
आजकल ब्लागिंग में भी टी.आर.पी. के चक्कर में सबसे बड़ा कौन की होड़ लगी/ लगाई हुई है. लोग रात को टी. वी. देखते हैं और अल-सुबह ही लैपटाप पर बैठकर रातों-रात चर्चा में आने का बहाना ढूंढने लगते हैं. वैसे भी इस देश में लोगों को बांटना हो तो पुरस्कार और सम्मान के जलजले बड़े काम आते हैं. अंग्रेजों ने भी यही किया- फूट डालो और राज करो. कुछ लोगों को बड़ी-बड़ी पदवी दे दी और वे अपने को बड़ा मानकर अपने ही भारतीय बंधुओं पर जुल्म करने लगे. हमारे देश में न जाने कुकुरमुत्तों की तरह कितनी संस्थाएं हैं जो 100/- के मनीआर्डर पर आपको प्रेमचंद से लेकर निराला तक के नाम पर सम्मानित कर डालते हैं. जब उनसे पूछिये तो टका सा जवाब कि पद्मश्री भी तो थोक में दिए जाते हैं और उसके लिए भी तो सिफारिश की जरुरत होती है. हिंदी अकादमी दिल्ली का जलजला अभी गुजरे हुए ज्यादा दिन नहीं हुआ, हर कोई दूसरे का ही चेहरा देख रहा था कि बडके लोग सम्मान लेने पहुंचें तो हम भी पहुंचें. कुछ लोग तो पहुंचे भी नहीं और आफिस में मंगाकर सम्मान ले लिया. इसे कहता हैं दो-धारी तलवार. दुर्भाग्य से यही विडम्बना आजकल ब्लागिंग में भी दिख रही है.
कभी निजी डायरी के रूप में आरंभ हुआ ब्लॉग अपने 10 साल पूरे कर चुका है, इस पर जश्न मानना चाहिए. पर यहाँ तो कीचड़ उछालने की परंपरा आरंभ हो गई है. आप कुछ विवादित लिखिए टिप्पणियों की बहार आ जाती है, फिर ब्लॉगवाणी और चिटठा जगत जैसे एग्रीगेटर में आपका ब्लॉग बुलंदियां छूने लगता है. हर कोई मानो यहाँ रचनात्मकता के लिए नहीं बल्कि चर्चा पाने के लिए आया है. कहावत है न- "बदनाम हुए तो क्या हुआ, नाम तो हुआ". रोज अख़बारों में छाये रहने वाले एक नेता जी को जब एक पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया तो उन्हें कुछ भी न सूझा की, चर्चा में कैसे रहा जाय. किसी ने बताया अमिताभ बच्चन जी को देखिये. अब वो नहीं उनका ब्लॉग बोलता है. नेता जी ठहरे अमिताभ जी के करीबी, सो लगे हाथ इस विचार को झपट लिया. अब उनकी बातों की चर्चा होने लगी है. एक दैनिक अख़बार ने तो मानो ठेका उठाया है कि हिंदी के 13, 000 ब्लागर्स में से मात्र उन नेता जी के ब्लॉग को ही तवज्जो देनी है, पता नहीं यह कैसी डील है. ऐसी प्रवृत्तियों के दम पर तो ब्लॉग जगत में आने वाले अच्छे लोगों का अकाल हो जायेगा.
कई लोग ऐसे हैं जो अच्छा लिखते हैं, पर संपादकों की गुटबंदी के चलते उनकी रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित नहीं हो पातीं तो वे ब्लागिंग में अच्छा जौहर दिखा रहे हैं और उनकी रचनाएँ स्तरीय व सराही भी गई हैं. पर यदि ब्लागिंग में भी इसीतरह राजनीति घुसने लगी, मान-सम्मान और पुरस्कारों के नाम पर पैसे बिखरने लगे तो फिर वही बात कि- एक मछली ही सारे तालाब को गन्दा करती है, वाली बात चरितार्थ हो जाएगी. जरुरत समझने कि है ब्लागिंग से प्रिंट-मीडिया तक को खतरा महसूस होने लगा है. आज 13, 000 हिंदी ब्लॉग हैं कल 13 लाख होंगे. फिर उनकी शक्ति को कौन रोक सकेगा. आपको मेरी बात मजाक लग सकती है, पर एक ट्विटर ने मंत्री के इस्तीफे से लेकर न जाने क्या-क्या गुल खिलाये, जगजाहिर है. ...अब भी बहुत देर नहीं हुई है, वक़्त पर हम ब्लागर्स संभल गए तो शुभ सन्देश ही जायेगा !!
