हाथ मिलाने को देश-दुनिया में एक सामाजिक परंपरा के रूप में देखा जाता है, लेकिन इस औपचारिक प्रक्रिया को अगर गहरे अर्थों में देखा जाए तो पता चलेगा कि यह वह संकेत है, जिससे आपसी विश्वास, आत्मीयता और आत्मविश्वास का आकलन होता है। हाथ मिलाना किसी को भी परखने का सांकेतिक परीक्षण है। बड़ी कंपनियों में साक्षात्कारकर्ता प्रत्याशी से हाथ मिला पर उसके आत्मविश्वास और कंपनी के प्रति उसके भावी रूख का आकलन करते हैं। इसलिए इस दौरान हाथ मिलाने में गर्मजोशी का प्रदर्शन होना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा भी होता है कि हर स्तर पर प्रत्याशी का प्रदर्शन अच्छा होने के बाद भी हाथ मिलाने के दौरान ठंडी प्रतिक्रिया देने के आधार पर खारिज किया जा सकता है।
इतिहास में हालांकि इस बात के ठीक-ठाक कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि हाथ मिलाने की प्रक्रिया की शुरूआत कब से हुई, लेकिन इस बात के सबूत हैं कि यह परंपरा दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में भी थी। कई शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि पश्चिमी देशों में हाथ मिलाने की शुरूआत 16वीं शताब्दी में ब्रिटिश कोर्ट में सर वाल्टर रालेघ ने की। माना जाता है कि हाथ मिलाने की शुरूआत शांति के प्रतीक के रूप में हुई जिसका अर्थ था कि हाथ मिलाने वाले के पास कोई हथियार नहीं है और उस पर विश्वास किया जा सकता है।
साक्षात्कार और व्यावसायिक संबंधों के अलावा हाथ मिलाना राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम है। राजनीति के क्षेत्र में हाथ मिलाने को दो देशों के बीच अनुबंध, शांति समझौते और मित्रता का प्रतीक माना जाता है। राजनीति में हाथ मिलाने का महत्व इस बात से ही समझा जा सकता है कि दुनिया भर में राजनेताओं की आपस में हाथ मिलाने की तस्वीरें अखबारों व चैनलों की ज्यादा सुर्खियांँ बटोरती हैं। ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों में हाथ मिलाने को सम्मान का भी प्रतीक माना जाता है। भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान अंग्रेज अधिकारी भारतीयों से हाथ मिलाना अपनी शान के खिलाफ समझते थे। ब्रिटेन की महारानी के बारे में आज भी कहा जाता है कि वे बहुत कम लोगों से हाथ मिलाना पसंद करती हैं। फिलहाल, हाथ मिलाना एक औपचारिक प्रक्रिया से जादा संबंधों की उष्णता, परस्पर संबंध एवं दुनियादारी का प्रतीक बना चुका है।
23 टिप्पणियां:
Ekdam nai jankari mere liye...abhar.
Apne Bahut sahi likha ki-हाथ मिलाना किसी को भी परखने का सांकेतिक परीक्षण है।
हाथ मिलाना संबंधों की ऊष्णता और परस्पर संबंधों का प्रतीक है - सहमत हूँ आपके इस कथन से।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
इस सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद
इस खोज के लिए धन्यवाद!
बहुत खुब... इस जानकारी के लिए शुक्रिया
हाथ तो हम सभी मिलाते हैं, पर इसके इतिहास में कभी नहीं गए. रोचक जानकारी से भरा पोस्ट !
Naye andaj ki post...nai jankari.
"शब्द सृजन की ओर" पर इस बार "ऑरकुट की कहानी"....
इस सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद...
यही आपके ब्लॉग की विशेषता है की हर बार कुछ नया व अलग सा.
बहुत खूब, हाथ मिलाते-मिलाते इसका इतिहास भी जान गए.
हाथ मिलाने की शुरूआत शांति के प्रतीक के रूप में हुई जिसका अर्थ था कि हाथ मिलाने वाले के पास कोई हथियार नहीं है और उस पर विश्वास किया जा सकता है। ....Yah huyi na naye andaj wali jankari.
आपने तो हैण्ड-शेक के बारे में बड़ा उम्दा जानकारी दी. छोटी-छोटी बातों को हम जीवन में अपनाते जरुर हैं, पर उनके बारे में नहीं जानते, इस सम्बन्ध में "शब्द-शिखर'' ब्लॉग अच्छा कार्य कर रहा है,,बधाई.
Behatrin bat batai apne.
इसीलिए कहा गया है :
दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए...
Yah jankari to bahut jaruri hai.
बहुत ही सुंदर रचना बेहतरीन प्रस्तुति आभार !
apane isake bare me achchhi jankari di hai......
इस सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद...
इस सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद...
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