चाॅकलेट भला किसे नहीं प्रिय होता- क्या बूढ़े क्या बच्चे। इसका नाम सुनते ही मुँह में पानी भर आता है। चाॅकलेट शब्द माया भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- ’खारा पानी’। चाॅकलेट बनाने के लिए बीजों को बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। सफाई के बाद इन्हें भून कर पीस लिया जाता है। इसमें कोको बटर और पाउडर अलग-अलग हो जाता है।
चाॅकलेट की खोज 500 ईसा पूर्व मैक्सिको के मूल निवासियों ने की थी। चाॅकलेट को ककाओ (कोको) नामक वृक्ष की सूखी फलियों और बीजों को पीस कर बनाया जाता है। उष्णकटिबंधीय वातावरण में उगने वाले इस वृक्ष के नाम का अर्थ है- ’कड़वा रस’। यह वृक्ष मध्य अमेरिका, ब्राजील, मैक्स्किो, घाना, नाइजीरिया आदि देशों में खूब पाये जाते हैं। एक पूर्ण विकसित वृक्ष 25 फीट तक लम्बा हो जाता है। कोको के बीज देखने में बादाम के आकार के होते हैं। बीजों से न सिर्फ कोको और चाॅकलेट पाउडर प्राप्त होता है बल्कि इनसे कोको बटर भी मिलता है। कोको बटर को टाफियों और दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
12 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर जानकारी, लेकिन यह युरोपियन लोग कोडियो के भाव से इन बीजो को खरीद्ते है, ओर फ़िर बहुत महंगी बेचते है ...
धन्यवाद
जानकारी के लिए धन्यवाद!
knowledgeble article.....
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने!
मेरे मुंह में तो पढ़कर ही पानी आ गया...लाजवाब पोस्ट.
मेरे मुंह में तो पढ़कर ही पानी आ गया...लाजवाब पोस्ट.
...काश इस पोस्ट के साथ चाकलेट भी खाने को मिलती तो मजा दुगुना हो जाता...स्वादिष्ट है.
चाकलेटी पोस्ट. लगता है आपको चाकलेट बहुत प्रिय है, मुझे भी है.
चाकलेट खाते तो खूब हैं, पर इतनी विस्तृत जानकारी पहली बार..धन्यवाद.
@ Rashmi ji,
Hamen bhi Choclate pasand hai.
Chocolate ke age koi bat nahin, sirf Chocolate.
चाकलेटी पोस्ट.
एक टिप्पणी भेजें