो किसी को नाम। वाकई हमारा समाज संक्रमणकालीन दौर से गुजर रहा है। हर जरूरत शांत होकर बैठने की नहीं, बल्कि अपनी आवाज़ को बुलंद किये रहने की है, क्योंकि  बदलाव जरुरी है !!  


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस : बदलते दौर में स्त्री 

बदलना जरुरी है : शब्दों से बदलाव की कोशिश 

क्या नारी अब भी अबला है ?

विश्व महिला दिवस : स्त्री का समुद्र आकाश 
महिलाओं की भागीदारी 


इण्डिया टुडे : तीन कविताएं- 21 वीं सदी की बेटी, मैं अजन्मी, एक लड़की

(उपरोक्त : विश्व महिला दिवस पर प्रकाशित आकांक्षा यादव की कुछेक रचनाएँ)

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हाइकु रचनाएँ

जाग उठी है
आज शिक्षित नारी
हक लेने को।

अबला नहीं
संवेदना की स्रोत
जानिए इसे।

रिश्तों की डोर
सहेजती ये नारी
रुप विभिन्न।

नारी की शक्ति
पहचानिए इसे
दुर्गा-भवानी।

हर क्षेत्र में
रचे नया संसार
आज की नारी।

बाधाएँ तोड़
आसमां के सितारे
छू रही नारी।

नारी सशक्त
समाज बने सुखी
समृद्ध राष्ट्र।





मंगलवार, 3 मार्च 2015

होली के रंग कुछ कहते हैं

होली का त्यौहार करीब है।  बिना रंगों के होली का कोई अर्थ नहीं।  ये रंग हमारे जीवन में बड़े महत्वपूर्ण हैं। ये हमारे स्वास्थ्य और मूड को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। हमारे आसपास यूं तो कई रंग हैं, पर ये चाहे-अनचाहे हम पर अपना असर डालते ही हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इस मामले पर कई शोध किए हैं और पाया है कि रंग इतने प्रभावशाली हैं कि बीमारियों की रोकथाम तक में सहायक हैं। तभी तो कलर थेरेपी आज इतनी कारगर सिद्ध हो रही है। तो आप भी अपने जीवन को इन रंगों को भर लीजिए और उठाइए इन रंगों का लाभ:

लाल रंग

लाल रंग के फल-सब्जियों में यह रंग लाइकोपीन नाम के पोषक तत्व के कारण आता है। यह कैंसर की रोकथाम में सबसे अधिक कारगर है। इसके लिए सेब, स्ट्राबेरी, लाल मिर्च, बेरी, टमाटर, तरबूज आदि का सेवन करें। संतरी या पीले रंग वाली फल-सब्जियां बेटा-केरोटीन से युक्त होती हैं। यह आंखों और त्वचा के लिए अच्छे माने जाते हैं। गाजर, आम, शकरकंद, कद्दू, पपीता, पाइनएपल, पीच आदि को भी अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। हरे रंग के फल-सब्जियों में एंटीऑक्सिडेंट्स और फोटोकेमिकल्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो कैंसर की रोकथाम में सहायक हैं। इसके लिए ब्रोकली, पालक, बंदगोभी, शिमला मिर्च, बीन्स आदि का सेवन करें।

पश्चिम में लाल रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसे सेक्सुअल कलर माना जाता है। लेकिन हमारे देश में यह रंग मां दुर्गा का रंग है। उन्हें हमेशा लाल रंग की साड़ी में ही दिखाया जाता है। यह पवित्रता का सूचक है। इसे विवाह के लिए उपयुक्त माना जाता है। लाल रंग का सिंदूर भी तो पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते का सूचक होता है। लिपस्टिक, नेल पॉलिश में इसका प्रयोग लोकप्रिय है। इसे पहनने से आप भीड़ से अलग नजर आएंगी।

पीला रंग
पीला रंग उल्लास और ऊर्जा का प्रतीक है। पर इस रंग की खासियत है इसका हीलिंग पॉवर। हल्दी जो पीली होती है, उसे हमारे देश में सौंदर्य बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। इससे दिमाग अधिक क्रियाशील रहता है। यह रंग ध्यान आकर्षित करता है। आप पीला रंग न पहनना चाहें तो किसी अन्य रंग के साथ कांबीनेशन में इसे पहन सकती हैं।