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अभी 'सर्वश्रेष्ठ ब्लागर कौन' की लड़ाई ख़त्म ही नहीं हुई कि अब एक जलजला प्रकट हो गए हैं. देखिये उन्होंने क्या घोषणा की है- कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
पुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा
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महिलाओं में श्रेष्ठ ब्लागर कौन- जीतिए 21 हजार के इनाम
पोस्ट लिखने वाले को भी मिलेगी 11 हजार की नगद राशि
आप सबने श्रेष्ठ महिला ब्लागर कौन है, जैसे विषय को लेकर गंभीरता दिखाई है. उसका शुक्रिया. आप सबको जलजला की तरफ से एक फिर आदाब. नमस्कार.
मैं अपने बारे में बता दूं कि मैं कुमार जलजला के नाम से लिखता-पढ़ता हूं. खुदा की इनायत है कि शायरी का शौक है. यह प्रतियोगिता इसलिए नहीं रखी जा रही है कि किसी की अवमानना हो. इसका मुख्य लक्ष्य ही यही है कि किसी भी श्रेष्ठ ब्लागर का चयन उसकी रचना के आधार पर ही हो. पुऱूषों की कैटेगिरी में यह चयन हो चुका है. आप सबने मिलकर समीरलाल समीर को श्रेष्ठ पुरूष ब्लागर घोषित कर दिया है. अब महिला ब्लागरों की बारी है. यदि आपको यह प्रतियोगिता ठीक नहीं लगती है तो किसी भी क्षण इसे बंद किया जा सकता है. और यदि आपमें से कुछ लोग इसमें रूचि दिखाते हैं तो यह प्रतियोगिता प्रारंभ रहेगी.
सुश्री शैल मंजूषा अदा जी ने इस प्रतियोगिता को लेकर एक पोस्ट लगाई है. उन्होंने कुछ नाम भी सुझाए हैं। वयोवृद्ध अवस्था की वजह से उन्होंने अपने आपको प्रतियोगिता से दूर रखना भी चाहा है. उनके आग्रह को मानते हुए सभी नाम शामिल कर लिए हैं। जो नाम शामिल किए गए हैं उनकी सूची नीचे दी गई है.
आपको सिर्फ इतना करना है कि अपने-अपने ब्लाग पर निम्नलिखित महिला ब्लागरों किसी एक पोस्ट पर लगभग ढाई सौ शब्दों में अपने विचार प्रकट करने हैं। रचना के गुण क्या है। रचना क्यों अच्छी लगी और उसकी शैली-कसावट कैसी है जैसा उल्लेख करें तो सोने में सुहागा.
नियम व शर्ते-
1 प्रतियोगिता में किसी भी महिला ब्लागर की कविता-कहानी, लेख, गीत, गजल पर संक्षिप्त विचार प्रकट किए जा सकते हैं
2- कोई भी विचार किसी की अवमानना के नजरिए से लिखा जाएगा तो उसे प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जाएगा
3- प्रतियोगिता में पुरूष एवं महिला ब्लागर सामान रूप से हिस्सा ले सकते हैं
4-किस महिला ब्लागर ने श्रेष्ठ लेखन किया है इसका आंकलन करने के लिए ब्लागरों की एक कमेटी का गठन किया जा चुका है. नियमों व शर्तों के कारण नाम फिलहाल गोपनीय रखा गया है.
5-जिस ब्लागर पर अच्छी पोस्ट लिखी जाएगी, पोस्ट लिखने वाले को 11 हजार रूपए का नगद इनाम दिया जाएगा
6-निर्णायकों की राय व पोस्ट लेखकों की राय को महत्व देने के बाद श्रेष्ठ महिला ब्लागर को 21 हजार का नगद इनाम व शाल श्रीफल दिया जाएगा.
