इसके साथ ही सचिन ऐसे पहले क्रिकेटर बन गए हैं, जिनकी आत्मकथा 'ओपस' के जरिए प्रकाशित हो रही है। विलासी और चमक-दमक भरी किताबों के प्रकाशक 'क्रेकन मीडिया' इससे पहले फुटबॉल के सुपर स्टार डिएगो मेराडोना, ड्रीम कार फेरारी, पॉप संगीत के बादशाह माइकल जैक्सन, इंग्लिश प्रीमियर लीग की फुटबॉल टीम मैनचेस्टर यूनाइटेड और दुनिया की सबसे ऊँची इमारत बुर्ज खलीफा पर यह प्रयोग कर चुका है।इस किताब के हस्ताक्षर पृष्ठ के लिए सचिन के खून से युक्त लुगदी का कागज बनाया जाएगा और उनके डीएनए प्रोफाइल पर केंद्रित पन्ना भी इसमें जोड़ा जाएगा। कुछ पन्नों में सचिन के जिंदगी की ऐसी दुर्लभ तस्वीरें प्रकाशित होंगी, जो अब तक कहीं नजर नहीं आई हैं।क्रिकेट के बाजार में सबसे महँगे ब्रांड रहे सचिन की जिंदगी पर यह किताब उनके ब्रांड की तरह ही इतनी महँगी है कि इसे खरीदना तो दूर, आम प्रशंसकों के लिए इसके बारे में सोचना भी मुश्किल है।हस्ताक्षर पृष्ठ में सचिन का खून मिला होगा। पन्ने की लालिमा इससे सचिन का खून झलकाएगी। इसे खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं और यह हर किसी को पसंद भी नहीं आएगा। कुछ लोगों को यह बेतुका भी लग सकता है। सचिन की लोकप्रियता का हवाला देते हुए क्रेकर्न मीडिया के मुख्य कार्यकारी कार्ल फ्लावर ने कहा कि सच तो यह है कि करोड़ों प्रशंसकों के लिए सचिन भगवान जैसे हैं, इसलिए हमने सोचा कि उन्हें अनोखे तरीके से इस प्रकाशित स्वरूप में लाया जाए। क्या कोई अपने भगवान के इतना करीब भी हो सकता है। किताब को अगले साल भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में होने वाले विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट से पहले फरवरी में प्रकाशित करने की योजना है। यह सबसे मुफीद समय है क्योंकि तब भारत में विश्व कप का आयोजन होगा। फ़िलहाल इंतजार कीजिये सचिन के खून से रंगी इस 34 लाख रूपये की किताब का.
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बुधवार, 21 जुलाई 2010
अब आयेगी खून से रंगी सचिन तेंदुलकर की किताब...अजीबोगरीब
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर के करोड़ों दीवानों के लिए यह खबर चौंकाने वाली हो सकती है कि उनके प्रिय क्रिकेटर के जीवन पर लिखी किताब की चुनिंदा 10 प्रतियों पर उनके खून के छींटे होंगे, जिनमें से प्रत्येक की कीमत पौने 34 लाख रुपए होगी। इनकी बिक्री से प्राप्त कुल 3 करोड़ 75 लाख रुपए स्कूल निर्माण में लगी सचिन की चैरिटेबल संस्था को दिए जाएँगे।सचिन की आत्मकथा 'तेंडुलकर ओपस' के इस विशेष संस्करण की 10 प्रतियाँ प्रकाशित होंगी, जिन पर सोने की पत्ती जड़ी होगी। इस 852 पन्नों वाली किताब का सस्ता संस्करण भी तैयार किया जा रहा है लेकिन इसकी कीमत भी 90 हजार से सवा लाख रुपए के बीच होगी। इस सस्ते संस्करण की एक हजार प्रतियाँ ही छापी जाएँगी।
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25 टिप्पणियां:
खून! थोड़ा अटपटा सा लग रहा है।
सब पब्लिसिटी-स्टंट है....
इस किताब के हस्ताक्षर पृष्ठ के लिए सचिन के खून से युक्त लुगदी का कागज बनाया जाएगा और उनके डीएनए प्रोफाइल पर केंद्रित पन्ना भी इसमें जोड़ा जाएगा।...तो ये रहा खूनी किताब का राज....
इस किताब के हस्ताक्षर पृष्ठ के लिए सचिन के खून से युक्त लुगदी का कागज बनाया जाएगा और उनके डीएनए प्रोफाइल पर केंद्रित पन्ना भी इसमें जोड़ा जाएगा।...तो ये रहा खूनी किताब का राज....
किताब में आलेख इतना सशक्त होना चाहिए कि पन्ने पन्ने पर सचिन के मेहनत के पसीने की महक आये ....कागज़ में खून..! अजीब सा लगता है..सचिन को ऐसी किताब के प्रकाशन पर विरोध दर्ज कराना चाहिए, जो आम आदमी की पहुँच से बाहर हो.. जानकारी देने के लिए आपका शुक्रिया...
बात कुछ जमी नहीं. अच्छा हुआ आपने इसे अजीबो-गरीब पोस्ट में डाला.
आजकल अजीबोगरीब चीजों का ज्यादा महत्त्व हो गया है.
@ दीनदयाल शर्मा जी,
आपकी बातों में दम है...
काश हम भी इसे पढ़ पाते.
एक तो महंगाई, उस पर से इतनी महंगी किताब...मुश्किल है.
इस पुस्तक को देखकर Horror Show की याद ना आ जाये.
क्या कहें, समझ में नहीं आ रहा //
क्रिकेट के सितारे दूर से ही अच्छे लगते हैं. फ़िलहाल किताब का इंतजार.
दिलचस्प जानकारी...देखते हैं.
हमें तो सचिन की क्रिकेट और रिकोर्ड्स में ज्यादा दिलचस्पी है । ऐसी किताब का ख्याल ही बेतुका लगता है ।
चिंता की बात नहीं है. पहले आये तो सही. अभी तो घोषणा है..
बढ़िया है. रक्तदान को बढ़ावा मिलेगा.
हमें भी दाराल साहब वाली सूची में समझें.
विलासी और चमक-दमक भरी किताबों के प्रकाशक 'क्रेकन मीडिया' इससे पहले फुटबॉल के सुपर स्टार डिएगो मेराडोना, ड्रीम कार फेरारी, पॉप संगीत के बादशाह माइकल जैक्सन, इंग्लिश प्रीमियर लीग की फुटबॉल टीम मैनचेस्टर यूनाइटेड और दुनिया की सबसे ऊँची इमारत बुर्ज खलीफा पर यह प्रयोग कर चुका है....अब एक भारतीय नाम भी जुड़ जायेगा..बढ़िया है.
लोग भी ना केसे केसे करते है अपनी पब्लिसिटी... देश के लिये बार्डर पर जा कर लडे तो बात है...
सच ही अजीबोगरीब बात है....जानकारी के लिए आभार
सचिन ऐसा नाम है जिसे न पब्लिसिटी की ज़रुरत है, न स्टंट की, न ही पैसे की. यह तो हम लोग हैं जो अब विचार की जगह अजूबे देखना चाहते हैं. हमारी इसी जिज्ञासा को प्रकाशक भुना रहा है. जो हो जाए सो ठीक.
ये खून वाली बात तो हमें भी नहीं जंची...पब्लिसिटी जो न कराये थोडा है ..
I like sachin 2 much...
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