लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार अंतत: आज ख़त्म हो गए। अंतिम दौर का मतदान 12 मई को और फिर 16 मई को सभी के भाग्य का फैसला। दावे, सर्वे, वादे ..... इन सबके बावजूद लोकतंत्र में जनता अंतत : किस करवट बैठेगी, कोई दावे के साथ नहीं जानता।
जरा सोचिये, प्रचार ख़त्म होने के बाद अब कैसा महसूस कर रहे होंगे नेतागण। हर किसी का दिल धक-धक कर रहा होगा तो उनमें सत्ता के गुलाबी सपने भी तैर रहे होंगे।
नरेंद्र मोदी : अंतत : ख़त्म हो गया चुनाव प्रचार। बड़ी मेहनत की मैंने। अब जल्दी से रिजल्ट आए तो पता चले। काश घडी की इन सुईयों को मैं तेजी से चला सकता। अब तो इंतज़ार भी नहीं होता।
राहुल गाँधी : माँ चिंता न करो। मेहनत तो बहुत की हमने। पता नहीं जनता का रिस्पांस कैसा रहेगा। आपकी विरासत भी मुझे ही संभालनी है अब। शायद ऐसा ही कुछ सोच कर माँ को तसल्ली दे रहे हैं राहुल गाँधी.
अरविन्द केजरीवाल : चलो चुनावी प्रचार ख़त्म हुआ। बहुत दिन हो गए दिल्ली छोड़े, यहाँ बनारस में तो बोर हो गया। दो-चार दिन घर घूम आते हैं।
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