राजस्थान, प. बंगाल, तमिलनाडु के बाद एक और राज्य में महिला मुख्यमंत्री। गुजरात की राजस्व मंत्री आनंदी बेन पटेल 22 मई 2014 को राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गईं। राज्यपाल कमला बेनीवाल ने उन्हें शपथ दिलाई। इस मौके पर पीएम पद संभालने जा रहे नरेंद्र मोदी के अलावा, बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, पार्टी के सबसे सीनियर लीडर आडवाणी और कुछ अन्य पार्टी नेता भी मौजूद थे। इसके अलावा, मोदी के धुर विरोधी माने जाने वाले केशुभाई पटेल भी कार्यक्रम में पहुंचे।
आनंदीबेन की छवि एक कुशल प्रशासक की मानी जाती है। राज्य के नौकरशाहों के बीच उनकी तूती बोलती है। मोदी सरकार में वह एकमात्र ऐसी मंत्री थीं जो सरकार के काम-काज पर चर्चा के लिए दूसरे विभागों के सचिवों की भी मीटिंग लेती थी। वह नौकरशाहों से सख्ती से काम लेने वाली मंत्री के रूप में जानी जाती हैं। आनंदीबेन बोलती भी कम ही हैं और सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी उन्हें हंसते हुए कम ही देखा जाता है। वह गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री तो हैं ही, साथ ही राज्य की भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा दिनों तक मंत्री रहने वाली महिला नेता भी हैं।
आनंदीबेन किसी क्षेत्र विशेष को अपना 'गढ़' बनाने में यकीन नहीं करती हैं। 1998 में वह मांडल सीट से चुनाव जीतीं औऱ अगली बार उत्तरी गुजरात की पाटन सीट से विधानसभा पहुंचीं। 2012 में उन्होंने घटलोडिया से चुनाव जीता।
वह शुरू से ही बहादुर रही हैं। 1987 में स्कूल के दोस्तों के साथ पिकनिक के दौरान वह दो लड़कियों को बचाने के लिए सरदार सरोवर जलाशय में कूद पड़ी थीं। बहादुरी के इस कारनामे के चलते उन्हें गवर्नर ने सम्मानित भी किया था। नरेंद्र मोदी और आनंदीबेन, दोनों विसनगर (मेहसाणा) के एनएम हाईस्कूल में ही पढ़ते थे। मोदी ही आनंदीबेन को राजनीति में लाए थे। दोनों ने एक ही स्कूल में पढ़ाई की थी। बाद में आनंदीबेन टीचर बन गईं। लेकिन, मोदी उन्हें राजनीति में ले आए।
आनंदीबेन किसी क्षेत्र विशेष को अपना 'गढ़' बनाने में यकीन नहीं करती हैं। 1998 में वह मांडल सीट से चुनाव जीतीं औऱ अगली बार उत्तरी गुजरात की पाटन सीट से विधानसभा पहुंचीं। 2012 में उन्होंने घटलोडिया से चुनाव जीता।
वह शुरू से ही बहादुर रही हैं। 1987 में स्कूल के दोस्तों के साथ पिकनिक के दौरान वह दो लड़कियों को बचाने के लिए सरदार सरोवर जलाशय में कूद पड़ी थीं। बहादुरी के इस कारनामे के चलते उन्हें गवर्नर ने सम्मानित भी किया था। नरेंद्र मोदी और आनंदीबेन, दोनों विसनगर (मेहसाणा) के एनएम हाईस्कूल में ही पढ़ते थे। मोदी ही आनंदीबेन को राजनीति में लाए थे। दोनों ने एक ही स्कूल में पढ़ाई की थी। बाद में आनंदीबेन टीचर बन गईं। लेकिन, मोदी उन्हें राजनीति में ले आए।
73 वर्षीय आनंदीबेन मोदी की गैरमौजूदगी में सरकार चलाती रही हैं। कन्या विद्यालय में टीचर रहीं आनंदीबेन लंबे सियासी सफर के बाद सीएम की कुर्सी तक पहुंची हैं। आनंदीबेन पटेल पुरुष प्रधान समाज में भी अपनी पहचान बनाने के लिए जानी जाती हैं। कहा जाता है कि अपनी स्कूलिंग के दौरान वह लड़कों की क्लास में एकमात्र लड़की थीं। वह 15 सालों से अपने पति से अलग रह रही हैं। आनंदीबेन पटेल अपनी बेटी अानार के बेहद करीब हैं।
आनंदी बेन के पति मफतभाई सायकोलॉजी के प्रोफेसर हैं। मफतभाई जनसंघ के समय से ही बीजेपी से जुड़े थे। 46 साल की उम्र में पहली बार आनंदीबेन के राजनीति में आने की चर्चा हुई, वह भी तब, जब मोदी आरएसएस से बीजेपी में आए। कहा जाता है कि मोदी और उनके बीजेपी समर्थकों ने ही आनंदीबेन से राजनीति में आने की गुजारिश की। पहले तो उन्होंने थोड़ा संकोच किया लेकिन बाद मे मफतभाई के कहने पर वह राजनीति में आने के लिए तैयार हो गईं।
कुछ महीनों बाद जब मोदी गुजरात बीजेपी के महासचिव बने तो उन्होंने ही आनंदीबेन पटेल को पार्टी की राज्य महिला इकाई का अध्यक्ष बनवाया। हालांकि इसकी बड़ी वजह यह भी थी कि राज्य में बीजेपी के पास पटेल जाति की कोई महिला नेता भी नहीं थी। आनंदी तेजी से सियासी सीढ़ियां चढ़ीं और 1994 में उन्हें राज्यसभा के लिए भी नामांकित किया गया।
1998 से लगातार विधायक आनंदी बेन गुजरात में सर्वाधिक समय तक विधायक रहने वाली महिला नेता हैं। वह केशुभाई पटेल सरकार में भी मंत्री रह चुकी हैं। हालांकि वह अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ती रही हैं। वह पहले मांडल, पाटन और इस बार अहमदाबाद की घटलोडिया सीट से चुनाव जीती हैं।
आनंदी बेन को मोदी की वफादार साथी माना जाता है। यही नहीं जब केशुभाई की सरकार में मोदी पर निगरानी रखी जा रही थी, तब भी वह मोदी के साथ नजर आने से नहीं डरती थीं। मोदी की कैबिनेट में स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन करने को लेकर भी उनके काम की खूब तारीफ हो चुकी है।
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