नीला रंग

नीला रंग तो शक्ति और जीवन का प्रतीक है। चूंकि पानी भी पारदर्शी होता है इसलिए नीले रंग को पारदर्शी रंग माना जाता है। भगवान कृष्ण का यह मनपसंद रंग रहा है और इस साल यह रंग सबसे ज्यादा फैशन में है। तो इस रंग को अपने वॉर्डरोब का हिस्सा बनाने से हिचके नहीं। इस रंग को पहनकर आप स्टाइलिश भी दिखेंगी और खूबसूरत भी।

हरा रंग

हरा रंग प्रकृति का रंग है। यह आंखों को सुकून प्रदान करता है। आप गर्मी के मौसम में हरा रंग खूब पहनें। 

ये भी आजमा सकती हैं .

आप एक्सेसरीज के रूप में भी तरह-तरह के रंगों को अपने वॉर्डरोब का हिस्सा बना सकती हैं। आप एक गाढ़े रंग का बैग लें। ऐसा बैग जो आपकी पर्सनैलिटी से सूट करता हो। इस समय फैशन में नीला, ब्राइट ब्राउन और काला रंग है। गर्मियां आ रही हैं। इसलिए आपका सनग्लास ज्वेल टोन शेड वाला जैसे पर्पल, ब्ल्यूबेरी या  आरेंज रंग में हो सकता है। पैंट्स, लैगिंग्स, स्कर्ट आदि के साथ ब्राइट रंग के सैंडिल्स पहनें। आजकल लांग बूट्स भी फैशन में हैं। रंगों के साथ प्रयोग करने में हिचके नहीं। हिचक टूटेगी और आप फैशनेबल दिखेंगी।

जीवन में ऐसे भरे नए रंग

अगर काम की व्यस्तता के बीच आप दोनों एक-दूसरे को समय नहीं दे पाते, हैं तो एक दिन सारे काम छोड़कर बाहर घूमने जाएं। सिर्फ आप दोनों। क्योंकि आपको एक-दूसरे की पसंद-नापसंद पता है इसलिए सरप्राइज प्लान कर सकती हैं। ज्यादा कुछ नहीं करना चाहती हैं तो फिल्म देखने और साथ शॉपिंग करने से भी बात बन सकती है। एक-दूसरे से जब भी बात करें, तो उसमें शिकवे-शिकायतों को न आने दें। हंसी-मजाक हो, तारीफ हो। अगर कभी कोई बात बुरी लगती है तो उसे हल्के में लें। जीवन को भारी-भरकम बनाकर जीने से क्या फायदा? दिल में कोई बात है तो उसे हल्के माहौल में शेयर करें। रोमांस न खत्म होने दें। प्यार बना रहेगा तो ही रिश्ता खूबसूरत लगेगा। इसलिए रोमांस के लिए समय तो आपको खुद ही निकालना होगा। साथ बैठकर बातें करें। हर मसले पर बात करें। भविष्य की योजनाओं से लेकर आज की कशमकश तक। अगर बातचीत होती रही तो एक-दूसरे को ज्यादा समझेंगी और रिश्ते में दूरियां नहीं आएंगी। नौकरीपेशा हैं तो परिवार के साथ भी इस साल ज्यादा समय बिताएं। बच्चों के साथ घूमने जाएं और उनसे बातें करें। अगर बच्चे बड़े हैं तो आप उनसे अपनी समस्याओं को शेयर कर सकती हैं। इससे बच्चे और आपके बीच का रिश्ता और मजबूत होगा। आपसी विश्वास बढ़ेगा और जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा रंगीन हो जाएगी।


रंगों का महत्व
लाल रंग को सभी रंगों में से सबसे अधिक चटक रंग माना जाता है। व्यायाम के समय इस रंग के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह स्फूर्ति प्रदान करने वाला रंग माना जाता है। लेकिन इस रंग के अत्यधिक प्रयोग के कई खराब परिणाम हो सकते हैं जैसे तनाव या गुस्सा। 

