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रविवार, 22 अगस्त 2010

वृक्षों को रक्षा-सूत्र बाँधने का अनूठा अभियान

रक्षाबंधन का पर्व करीब है. (24 अगस्त). यह सिर्फ भाई -बहन से जुड़ा नहीं बल्कि मानवता की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है. हममें से तमाम लोग अपने स्तर पर मानवता को बचने हेतु पर्यावरण संरक्षण में जुटे हुए हैं। इन्हीं में से एक हैं- जीवन के समानांतर ही जल, जमीन और जंगल को देखने वाली ग्रीन गार्जियन सोसाइटी की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुनीति यादव। पिछले कई वर्षों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही एवं छत्तीसगढ़ में एक वन अधिकारी के0एस0 यादव की पत्नी सुनीति यादव सार्थक पहल करते हुए वृक्षों को राखी बाँधकर वृक्ष रक्षा-सूत्र कार्यक्रम का सफल संचालन कर नाम रोशन कर रही हैं। इस सराहनीय कार्य के लिए उन्हें ‘महाराणा उदय सिंह पर्यावरण पुरस्कार, स्त्री शक्ति पुरस्कार 2002, जी अस्तित्व अवार्ड इत्यादि पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। सुनीति यादव द्वारा वृक्ष रक्षा-सूत्र कार्यक्रम चलाये जाने के पीछे एक रोचक वाकया है। वर्ष 1992 में उनके पति जशपुर में डी0एफ0ओ0 थे। वहां प्राइवेट जमीन में पांच बहुत ही सुन्दर वृक्ष थे, जिन्हें भूस्वामी काटकर वहां दुकान बनाना चाहता था। उसने इन पेड़ों को काटने के लिए जिलाधिकारी को आवेदन कर रखा था। अपने पति द्वारा जब यह बात सुनीति यादव को पता चली तो उनके दिमाग में एक विचार कौंध गया। राखी पर्व पर कुछ महिलाओं के साथ जाकर उन्होंने उन पांच वृक्षों की विधिवत पूजा की और रक्षा सूत्र बांध दिया। देखा-देखी शाम तक आस-पास के लोगों द्वारा उन वृक्षों पर ढेर सारी राखियां बंध गई। फिर भूस्वामी को इन वृक्षों का काटने का इरादा ही छोड़ना पड़ा और गांव वाले इन पेड़ों को पांच भाई के रूप में मानने लगे। इससे उत्साहित होकर सुनीति यादव ने हर गांव में एक या दो विशिष्ट वृक्षों का चयन कराया तथा वर्ष 1993 में राखी के पर्व पर 17000 से अधिक लोगों ने 1340 वृक्षों को राखी बांधकर वनों की सुरक्षा का संकल्प लिया और इस प्रकार वृक्ष रक्षा सूत्र कार्यक्रम चल निकला। बस्तर के कोंडागांव इलाके में वृक्ष रक्षा सूत्र अभियान के तहत एक वृक्ष को नौ मीटर की राखी बांधी गई।

याद कीजिए 70 के दशक का चिपको आन्दोलन। सुनीति का मानना है कि चिपको आन्दोलन वन विभाग की नीतियों के विरूद्ध चलाया गया था जबकि वृक्ष रक्षा सूत्र वन विभाग एवं जनता का सामूहिक अभियान है, जिसे समाज के हर वर्ग का समर्थन प्राप्त है। यह सुनीति यादव की प्रतिबद्वता ही है कि वृक्ष रक्षा सूत्र कार्यक्रम अब देश के नौ राज्यों तक फैल चुका है। सुनीति इसे और भी व्यापक आयाम देते हुए ‘‘पौध प्रसाद कार्यक्रम‘‘ से जोड़ रही हैं। इसके लिए वे देश के सभी छोटे-बड़े धार्मिक प्रतिष्ठानों से सम्पर्क कर रही हैं कि वे भक्तों को प्रसाद के रूप में पौधे बांटे, ताकि वे उन पौधों को श्रद्धा के साथ लगायें, पालें-पोसें और बड़ा करें। यही नहीं आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण वृक्ष प्रजातियों, वनौषधियों के बीज पैकेट भी प्रसाद के रूप में बांटे जा रहे हैं। सुनीति यादव का मानना है कि वृक्ष भगवान के ही दूसरे रूप हैं। जब वह कहती हैं कि भगवान शिव की तरह वृक्ष सारा विषमयी कार्बन डाई आक्साइड पी जाते हैं और बदले में जीवन के लिए जरूरी आक्सीजन देते हैं, तो लोग दंग रह जाते हैं। सुनीति यादव का स्पष्ट मानना है कि-‘‘ईश्वर ने हम सभी को पृथ्वी पर किसी न किसी उद्देश्य के लिए भेजा है। आइए, उसके सपनों को साकार करें। धरती पर हरियाली को सुरक्षित रखकर हम जिन्दगी को और भी खूबसूरत बनाएंगे, कच्चे धागों से हरितिमा को बचाएंगे। ताज और मीनार हमारे किस काम के, जब पृथ्वी की धड़कन ही न बच सके। कल आने वाली पीढ़ी को हम क्या सौगात दे सकेंगे? आइए, रक्षाबंधन के इस पर्व पर हम भी ढेर सारे पौधे लगाएं और लगे हुए वृक्षों को रक्षा-सूत्र बंधकर उन्हें बचाएं।‘‘

24 टिप्‍पणियां:

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी....सुनीति यादव का यह अभियान अनुकरणीय है.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

आपकी यह पोस्ट हम 'यदुकुल' पर साभार प्रकाशित कर रहे हैं.

