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मंगलवार, 12 जनवरी 2010

धूप खिलेगी

जयकृष्ण राय तुषार जी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत के पेशे के साथ-साथ गीत-ग़ज़ल लिखने में भी सिद्धहस्त हैं. इनकी रचनाएँ देश की तमाम चर्चित पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पाती रहती हैं. मूलत: ग्रामीण परिवेश से ताल्लुक रखने वाले तुषार जी एक अच्छे एडवोकेट व साहित्यकार के साथ-साथ सहृदय व्यक्ति भी हैं. सीधे-सपाट शब्दों में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने वाले वाले तुषार जी ने पिछले दिनों एक गीत इस आग्रह के साथ भेजा की इसे "शब्द-शिखर" पर स्थान दिया जाय. इस खूबसूरत गीत को इस ब्लॉग पर आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ, कैसी लगी..कमेन्ट लिखियेगा-

धूप खिलेगी
हँसकर फूलों सी
कोहरा छँट जायेगा।
जल पंछी
डूबकर नहायेंगे
मौसम फिर बजरे पर गायेगा।

हाथों में हाथ लिए
मन में
विश्वास लिए चलना है,
जहाँ-जहाँ पर
उजास गायब है
बन करके दीप सगुन जलना है,
फिर हममें
से कोई सूरज बन
नई किरन नई सुबह लायेगा।

जीवन के
बासन्ती पन्नों पर
एक कलम चुपके से डोलेगी,
जो कुछ भी
अनकहा रहा अब तक
मन की उन परतें को खोलेगी,
गलबहियों के दिन
फिर याद करो
मन को एहसास गुदगुदायेगा।

टहनी पर
एक ही गुलाब खिला
इससे तुम आरती उतारना,
एक फूल
मुझको भी मान प्रिये!
जूडे में गूँथकर सँवारना,
जब भी ये फूल,
हवा छू लेगी
सारा आकाश महक जायेगा।

15 टिप्‍पणियां:

S R Bharti ने कहा…

dhoop khilegi hashker phoolon si

Kavita bahut sunder abhibyakti hai.

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

sunder abhivyakti.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति!
लोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की
हार्दिक शुभकामनाएँ!

Bhanwar Singh ने कहा…

टहनी पर
एक ही गुलाब खिला
इससे तुम आरती उतारना,
एक फूल
मुझको भी मान प्रिये!
...खूबसूरत है तुषार जी...बधाइयाँ.

Shyama ने कहा…

पहली बार आपके ब्लॉग पर दूसरे की रचना पढ़ रहा हूँ. ब्लॉग का यही फायदा है की अच्छे लोगों को इससे प्रोमोट किया जा सकता है. राय साहब के इस गीत का जवाब नहीं, मेरी शुभकामनायें.

Shyama ने कहा…

पहली बार आपके ब्लॉग पर दूसरे की रचना पढ़ रहा हूँ. ब्लॉग का यही फायदा है की अच्छे लोगों को इससे प्रोमोट किया जा सकता है. राय साहब के इस गीत का जवाब नहीं, मेरी शुभकामनायें.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

धूप खिलेगी
हँसकर फूलों सी
कोहरा छँट जायेगा।
जल पंछी
डूबकर नहायेंगे
मौसम फिर बजरे पर गायेगा।
...जयकृष्ण राय जी ने सही ही लिखा, तभी तो मकर-संक्रांति पर कई दिनों बाद धूप के दर्शन हुए.

मन-मयूर ने कहा…

जो कुछ भी
अनकहा रहा अब तक
मन की उन परतें को खोलेगी,
गलबहियों के दिन
फिर याद करो
मन को एहसास गुदगुदायेगा।
....अजी अभी से गुदगुदा रहा है. गीतकार वकील पहली बार देख रहा हूँ.

blylion ने कहा…

i read ur lovely poem exelent heartly touched hope that ye dhar n hogi kam thnk u my dear.

सुरेश यादव ने कहा…

आकांक्षा आप ने श्री जाया कृष्ण राय तुषार जी की बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है भावों का टटकापन यह अहसास दिलाता है कि अन्य भी स्तरीय होंगी.मेरी हार्दिक बधाई.नव वर्ष कि हार्दिक शुभ कामनाएं

सुरेश यादव ने कहा…

आकांक्षा आप ने श्री जय कृष्ण राय तुषार जी की बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है भावों का टटकापन यह अहसास दिलाता है कि अन्य भी स्तरीय होंगी.मेरी हार्दिक बधाई.नव वर्ष कि हार्दिक शुभ कामनाएं
नाम गलत लिख जाने के कारण पुनः प्रेषित

Unknown ने कहा…

Beautiful Expressions...!!

KK Yadav ने कहा…

तुषार जी खूब लिख रहे हैं. बड़ी मनमोहक रचना प्रस्तुत हुई है यहाँ पर...बधाई.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

बेहतरीन लिखा आपने..बधाई.

संजय भास्‍कर ने कहा…

इससे तुम आरती उतारना,
एक फूल
मुझको भी मान प्रिये!
...खूबसूरत है तुषार जी...बधाइयाँ.