ज्यादातर स्माइली पीले रंग की ही होती हैं। इसका कारण यह है कि पीला रंग हमारे दिमाग में सेरोटोनिन नामक केमिकल बनने के लिए जिम्मेदार है, जिससे हम खुश रहते हैं। कई शोध यह साबित करते रहे हैं कि पीला रंग हमारी एकाग्रता को बढ़ाता है पर इसके अत्यधिक प्रयोग से हमें चक्कर आ सकता है और जहां इसका ज्यादा प्रयोग हुआ हो, वहां लोगों को अधिक गुस्सा आता देखा गया है। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है।
नीले रंग का प्रयोग रचनात्मकता को बढ़ाता है। यह दिमाग में ऐसे केमिकल रिलीज करने में मददगार है, जिससे हम रिलैक्स होते हैं। यह भोजन का रंग नहीं है, इसलिए कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि इस रंग का खाना परोसने पर लोगों को खाने की इच्छा ही नहीं हुई। यानी रचनात्मकता बढ़ाने के लिए इस रंग को अपनाएं।

काला रंग शक्ति और स्वामित्व का प्रतीक है। यह ज्ञान और बुद्धिमता को दर्शाने वाला है। यह फैशन इंड्रस्टी का प्रमुख रंग है। हालांकि इसे गुस्से वाला रंग माना जाता रहा है।

सफेद रंग को सबसे प्राकृतिक रंग माना जाता है। ज्यादातर बच्चों के उत्पाद इसी रंग में आते हैं। इसे मासूमियत और सफाई का प्रतीक माना जाता है। इस रंग को डॉक्टर प्रयोग करते हैं।

हरे रंग को प्रकृति का रंग माना जाता है। यह तनाव कम करने वाला और राहत देने वाला रंग है। यह हाइजीन और जल्द रिकवरी करने वाला माना जाता है इसलिए अधिकतर अस्पतालों में हरे रंग का प्रयोग दिखता है। आंखों को भी यह रंग सुकून देता है।

रविवार, 1 मार्च 2015

स्वाइन फ्लू से बचाव


'स्वाइन फ्लू' का भय इस समय चारों तरफ व्याप्त है। हल्की सी खांसी और बुखार हुआ तो फ्लू का डर सताने लगता है। डॉक्टर्स का मानना है कि इसकी कोई अचूक दवा नहीं है, पर इससे बचने के लिए तमाम तरह के प्रयोग बताये जा रहे हैं। एलोपैथिक से लेकर आयुर्वेदिक और देशी नुस्खे तक अपनाये और बताये जा रहे हैं। 

देश के सभी राज्यों से स्वाइन फ्लू से बीमार होने के मामले तेजी से आ रहे हैं यही नहीं फ्लू में मौजूद एच1एन1 वायरस से होने वाली मौतों में भी इजाफा हो रहा है। तो ऐसे में हम सबको सावधान रहना बेहद जरुरी है । क्योंकि अगर आप लोगों के साथ उठ-बैठ रहे हैं, बस, ट्रेन, आदि में सफर कर रहे हैं, अगर आपके बच्चे स्कूल जा रहे हैं, तो आप या परिवार के सदस्य इस वायरस की चपेट में आसानी से आ सकते हैं।

क्या है स्वाइन फ्लू? 
स्वाइन इंफ्लुएंज़ा, इसे पिग इंफ्लुएंज़ा, स्वाइन फ्लू, होग फ्लू, पिग फ्लू या एच1एन1 वायरस भी कहा जाता है। यह तमाम प्रकार के स्वाइन इंफ्लुएंज़ा वायरसों में से किसी भी एक वायरस से फैल सकता है। इंसानों को होने वाले सामान्य फ्लू वायरस या बर्ड फ्लू के वायरस की चपेट में जब सुअर आता है, तब सुअर के शरीर के अंदर एच1एन1 वायरस का जन्म होता है। जब उस बीमार सुअर की चपेट में कोई इंसान आता है, तब उसे स्वाइन फ्लू हो जाता है। और फिर जब उस बीमार व्यक्त‍ि का इलाज अगर सही से नहीं हुआ और उसके संपर्क में अन्य लोग आये, तो उन लोगों तक भी यह वायरस फैल जाता है। यह वायर बहुत तेज गति से फैलता है। 2009 में एच1एन1 पूरी दुनिया में फैला था, तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोष‍ित किया था। 

