अभी अख़बार में एक लाजवाब पहल के बारे में पढ़ी कि सीबीएसई ने देश के ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों के संरक्षण के उद्देश्य से ''एडाप्ट हेरिटेज डे'' मनाने की योजना बनाई है। एडाप्ट योजना के तहत छात्रों को विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर उनके संरक्षण का प्रण लेना होगा। धरोहरों के संरक्षणों के प्रण को हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के दिन प्रदर्शित करना होगा और यहां भ्रमण के आने वाले लोगों को धरोहरों को क्षति न पहुंचाने के लिए जागरूक करना होगा। छात्र इस कार्य को गंभीरता से पूरा करें, इसके लिए इसे सतत समग्र मूल्यांकन प्रणाली में शामिल किया जाएगा और उसके आधार पर अंक भी प्रदान किए जाएंगे।
वस्तुत: आपने देश में कई ऐतिहासिक धरोहर ताजमहल, आगरा किला, लाल किला, फतेहपुर सीकरी, कोर्णाक सूर्य मंदिर, खजुराहो, महाबलीपुरम, थंजाबूर, कुतुबमीनार, हम्पी इत्यादि विश्व-धरोहरों में शामिल हैं। इनको बचाए रखने और बेहतर बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है। लेकिन बीते कुछ समय से जिस प्रकार टूरिस्ट ऐतिहासिक धरोहरों को विभिन्न तरीकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उससे यह जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि आखिर कैसे लोगों को जागरूक किया जाए? इसके लिए बच्चों को शामिल करने के पीछे सीबीएसई की यह मंशा है कि इससे उन्हें न केवल ऐतिहासिक धरोहरों की जानकारी मिलेगी बल्कि उन्हें इन जगहों पर भ्रमण भी करवाया जाएगा, ताकि वे लोगों को सीख दे सकें। इस पहल को पुरातत्व संरक्षण विभाग ने भी मंजूरी दी है. बच्चों में इसके प्रति लगाव पैदा हो इसके लिए इसे सतत समग्र मूल्यांकन का हिस्सा भी बना दिया गया है और बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चों को उस हिसाब से अंक भी प्रदान किया जाएगा।
12 टिप्पणियां:
ये तो बड़ी अच्छी बात बताई आपने. युवा पीढ़ी को जागरूक करना जरुरी है.
बेहतरीन पहल...स्वागत है. जानकारी के लिए आभार.
बेहतरीन पहल...स्वागत है. जानकारी के लिए आभार.
बच्चों को शामिल करने के पीछे सीबीएसई की यह मंशा है कि इससे उन्हें न केवल ऐतिहासिक धरोहरों की जानकारी मिलेगी बल्कि उन्हें इन जगहों पर भ्रमण भी करवाया जाएगा, ताकि वे लोगों को सीख दे सकें।....Chaliye CBSE ne koi nek karya karne ki sochi, badhai.
सोच तो अच्छी है, पर कहीं कागजी ना साबित हो.
जिस प्रकार टूरिस्ट ऐतिहासिक धरोहरों को विभिन्न तरीकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उससे यह जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि आखिर कैसे लोगों को जागरूक किया जाए?....तो आशा की जानी चाहिए कि अब जोड़ों के नाम दीवालों पर नहीं लिखे मिलेंगे. कई बार तो ये नाम देखकर लगता है मानो उन्हीं ने यह इमारत बनवाई और अपना नाम दर्ज कर दिया.
बढ़िया है जी.
बच्चों में इसके प्रति लगाव पैदा हो इसके लिए इसे सतत समग्र मूल्यांकन का हिस्सा भी बना दिया गया है और बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चों को उस हिसाब से अंक भी प्रदान किया जाएगा...Yah hui na koi bat.
बच्चों में इसके प्रति लगाव पैदा हो इसके लिए इसे सतत समग्र मूल्यांकन का हिस्सा भी बना दिया गया है और बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चों को उस हिसाब से अंक भी प्रदान किया जाएगा...Yah hui na koi bat
बहुत अच्छी खबर है धन्यवाद्
Bahut khub...swagat hai.
देर से ही सही, शुभ व नेक कार्य.बच्चे भी कुछ सीखेंगें.
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