7-निर्णायकों का निर्णय अंतिम होगा.
8-किसी भी विवाद की दशा में न्याय क्षेत्र कानपुर होगा.
9- सर्वश्रेष्ठ महिला ब्लागर एवं पोस्ट लेखक को आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए आने-जाने का मार्ग व्यय भी दिया जाएगा.
10-पोस्ट लेखकों को अपनी पोस्ट के ऊपर- मेरी नजर में सर्वश्रेष्ठ ब्लागर अनिवार्य रूप से लिखना होगा
ब्लागरों की सुविधा के लिए जिन महिला ब्लागरों का नाम शामिल किया गया है उनके नाम इस प्रकार है-
1-फिरदौस 2- रचना 3-वंदना 4-संगीता पुरी 5-अल्पना वर्मा- 6 –सुजाता चोखेर 7- पूर्णिमा बर्मन 8-कविता वाचक्वनी 9-रशिम प्रभा 10- घुघूती बासूती 11-कंचनबाला 12-शेफाली पांडेय 13- रंजना भाटिया 14 श्रद्धा जैन 15- रंजना 16- लावण्यम 17- पारूल 18- निर्मला कपिला 19 शोभना चौरे 20- सीमा गुप्ता 21-वाणी गीत 21- संगीता स्वरूप 22-शिखाजी 23 –रशिम रविजा 24- पारूल पुखराज 25- अर्चना 26- डिम्पल मल्होत्रा, 27-अजीत गुप्ता 28-श्रीमती कुमार.
तो फिर देर किस बात की. प्रतियोगिता में हिस्सेदारी दर्ज कीजिए और बता दीजिए नारी किसी से कम नहीं है। प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तारीख 30 मई तय की गई है.
और हां निर्णायकों की घोषणा आयोजन के एक दिन पहले कर दी जाएगी.
इसी दिन कुमार जलजला का नया ब्लाग भी प्रकट होगा. भाले की नोंक पर.
आप सबको शुभकामनाएं.
आशा है आप सब विषय को सकारात्मक रूप देते हुए अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगाएंगे.
सबका हमदर्द
कुमार जलजला
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अब देखिये
अनामिका की सदायें ब्लॉग और
यथार्थ ब्लॉग
पर एक अपील-
महिला ब्लॉगर्स का सन्देश जलजला जी के नाम मुझे ख़ुशी हो रही है की बहुत सी हमारी ब्लॉगर मित्र इस राजनैतिक कृत्य की भत्सर्ना कर रही हैं. एक जगह ही तो ऐसी बचती है जहाँ हम अपने एहसासों को बांटते हैं. यहाँ हम छोटे बड़े का फर्क ना कर के निर्विघ्न, बिना लिंग भेद के सब के साथ भाई चारे से पेश आये...यहाँ भी अगर यही सब होगा तो इंसान खुद को कहीं आज़ाद महसूस नहीं कर पायेगा..इसलिए सब से सविनय निवेदन है की जो मेरी बात के समर्थक हैं वो इस कृत्य के विरोध में टिपण्णी अवश्य दे.
कोई मिस्टर जलजला एकाध दिन से स्वयम्भू चुनावाधिकारी बनकर.श्रेष्ठ महिला ब्लोगर के लिए, कुछ महिलाओं के नाम प्रस्तावित कर रहें हैं. (उनके द्वारा दिया गया शब्द, उच्चारित करना भी हमें स्वीकार्य नहीं है) पर ये मिस्टर जलजला एक बरसाती बुलबुला से ज्यादा कुछ नहीं हैं, पर हैं तो कोई छद्मनाम धारी ब्लोगर ही ,जिन्हें हम बताना चाहते हैं कि हम इस तरह के किसी चुनाव की सम्भावना से ही इनकार करते हैं.