 कैसे फैलता है यह वायरस?
यह वायरस सुअर से आता है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि आप तो कभी सुअर के करीब तक नहीं जाते इसलिये आप सुरक्ष‍ित हैं, तो आप गलत हैं। क्योंकि यह वायरस अब इंसानों में फैल चुका है। भारत में अध‍िकांश लोग बुखार आने के तीन दिन तक इंतजार करते हैं। यह देखते हैं कि साधारण पैरासिटामोल से बुखार उतर रहा है या नहीं, उसके बाद कोई एंटीबायोटिक दवा ले लेते हैं, वो भी डॉक्टर से बिना सलाह लिये। ऐसे लोग बीमारी की हालत में भी अपने परिवार के बेहद करीब रहते हैं, क्योंकि उन्हें पता नहीं होता है कि उन्हें साधारण फ्लू है या स्वाइन फ्लू। और अगर दुर्भायवश स्वाइन फ्लू है और वो उसी बस में यात्रा कर रहे हैं, जिसमें आप सवार हैं, तो आप तक उस वायरस के पहुंचने की प्रबलता बहुत ज्यादा है।

स्वाइन फ्लू से  बचाव 
स्वाइन फ्लू से  बचाव हेतु कपूर और इलायची के चूर्ण को कपडे में बाँध कर सूंघने का भी एक उपाय बताया गया है । पुराने समय में भी वातावरण को शुद्ध करने के लिए हमारे ऋषि-मुनि हवन किया करते थे । हवन में डाली जाने वाली सामग्री में औषधिय गुण होते हैं ।

संयोगवश, 5 मार्च को होली है । ऐसे में होलिका दहन को लोग हवन की तरह उपयोग कर सकते हैं । होलिका दहन में कपूर की 2-3 टिकिया जरूर डालें । एक परिवार से 2-3 टिकिया, एक जगह की होली में लगभग 20 परिवार कपूर की टिकिया होली में डालें और इसी प्रकार हर स्थान पर जलने वाली होली में किया जाये । होलिका दहन सभी स्थानों पर एक ही मुहूर्त में होता है , जब एक साथ इतने स्थानों पर इस प्रकार का धुआं उठेगा तो वातावरण में से कीटाणुओं का नाश होगा और वातावरण शुद्ध होगा ।

इस बात को सरलता से समझने के लिए 'कृष' फिल्म का उदाहरण लेते है। फिल्म कृष 3 में एक शहर एक खतरनाक वायरस से संक्रमित हो जाता है। लोगों को वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए जल्द से जल्द एंटी डोज़ देना जरूरी होता है। इतने कम समय में पूरे शहर के लोगो को एंटी डोज़ संभव नहीं होने पर उस दवा यानि एंटी डोज़ को हवा के माध्यम से ही लोगो में पहुचाया जाता है। बस कुछ ऐसा ही समझ लें और आपके परिवार/मित्रों में जो भी होलिका पूजन के लिए जाएँ, उन्हें बताएँ कि होलिका दहन में कपूर जरूर से डालें। 


रविवार, 22 फ़रवरी 2015

हिंदी काव्य साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय साहित्य सृजन के लिए आकांक्षा यादव 'मनोहरा देवी सम्मान' से सम्मानित

निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा युवा साहित्यकार और ब्लॉगर आकांक्षा यादव को मातृभाषा हिंदी काव्य साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय साहित्य सृजन के लिए निराला जयंती के पावन अवसर पर 21 फरवरी, 2015 को 'मनोहरा देवी सम्मान' से अलंकृत किया गया। यह सम्मान निराला जी की पत्नी की स्मृति में दिया जाता है।  उनकी अनुपस्थिति में यह सम्मान उनके पतिदेव एवं  वरिष्ठ साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवाएं, इलाहाबाद परिक्षेत्र ने ग्रहण किया । इस अवसर पर पुष्पहार, शाल, प्रशस्ति-पत्र और पाँच हजार की नकद राशि देकर उन्हें सम्मानित किया गया। 

