आजकल कलर्स चैनल पर चल रहा धारावाहिक 'बालिका वधू' काफी चर्चा में है. पश्चिम बंगाल में तो एक नाबालिग लड़की ने यह कहते हुए शादी से इंकार कर दिया कि बालिका वधु की आनंदी बाल विवाह का विरोध करती है। वस्तुत: बाल विवाह एक ऐसा मुद्दा है, जिसके प्रति हर कोई सचेत है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में दुनिया के 40 फीसदी बाल विवाह होते हैं । पिछले साल तो भारत और अफ्रीका समेत अन्य दक्षिण एशियाई देशों में बाल विवाह की समस्या को खत्म करने में विदेशी सहायता के लिए अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में एक विधेयक भी पेश किया गया था.वस्तुत: बाल विवाह एक तरह से मानवाधिकार उल्लंघन है. तमाम बालिका वधुएँ गरीबी में रहने, कम वजन के बच्चों को जन्म देने, उम्र से पूर्व प्रसवावस्था में मौत का शिकार होने इत्यादि दुर्गतियों का शिकार हो जाती हैं.
कहा जाता है जो समाज जितना शिक्षित और विकसित होगा, वहाँ इस तरह की घटनाएँ उतनी ही कम होंगीं. पर वास्तव में ऐसा नहीं है. गुजरात व आंध्र प्रदेश जैसे समृद्ध व शिक्षित राज्य बाल विवाह के मामले में देश में सबसे आगे हैं. कुल मामलों में 40 फीसदी मामले इन दोनों प्रदेशों में ही दर्ज हुए हैं. पूरे भारत में वर्ष 2008 में बाल विवाह के 104 मामले आये, जिनमें से 23 गुजरात के व 19 आंध्र प्रदेश के थे. फर्क बस इतना रहा कि 2007 में आंध्र 19 मामलों के साथ प्रथम व गुजरात 14 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर था. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड्स ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2008 में कर्णाटक में 9, बिहार में 8, पश्चिम बंगाल व पंजाब में 6-6, महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ में 5-5, केरल, तमिलनाडु व हरियाणा में 4-4, राजस्थान में 3, मध्य प्रदेश व हिमाचल प्रदेश में 2-2 एवं दिल्ली, गोवा, उड़ीसा व असम में 1-1 बाल विवाह के मामले दर्ज हुए. कभी बाल विवाह के मामले में राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और प0 बंगाल जैसे राज्य जाने जाते थे पर आज अपने को वायिब्रेंट व टेक्नोलाजी के अग्रदूत माने जाने वाले राज्यों में यदि इसकी दर बढ़ रही है तो यह चिंताजनक भी है और अफसोसजनक भी.आखिर यह जान बूझकर ऐसे जोड़ों को गर्त में धकेलना ही तो कहा जायेगा. वह भी तब जब भारत सरकार ने नेशनल प्लान फॉर चिल्ड्रेन 2005 में 2010 तक बाल विवाह को पूरी तरह ख़त्म करने का लक्ष्य रखा है ।
आज जहाँ हर कोई कैरियर बनाने में लगा है, वहाँ शादियाँ २५ के बाद ही हो रही हैं, पर यहाँ तो गुजरात व आंध्र जैसे सक्षम व समृद्ध राज्य 21 (लड़का) व 18 (लड़की) कि उम्र से भी पहले विवाह को नहीं रोक पा रहे हैं. ऐसी घटनाएँ एक बार फिर सिद्ध करती हैं कि शिक्षा व समृद्धि के बावजूद कुछ चीजें ऐसी हैं, जो मानवीय प्रवृत्तियों को निर्देशित करती हैं, अन्यथा बाल-विवाह के पक्ष में कोई तर्क देना तो मुश्किल ही होगा.
26 टिप्पणियां:
बहुत गंभीर मुद्दा उठाया आपने आकांक्षा जी...बेबाकी से लिखा भी.
यह बड़े शर्म की बात है कि समृद्ध राज्यों में बाल विवाह ज्यादा हो रहे हैं. नेता लोग वोट बैंक के चक्कर में कुछ कर ही नहीं पाते हैं. अभी खाप-पंचायतों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी हरियाणा सरकार उनके विरुद्ध कदम नहीं उठा पा रही है. हर कोई बस अपना वोट बैंक सही रखना चाहता है.
सार्थक मुद्दा..सार्थक बात..साधुवाद.
नरेन्द्र मोदी जी को अपने मुद्दों से फुर्सत मिले तब तो बाल विवाह की ओर ध्यान देंगे..
नरेन्द्र मोदी जी को अपने मुद्दों से फुर्सत मिले तब तो बाल विवाह की ओर ध्यान देंगे..
आकांक्षा जी, आपने बालिका वधू का सही दृष्टान्त दिया है. यदि लोग इस धारावाहिक से प्रेरित हो रहे हैं तो अच्छी बात है.
बाल विवाह का मै भी विरोधी हुं, लेकिन अमेरिका को हमारे मामलो मै टांग अडाने की क्या जरुरत है, उन के यहां बाल विवाह तो नही होता लेकिन १२ साल की लडकियां भी खुब सेक्स करती है ओर १४ साल की लडकिया ९०% माहिर है.... तो पहले इन्हे अपनी सोचनी चाहिये
हमारे देश मै ऎसे बहुत से मामले है जिन पर सरकार खामोश रहती है, ओर बेकार के नये नये मामले विवाद खडा करने के लिये रोजाना जनता के सामने लाती है
बहुत गंभीर मुद्दा उठाया आपने
bilkul sahi he muda
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
यह विचारणीय है.
अभी लगता है कि शिक्षा की कमी है हमारे देश में!
ऐसी कुरीतयाँ ......न जाने इस देश से कब जायेंगे ,.....बहुत सही मुद्दा उठाया आपने .
गंभीर मुद़दा है। समय रहते इस पर बहस होना चाहिये।
बाल विवाह अभी भी खूब हो रहे हैं. सरकारी आंकड़ों से परे भी...
सवाल सिर्फ सरकार का नहीं है, लोगों को भी इस सम्बन्ध में पहल करनी चाहिए...बेहतरीन मुद्दा.
काफी प्रभावी विचार..साधुवाद.
बाल विवाह पर गंभीरता से सोचने व इसके उन्मूलन के लिए कड़े कदम उठाने की जरुरत है.
बाल विवाह पर गंभीरता से सोचने व इसके उन्मूलन के लिए कड़े कदम उठाने की जरुरत है.
आज के दौर में बाल विवाह, सोचकर आश्चर्य लगता है वो भी गुजरात व आंध्र जैसे राज्यों में. मोदी जी क्या कर रहे हैं.
सुन्दर शब्दों में प्रासंगिक लेख..आभार.
यह तो बड़ी भयावह बात है..
.बेहतरीन मुद्दा.
बाल विवाह पर गंभीरता से कड़े कदम उठाने की जरुरत है.
बाल विवाह समाज के लिए घातक है।सँवेदनशील विषय पर लिखने मेँ आपका जवाब नहीँ आपको महिला आयोग या सँसद मेँ होना चाहिए।
तुषार जी,
आपके प्रोत्साहन के लिए आभार. अभी संसद में वैसे भी महिला आरक्षण की लड़ाई चल रही है...इक से इक शूरमा व वीरांगनाएँ पड़े हुए हैं.
बाल विवाह के मुद्दे पर आप सभी के वैचारिक सहयोग के लिए आभार !!
बाल विवाह अभी भी खूब हो रहे हैं
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