ब्लॉग जगत में सबने इसलिए कदम रखा था कि न यहाँ किसी की स्वीकृति की जरूरत है और न प्रशंसा की. सब कुछ बड़े चैन से चल रहा था कि अचानक खतरे की घंटी बजी कि अब इसमें भी दीवारें खड़ी होने वाली हैं. जैसे प्रदेशों को बांटकर दो खण्ड किए जा रहें हैं, हम सबको श्रेष्ट और कमतर की श्रेणी में रखा जाने वाला है. यहाँ तो अनुभूति, संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति से अपना घर सजाये हुए हैं . किसी का बहुत अच्छा लेकिन किसी का कम, फिर भी हमारा घर हैं न. अब तीसरा आकर कहे कि नहीं तुम नहीं वो श्रेष्ठ है तो यहाँ पूछा किसने है और निर्णय कौन मांग रहा है?
हम सब कल भी एक दूसरे के लिए सम्मान रखते थे और आज भी रखते हैं ..
अब ये गन्दी चुनाव की राजनीति ने भावों और विचारों पर भी डाका डालने की सोची है. हमसे पूछा भी नहीं और नामांकन भी हो गया. अरे प्रत्याशी के लिए हम तैयार हैं या नहीं, इस चुनाव में हमें भाग लेना भी या नहीं , इससे हम सहमत भी हैं या नहीं बस फरमान जारी हो गया. ब्लॉग अपने सम्प्रेषण का माध्यम है,इसमें कोई प्रतिस्पर्धा कैसी? अरे कहीं तो ऐसा होना चाहिए जहाँ कोई प्रतियोगिता न हो, जहाँ स्तरीय और सामान्य, बड़े और छोटों के बीच दीवार खड़ी न करें. इस लेखन और ब्लॉग को इस चुनावी राजनीति से दूर ही रहने दें तो बेहतर होगा. हम खुश हैं और हमारे जैसे बहुत से लोग अपने लेखन से खुश हैं, सभी तो महादेवी, महाश्वेता देवी, शिवानी और अमृता प्रीतम तो नहीं हो सकतीं . इसलिए सब अपने अपने जगह सम्मान के योग्य हैं. हमें किसी नेता या नेतृत्व की जरूरत नहीं है.
इस विषय पर किसी तरह की चर्चा ही निरर्थक है.फिर भी हम इन मिस्टर जलजला कुमार से जिनका असली नाम पता नहीं क्या है, निवेदन करते हैं कि हमारा अमूल्य समय नष्ट करने की कोशिश ना करें.आपकी तरह ना हमारा दिमाग खाली है जो,शैतान का घर बने,ना अथाह समय, जिसे हम इन फ़िज़ूल बातों में नष्ट करें...हमलोग रचनात्मक लेखन में संलग्न रहने के आदी हैं. अब आपकी इस तरह की टिप्पणी जहाँ भी देखी जाएगी..डिलीट कर दी जाएगी.
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लो आ गया जलजला (भाग एक)वे ब्लागर जो मुझे टिप्पणी के तौर पर जगह दे रहे हैं उनका आभार. जो यह मानते हैं कि वे मुफ्त में मुझे प्रचार क्यों दें उनका भी आभार. भला एक बेनामी को प्रचार का कितना फायदा मिलेगा यह समझ से परे हैं.
मैंने अपने कमेंट का शीर्षक –लो आ गया जलजला रखा है। इसका यह मतलब तो बिल्कुल भी नहीं निकाला जाना चाहिए कि मैं किसी एकता को खंडित करने का प्रयास कर रहा हूं। मेरा ऐसा ध्येय न पहले था न भविष्य में कभी रहेगा.