इस अवसर  पर निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली  द्वारा  श्रीमती आकांक्षा यादव (इलाहाबाद) को 'मनोहरा देवी स्मृति सम्मान' के अलावा  श्री अनूप अशेष (सतना, म.प्र.)  को 'निराला सम्मान', डा. धनन्जय सिंह (गाजियाबाद)  को 'प्रजा वत्सल राजा डालदेव स्मृति सम्मान' एवं डा. संतलाल विश्वकर्मा (रायबरेली) को 'मुल्ला दाउद सम्मान' से एक भव्य कार्यक्रम में सम्मानित-विभूषित किया गया।  

 समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं एडिशनल कमिश्नर, सेल टैक्स, बरेली  श्री कमलेश भट्ट कमल, अध्यक्षता डा. ओ.पी. सिंह एवं विशिष्ट अतिथि डा. चम्पा श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, फिरोज गाँधी पीजी कालेज, रायबरेली ने समारोह को गौरवान्वित किया। इस अवसर पर 'महाप्राण -2015' वार्षिकांक का लोकार्पण भी किया गया। इसके प्रधान संपादक श्री राजाराम भारतीय व संपादक श्री राम निवास पंथी हैं।  




प्रस्तुति :
-रत्नेश कुमार मौर्य
संयोजक - ’शब्द साहित्य’,  इलाहाबाद 






शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

आकांक्षा यादव को निराला स्मृति संस्थान, द्वारा ‘मनोहरा देवी स्मृति सम्मान’

युवा साहित्यकार एवं ब्लाॅगर आकांक्षा यादव को निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली द्वारा निरालाजी की धर्मपत्नी की स्मृति में दिये जाने वाले सम्मान “मनोहरा देवी स्मृति सम्मान“ के लिए चुना गया है। उक्त सम्मान निराला जयन्ती के अवसर पर 21 फरवरी 2015 को मनोहरा देवी के जन्म स्थान मुराई का बाग, डलमऊ, रायबरेली में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदान किया जायेगा। आकांक्षा यादव को यह सम्मान अनवरत साहित्य सेवा एवं अपनी रचनाओं में नारी सशक्तीकरण पर प्रमुखता से लिखने के लिए प्रदान किया जायेगा। आकांक्षा यादव इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव की पत्नी हैं। श्री यादव भी हिंदी की युवा पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उक्त जानकारी निराला स्मृति संस्थान, रायबरेली के संयोजक श्री राम निवास पंथी ने दी। 

गौरतलब है कि आकांक्षा यादव एक लम्बे समय से साहित्य और ब्लाॅगिंग से अनवरत जुड़ी हुई हैं। आकांक्षा यादव की विभिन्न विधाओं में रचनाएँ देश-विदेश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर निरंतर प्रकाशित होती रहती है। आकांक्षा यादव की 2 कृतियाँ ”चाँद पर पानी” (बालगीत संग्रह) एवं ”क्रांतियज्ञ: 1857-1947 की गाथा” प्रकाशित हैं। पत्र-पत्रिकाओं के साथ-साथ इंटरनेट पर भी सक्रिय आकांक्षा यादव की रचनाएँ तमाम वेब/ई-पत्रिकाओं, सोशल मीडिया और ब्लॉगों पर भी पढ़ी-देखी जा सकती हैं। नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रुचि रखने वाली आकांक्षा यादव की रचनाओं में नारी-सशक्तीकरण बखूबी झलकता है।

इससे पूर्व भी आकांक्षा यादव को विभिन्न साहित्यिक-सामाजिक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इनमें उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा ’’अवध सम्मान’’, परिकल्पना समूह द्वारा ’’दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लाॅगर दम्पति’’ सम्मान, ”परिकल्पना ब्लॉग विभूषण सम्मान”, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाॅक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि, भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘डाॅ. अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘ व ‘‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा, राजस्थान द्वारा ”हिंदी भाषा भूषण”, ‘‘एस.एम.एस.‘‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु दर्जनाधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं ।