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सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

क्या आप जानते हैं..

क्या आप जानते है इंडिया का वह स्थान जहाँ सबसे सस्ता भोजन उपलब्ध है ? ............
चाय = 1 रूपया प्रति चाय
सूप = 5.50 रुपये
दाल = 1.50 रूपया
शाकाहारी थाली (जिसमे दाल, सब्जी 4 चपाती चावल/पुलाव, दही, सलाद ) = 12.50 रुपये
मांसाहारी थाली = 22 रुपये
दही चावल = 11 रुपये
शाकाहारी पुलाव = 8 रुपये
चिकेन बिरयानी = 34 रुपये
फिश कर्री और चावल = 13 रुपये
राजमा चावल = 7 रुपये
टमाटर चावल = 7 रुपये
फिश करी = 17 रुपये
चिकन करी = 20 .50 रुपये
चिकन मसाला = 24 .50 रुपये
बटर चिकन = 27 रुपये
चपाती = 1 रूपया प्रति चपाती
एक पलते चावल = 2 रुपये
डोसा = 4 रुपये
खीर = 5.50 रुपये प्रति कटोरी
फ्रूट केक = 9 .50 रुपये
फ्रूट सलाद = 7 रुपये
यह वास्तविक मूल्य सूची है
ऊपर बताई गई सारी मदें " गरीब लोगों "केवल और केवल के लिए है जो कि भारत के संसद की केन्टीन में ही उपलब्ध है. ............. और इन गरीब लोगों की तनख्वाह 80,000 रुपये प्रति माह है . ......................... इसके अलावा इन्हें बोनस के रूप में भारी से भारी घोटाले करके अरबों - खरबों रुपये हडपने की खुल्ली छूट है .
.............. और ये सारा का सारा पैसा पब्लिक की जेब से जाता है जिसे हम और आप टैक्स के रूप में चुकाते है.....................................
जागो (जनता) ग्राहक जागो !!

20 टिप्‍पणियां:

Shah Nawaz ने कहा…

लूट रहे हैं जनता को...


इस पर एक व्यंग्य मैंने भी लिखा है:

हरिभूमि में व्यंग्य: गरीब सांसदों को सस्ता भोजन

OM KASHYAP ने कहा…

humara Bharat mahan

http://unluckyblackstar.blogspot.com/

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

purani rate hai.........wahan bhi mahnga ho gaya hai:)

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

purani rate hai.........wahan bhi mahnga ho gaya hai:)

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बहुत कारगर आंकड़ा प्रस्तुत किया है आपने ..

वास्तव में असली गरीब तो यही दीखते हैं ..सरकारी vyawastha के अनुसार ..

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

जनता को जाग्रत करने का आपका प्रयास तो अच्छा है लेकिन जनता जागना ही नहीं चाहती.

Amit Chandra ने कहा…

आकांक्षा दी इन सब चीजों को देखकर लगता है कि हम अभी भी गुलाम है पहले अंग्रेजो के अब अपने ही चंद बेईमान लोगों के। उन लोगों ने भी लुटा और ये भी लुट रहे है। यहॉ तो होड़ लगी हुई है -

रूप्ये पैसे की लुट है
लुट सके तो लुट
अतंकाल पछताएगा
जब प्राण जाएगें छुट।

Amit Chandra ने कहा…

अरे बेशर्मों अब तो शर्म करों। जनता महगॉई से भुखे मर रही है और सस्ता खाना खाकर और एयर कंडीशन में बैठ कर महगॉई कम करने की बात करते हो।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सोने की चिड़ियाँ संसद के बाहर भी उड़े।

amrendra "amar" ने कहा…

yaha sab bander baant hai .
jaki rahi bhavna jaisi ........murat dekhi tin taisi..........jisko jisme annad a raha hai yaha sab wahi ker rahe hai

Sushil Bakliwal ने कहा…

वाकई, अपना-अपना भाग्य.

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

जागो या भागो ग्राहक(जनता)......

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

अब क्या कहें,
जनता को जागना ही होगा।

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

लूट सको तो लूट लो.......

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

किसी के पेट पर अब यु लात न मारो................

राज भाटिय़ा ने कहा…

लानत हे इन सब पर

Unknown ने कहा…

अफसोसजनक....जागो (जनता) ग्राहक जागो !!

Unknown ने कहा…

ऋतुराज के आगमन पर शुभकामनायें.

माँ सरस्वती का आशीर्वाद आप पर बना रहे.

Shankar "Shashp" ने कहा…

Mujhe pata nahi ki Hindi Font me tippani kaise du. Phir bhi ye 80,000 rupaye wetan pane wale panch sala bhikhariyon ke sambandh me aapne ye nahi likha ki iske alawe muft ka niwas,hawai aur rail safar, sansad ya vidhan sabha me haziri dene ke liye milne wali rashi ityadi ityadi ko jod liya jaye to ye rakam lakhon me ho jata hai. Ye to besharm hai hi hum wechare janata bhi kam besharm nahi. Warna Pradhan Mantri jee kaise kahate ki 'Bhrashtachar ki baton se mujhe sharm aati hai'.

KK Yadav ने कहा…

लूट ही लूट....