ब्लाग जगत में पिछले कुछ दिनों से जो कुछ घट रहा है क्या उसके बाद आप सबको नहीं लगता है कि यह सब कुछ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं होने की वजह से हुआ है. आप अपने घर में बच्चों से तो यह जरूर कहेंगे कि बेटा अब की बार इस परीक्षा में यह नबंर लाना है उस परीक्षा को तुम्हे क्लीयर करना ही है लेकिन जब खुद की परीक्षा का सवाल आया तो सारे के सारे लोग फोन के जरिए एकजुट हो गए और पिल पड़े जलजला को पिलपिला बताने के लिए. बावजूद इसके जलजला को दुख नहीं है क्योंकि जलजला जानता है कि उसने अपने जीवन में कभी भी किसी स्त्री का दिल नहीं दुखाया है। जलजला स्त्री विरोधी नहीं है। अब यह मत कहने लग जाइएगा कि पुरस्कार की राशि को रखकर स्त्री जाति का अपमान किया गया है। कोई ज्ञानू बाबू किसी सक्रिय आदमी को नीचा दिखाकर आत्म उन्नति के मार्ग पर निकल जाता है तब आप लोग को बुरा नहीं लगता.आप लोग तब सिर्फ पोस्ट लिखते हैं और उसे यह नहीं बताते कि हम कानून के जानकार ब्लागरों के द्वारा उसे नोटिस भिजवा रहे हैं। क्या इसे आप अच्छा मानते हैं। यदि मैंने यह सोचा कि क्यों न एक प्रतिस्पर्धा से यह बात साबित की जाए कि महिला ब्लागरों में कौन सर्वश्रेष्ठ है तो क्या गलत किया है। क्या किसी को शालश्रीफल और नगद राशि के साथ प्रमाण देकर सम्मानित करना अपराध है।
यदि सम्मान करना अपराध है तो मैं यह अपराध बार-बार करना चाहूंगा.
ब्लागजगत को लोग सम्मान लेने के पक्षधर नहीं है तो देश में साहित्य, खेल से जुड़ी अनेक विभूतियां है उन्हें सम्मानित करके मुझे खुशी होगी क्योंकि-
दुनिया का कोई भी कानून यह नहीं कहता है कि आप लोगों का सम्मान न करें।
दुनिया का कानून यह भी नहीं कहता है कि आप अपना उपनाम लिखकर अच्छा लिख-पढ़ नहीं सकते हैं. आप लोग विद्धान लोग है मुंशी प्रेमचंद भी कभी नवाबराय के नाम से लिखते थे. देश में अब भी कई लेखक ऐसे हैं जिनका साहित्य़िक नाम कुछ और ही है। भला मैं बेनामी कैसे हो गया।
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लो आ गया जलजला (भाग-दो) आप सब लोगों से मैंने पहले ही निवेदन किया था कि यदि प्रतियोगिता को अच्छा प्रतिसाद मिला तो ठीक वरना प्रतियोगिता का विचार स्थगित किया जाएगा. यहां तो आज की तमाम एक जैसी संचालित पोस्टें देखकर तो लग रहा है कि शायद भाव को ठीक ढंग से समझा ही नहीं गया है. भला बताइए मेरी अपील में मैंने किस जगह पर अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया है.
बल्कि आप सबमें से कुछ की पोस्ट देखकर और उसमे आई टिप्पणी को देखकर तो मुझे लग रहा है कि आपने मेरे सम्मान के भाव को चकनाचूर बनाने का काम कर डाला है। किसी ने मेरा नाम जलजला देखकर यह सोच लिया कि मैं किस कौन का हूं। क्या दूसरी कौन का आदमी-आदमी नहीं होता है। बड़ी गंगा-जमुना तहजीब की बात करते हैं, एक आदमी यदि दाढ़ी रख लेता है तो आपकी नजर में काफिर हो जाता है क्या। जलजला नाम रखने से कोई ........ हो जाता है क्या। और हो भी जाता है तो क्या बुरा हो जाता है क्या। क्या जलजला एक देशद्रोही का नाम है क्या। क्या जलजला एक नक्सली है। एक महोदय तो लिखते हैं कि जलजला को जला डालो। एक लिखते हैं मैं पहले राहुल-वाहुल के नाम से लिखता था.. मैं फिरकापरस्त हूं। क्या जलजला जैसा नाम एक कौम विशेष का आदमी ही रख सकता है। यदि ऊर्दू हिन्दी की बहन है तो क्या एक बहन किसी हिन्दू आदमी को राखी नहीं बांध सकती.
फिर भी शैल मंजूषा अदा ने ललकारते हुए कहा है कि मैं जो कोई भी हूं सामने आ जाऊं। मैं कब कहा था कि मै सामने नहीं आना चाहता। (वैसे मैंने यहां देखा है कि जब मैं अपने असली नाम से लिखता हूं तो एक से बढ़कर एक सलाह देने वाले सामने आ जाते हैं, सब यही कहते हैं भाईजान आपसे यह उम्मीद नहीं थी, आप सबसे अलग है आप पचड़े में न पढ़े. अब अदाजी को ही लीजिए न पचड़े में न पड़ने की सलाह देते हुए ही उन्होंने ज्ञानू बाबू से लेकर अब तक कम से कम चार पोस्ट लिख डाली है)
जरा मेरी पूर्व में दिए गए कथन को याद करिए मैंने उसमे साफ कहा है कि 30 मई को स्पर्धा समाप्त होगी उस दिन जलजला का ब्लाग भी प्रकट होगा। ब्लाग का शुभारंभ भी मैं सम्मान की पोस्ट वाली खबर से ही करना चाहता था, लेकिन अब लगता है कि शायद ऐसा नहीं होगा. एक ब्लागर की मौत हो चुकी है समझ लीजिएगा.
अदाजी के लिए सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मैं इंसान हूं.. बुरा इंसान नहीं हूं। (अदाजी मैंने तो पहले सिर्फ पांच नाम ही जोड़े थे लेकिन आपने ही आग्रह किया कि कुछ और नामों को शामिल कर लूं.. भला बताइए आपके आग्रह को मानकर मैंने कोई अपराध किया है क्या)
आप सभी बुद्धिमान है, विवेक रखते हैं जरा सोचिए देश की सबसे बड़ी साहित्यिक पत्रिका हंस और कथा देश कहानी प्रतियोगिताओं का आयोजन क्यों करती है। क्या इन प्रतियोगिताओं से कहानीकार छोटे-बड़े हो जाते हैं। क्या इंडियन आइडल की प्रतिस्पर्धा के चलते आशा भोंसले और उदित नारायण हनुमान जी के मंदिर के सामने ..काम देदे बाबा.. चिल्लाने लगे हैं।
दुनिया में किसी भी प्रतिस्पर्धा से प्रतिभाशाली लोग छोटे-बड़े नहीं होते वरन् वे अपने आपको आजमाते हैं और जब तक जिन्दगी है आजमाइश तो चलती रहनी है. कभी खुद से कभी दूसरों से. जो आजमाइश को अच्छा मानते है वह अपने आपको दूसरों से अच्छा खाना पकाकर भी आजमाते है और जिसे लगता है कि जैसा है वैसा ही ठीक है तो फिर क्या कहा जा सकता है.
कमेंट को सफाई न समझे. आपको मेरे प्रयास से दुख पहुंचा हो तो क्षमा चाहता हूं (ख्वाबों-ख्यालों वाली क्षमा नहीं)
आपकी एकता को मेरा सलाम
आपके जज्बे को मेरा नमन
मगर आपकी लेखनी को मेरा आहावान
एक पोस्ट इस शीर्षक पर भी जरूर लिखइगा
हम सबने जलजला को मिलकर मार डाला है.. महिला मोर्चा जिन्दाबाद
कानून के जानकारों द्वारा भेजे गई नोटिस की प्रतीक्षा करूंगा
आपका हमदर्द
कुमार जलजला
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अब आप खुद सोचिये कि ब्लागिंग किस दिशा में जा रही है. ऐसे जलजले आते रहेंगे, पर सवाल अभी भी वहीँ कायम है क्या कुछ लोगों का नाम उछालकर ' फूट डालो और राज करो' की नीति अपनाई जा रही है. वैसे भी देश में मानसून का आगमन होने वाला है, पर उससे पहले ही तूफान और चक्रवात दिखने लगे हैं. नामों पर मत जाइये कोई लैला है तो कोई कटरीना. सभी लोग अपने-अपने छाते संभाल लीजिये और ऐसे जलजलों से बचिए जो आपको गर्त में ले जा सकते हैं !!