आज स्वतंत्रता दिवस है. पर क्या वाकई हम इसका अर्थ समझते हैं या यह छलावा मात्र है. सवाल दृष्टिकोण का है. इसे समझने के लिए एक वाकये को उद्धृत करना चाहूँगीं-
देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरू इलाहाबाद में कुम्भ मेले में घूम रहे थे। उनके चारों तरफ लोग जय-जयकारे लगाते चल रहे थे। गाँधी जी के राजनैतिक उत्तराधिकारी एवं विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के मुखिया को देखने हेतु भीड़ उमड़ पड़ी थी। अचानक एक बूढ़ी औरत भीड़ को तेजी से चीरती हुयी नेहरू के समक्ष आ खड़ी हुयी-’’नेहरू! तू कहता है देश आजाद हो गया है, क्योंकि तू बड़ी-बड़ी गाड़ियों के काफिले में चलने लगा है। पर मैं कैसे मानूं कि देश आजाद हो गया है? मेरा बेटा अंग्रेजों के समय में भी बेरोजगार था और आज भी है, फिर आजादी का फायदा क्या? मैं कैसे मानूं कि आजादी के बाद हमारा शासन स्थापित हो गया हैं।‘‘ नेहरू अपने चिरपरिचित अंदाज में मुस्कुराये और बोले-’’ माता! आज तुम अपने देश के मुखिया को बीच रास्ते में रोककर और ’तू‘ कहकर बुला रही हो, क्या यह इस बात का परिचायक नहीं है कि देश आजाद हो गया है एवं जनता का शासन स्थापित हो गया है।‘‘ इतना कहकर नेहरू जी अपनी गाड़ी में बैठे और आजादी के पहरूओं का काफिला उस बूढ़ी औरत के शरीर पर धूल उड़ाता चला गया।
आजादी की यही विडंबना है कि हम नेहरू अर्थात आजादी व लोकतंत्र के पहरूए एवं बूढ़ी औरत अर्थात जनता दोनों में से किसी को भी गलत नहीं कह सकते। दोनों ही अपनी जगहों पर सही हैं, अन्तर मात्र दृष्टिकोण का है। गरीब व भूखे व्यक्ति हेतु आजादी और लोकतंत्र का वजूद रोटी के एक टुकड़े में छुपा हुआ है तो अमीर व्यक्ति हेतु आजादी और लोकतंत्र का वजूद अपनी शानो-शौकत, चुनावों में अपनी सीट सुनिश्चित करने और अंततः मंत्री या किसी अन्य प्रतिष्ठित संस्था की चेयरमैनशिप पाने में है। यह एक सच्चायी है कि दोनों ही अपनी वजूद को पाने हेतु कुछ भी कर सकते हैं। भूखा और बेरोजगार व्यक्ति रोटी न पाने पर चोरी की राह पकड़ सकता है या समाज के दुश्मनों की सोहबत में आकर आतंकवादी भी बन सकता है। इसी प्रकार अमीर व्यक्ति धन-बल और भुजबल का प्रयोग करके चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित कर सकता है। यह दोनों ही लोकतान्त्रिक आजादी के दो विपरीत लेकिन कटु सत्य हैं।
देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरू इलाहाबाद में कुम्भ मेले में घूम रहे थे। उनके चारों तरफ लोग जय-जयकारे लगाते चल रहे थे। गाँधी जी के राजनैतिक उत्तराधिकारी एवं विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के मुखिया को देखने हेतु भीड़ उमड़ पड़ी थी। अचानक एक बूढ़ी औरत भीड़ को तेजी से चीरती हुयी नेहरू के समक्ष आ खड़ी हुयी-’’नेहरू! तू कहता है देश आजाद हो गया है, क्योंकि तू बड़ी-बड़ी गाड़ियों के काफिले में चलने लगा है। पर मैं कैसे मानूं कि देश आजाद हो गया है? मेरा बेटा अंग्रेजों के समय में भी बेरोजगार था और आज भी है, फिर आजादी का फायदा क्या? मैं कैसे मानूं कि आजादी के बाद हमारा शासन स्थापित हो गया हैं।‘‘ नेहरू अपने चिरपरिचित अंदाज में मुस्कुराये और बोले-’’ माता! आज तुम अपने देश के मुखिया को बीच रास्ते में रोककर और ’तू‘ कहकर बुला रही हो, क्या यह इस बात का परिचायक नहीं है कि देश आजाद हो गया है एवं जनता का शासन स्थापित हो गया है।‘‘ इतना कहकर नेहरू जी अपनी गाड़ी में बैठे और आजादी के पहरूओं का काफिला उस बूढ़ी औरत के शरीर पर धूल उड़ाता चला गया।
आजादी की यही विडंबना है कि हम नेहरू अर्थात आजादी व लोकतंत्र के पहरूए एवं बूढ़ी औरत अर्थात जनता दोनों में से किसी को भी गलत नहीं कह सकते। दोनों ही अपनी जगहों पर सही हैं, अन्तर मात्र दृष्टिकोण का है। गरीब व भूखे व्यक्ति हेतु आजादी और लोकतंत्र का वजूद रोटी के एक टुकड़े में छुपा हुआ है तो अमीर व्यक्ति हेतु आजादी और लोकतंत्र का वजूद अपनी शानो-शौकत, चुनावों में अपनी सीट सुनिश्चित करने और अंततः मंत्री या किसी अन्य प्रतिष्ठित संस्था की चेयरमैनशिप पाने में है। यह एक सच्चायी है कि दोनों ही अपनी वजूद को पाने हेतु कुछ भी कर सकते हैं। भूखा और बेरोजगार व्यक्ति रोटी न पाने पर चोरी की राह पकड़ सकता है या समाज के दुश्मनों की सोहबत में आकर आतंकवादी भी बन सकता है। इसी प्रकार अमीर व्यक्ति धन-बल और भुजबल का प्रयोग करके चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित कर सकता है। यह दोनों ही लोकतान्त्रिक आजादी के दो विपरीत लेकिन कटु सत्य हैं।
परन्तु इन दोनों कटु सत्यों के बीच आजादी कहाँ है, संभवतः यह आज भी एक अनुत्तरित प्रश्न है ?...फ़िलहाल आप सभी को 64 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !!