M VERMA ने कहा…

सुन्दर जानकारी
यह परम्परा न केवल कायम रहे वरन विस्तार पाये.

मनोज कुमार ने कहा…

इस रक्षा बंधन के पर्व पर आइए धरती पर हरियाली को सुरक्षित रखकर हम जिन्दगी को और भी खूबसूरत बनाएंगे, कच्चे धागों से हरितिमा को बचाएंगे। आइए, रक्षाबंधन के इस पर्व पर हम भी ढेर सारे पौधे लगाएं और लगे हुए वृक्षों को रक्षा-सूत्र बंधकर उन्हें बचाएं।
इस विचार का व्यापक प्रसार होना चाहिए।

मनोज कुमार ने कहा…

इस रक्षा बंधन के पर्व पर आइए धरती पर हरियाली को सुरक्षित रखकर हम जिन्दगी को और भी खूबसूरत बनाएंगे, कच्चे धागों से हरितिमा को बचाएंगे। आइए, रक्षाबंधन के इस पर्व पर हम भी ढेर सारे पौधे लगाएं और लगे हुए वृक्षों को रक्षा-सूत्र बंधकर उन्हें बचाएं।
इस विचार का व्यापक प्रसार होना चाहिए।

shikha varshney ने कहा…

Bahut sundar vichar..yah vyapakta paye yahi abhilasha hai .

आचार्य परशुराम राय ने कहा…

Vrikshon ko raksha-sutra bandhane ka anutha abhiyan padh kar chamatkrit huye bina na rah saka.

Kavita Saharia ने कहा…

Bahut hi sunder post..kutch vichaar to mujhe bahut acche aur practical and logical lage.Prasad ke roop mein paudhon ka vitaran ,vrikshon ko raksha sutra bandhna bahut hi uttam baat hai.AAp aur Suniti Yadav dono hi is baat ko highlight karne ke liye badhai ke patr hain.

Truly loved your page..thanks for coming by to mine and leaving your footprints.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत ही उपयोगी पोस्ट!
--
जानकारी देने के लिए आभार!

संजय भास्‍कर ने कहा…

इस विचार का व्यापक प्रसार होना चाहिए।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ा ही अच्छा और सार्थक प्रयास।

SATYA ने कहा…

उपयोगी जानकारी

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छी जानकारी के लिए आभार. सार्थक प्रयास है.

समयचक्र ने कहा…

वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधने के बारे में बढ़िया प्रेरक जानकारी दी है .

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

इस अभियान की सार्थक जानकारी ...आभार ..

Unknown ने कहा…

सुनीति यादव ने हर गांव में एक या दो विशिष्ट वृक्षों का चयन कराया तथा वर्ष 1993 में राखी के पर्व पर 17000 से अधिक लोगों ने 1340 वृक्षों को राखी बांधकर वनों की सुरक्षा का संकल्प लिया और इस प्रकार वृक्ष रक्षा सूत्र कार्यक्रम चल निकला। बस्तर के कोंडागांव इलाके में वृक्ष रक्षा सूत्र अभियान के तहत एक वृक्ष को नौ मीटर की राखी बांधी गई।....जहाँ चाह, वहां राह...सुन्दर उद्धरण.

Unknown ने कहा…

रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें.

Unknown ने कहा…

पाखी बिटिया की चर्चा 'शुक्रवार' पत्रिका के 31 जुलाई-6 अगस्त अंक में चर्चित चेहरे के तहत पढ़ी..अच्छा लगा......बधाई.

Hari Shanker Rarhi ने कहा…

Positive attitudes and activities must be appreciated.Such appreciations are also social work as they provide with courage to the volunteers. Nice post.

Bhanwar Singh ने कहा…

रक्षाबंधन पर्व पर सारगर्भित पोस्ट...खूबसूरत चित्र....बधाइयाँ.

KK Yadav ने कहा…

ताज और मीनार हमारे किस काम के, जब पृथ्वी की धड़कन ही न बच सके। कल आने वाली पीढ़ी को हम क्या सौगात दे सकेंगे? आइए, रक्षाबंधन के इस पर्व पर हम भी ढेर सारे पौधे लगाएं और लगे हुए वृक्षों को रक्षा-सूत्र बंधकर उन्हें बचाएं।‘‘ ....Sundar aur sarthak sandesh.

editor : guftgu ने कहा…

राखी के त्यौहार पर बड़ी प्रेरणादाई पोस्ट ...सुनीति जी की पहल का स्वागत है.

editor : guftgu ने कहा…

राखी के त्यौहार पर बड़ी प्रेरणादाई पोस्ट ...सुनीति जी की पहल का स्वागत है.