24 टिप्पणियां:
behn aakaankshaa aadaab saadr nmn or svtntrtaa dis ki bdhaayi aap kongres ki prvktaa he iske liyen bhi bdhaayi sbse bdhi bdhaayi is baat pr ke aapne kongres ki prvktaa hone ke baad bhi desh ke liyen sch kaa ehsaas kiyaa or use apne nirbhik alfaazon me prtut kiyaa itna bhaavpurn lekhn jisne aazaadi ke maaynon or nehru ki aazaadi ke prti soch or desh ke prti upekshaa ki pol khol di he aap vaaqyi bdhaayi ki paatr hen . akhtar khan akela kota rajsthaan
बिलकुल सही कहा आपने .........स्वतंत्रता दिवस कि ढेर सारी शुभकामनयें .
Aaj ke haalaton mein to aajadi ka matlab sirf ek din subhkamnayen dekar etishri kee reet hoti jaa rahi hai.. iske liye kaun jumedaar yahi .... shayad ham sabhi bhi kahin na kahi.... jo aajad hote huye bhi aawaj uthne se aaj bhi katraate hain..
Aajadi ke es parv ki haardik shubhkamnayne
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
देश का मुखिया??? किस ने बनाया उसे देश का मुखिया??? उस बुढिया जेसे लोगो ने, ओर जिस दिन लोगो की समझ मै आ जायेगा कि यह जो अपने आप को देश का, जनता का मुखिया समझते है असल मै हमारे नोकर है, बस अपनी ऒकात भुल गये है, नोकर की जगह पांव मै होती है, सेवा दार भी कहते है यह अपने आप को जनता का सेवा दार, लेकिन तब तक जब तक इन्हे वोट चाहिये, सेवा दार यानि हमारे नोकर, उस बुढिया ने उसे फ़िर भी इज्जत तो दी,जिस का वो हक दार भी नही था
सही बात है अभी काफी कुछ किया जाना बाक़ी है पर जो मिला है वह भी भुलाया नहीं जा सकता
अच्छी पोस्ट ..विचार करने योग्य
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
आकांशा बहुत सही बात की तुमने
व्यवस्था पर तो हम सब बोल लेते हैं पर ये नहीं सोचते कि आजादी से हम पते क्या हैं ...बहुत कुछ ऐसा है जो कहीं और नहीं सिर्फ हमारे देश में है.
भूख व बेरोजगारी, निपटना होगा इनसे भी।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.............
बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
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मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
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वन्दे मातरम्!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं .
स्वतंत्रता दिवश के सुभ अवसर पर हार्दिक बधाई ..
बहुत सही कहा है आपने इस पर सभी को अमल करना चाहिए ....
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
स्वतंत्रता दिवस कि ढेर सारी शुभकामनयें .....
आजादी कहाँ है, संभवतः यह आज भी एक अनुत्तरित प्रश्न है ?...बहुत महत्वपूर्ण सवाल आपने उठाया...
64 वें स्वतंत्रता दिवस की आपको बधाइयाँ.
बड़ा सारगर्भित विश्लेषण...अच्छा उदहारण दिया आपने.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
आजादी के दिन सुन्दर प्रस्तुति...बधाई. आजादी का दिन मुबारक हो.
बेहतरीन उद्धरण..दुर्भाग्यवश भारत में यही हो रहा है. स्वाधीनता दिवस पर बधाई.
आप जैसे ऊँचे साहित्यकारों के ब्लॉग पर आना हमेशा सुखद रहता है। कम से कम हम पहलवानों को कुछ तो सीखने मिल जाता है। जय हिंद।
आप सभी ने इस पोस्ट को सराहा...आभार. स्नेह बनाये रहें.
सटीक व सामयिक विश्लेषण...
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